scriptTata ग्रुप और CM ममता बनर्जी के बीच जमी बर्फ 17 साल बाद पिघली, सिंगूर से टाटा Nano को खदेड़ा था, अब स्वागत की तैयारी! | Has the 17-year-old ice between Tata Group and Mamata Banerjee melted? After being driven out of Singur in 2008, preparations are now underway to welcome them back | Patrika News
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Tata ग्रुप और CM ममता बनर्जी के बीच जमी बर्फ 17 साल बाद पिघली, सिंगूर से टाटा Nano को खदेड़ा था, अब स्वागत की तैयारी!

Tata Group के अध्यक्ष नटराजन चंद्रशेखरन ने CM ममता बनर्जी से मुलाकात की। ममता ने उनसे राज्य के औद्योगिक विकास के लिए हरसंभव सहयोग देने की बात कही। इस मुलाकात को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में क्यों देखा जा रहा है? यहां विस्तार से पढ़िए।

कोलकाताJul 11, 2025 / 04:18 pm

स्वतंत्र मिश्र

Tata Group chairperson Natarajan met CM Mamata Banerjee

टाटा ग्रुप के अध्यक्ष नटराजन चंद्रशेखरन ने CM ममता बनर्जी से मुलाकात की। (Photo: IANS)

टाटा ग्रुप के अध्यक्ष नटराजन चंद्रशेखरन (Tata Group chairperson Natarajan Chandrasekaran) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) से 9 जुलाई 2025 को कोलकाता में मुलकात की। ममता बनर्जी ने उन्हें राज्य में निवेश का न्योता भी दिया। ममता बनर्जी के साथ चंद्रशेखरन की इस मुलाकात को एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है। दरअसल, ममता बनर्जी ने वर्ष 2008 में सिंगूर में टाटा की नैनो कार का प्लांट (Tata’s Nano Car Plant) लगाने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। टाटा ग्रुप को हार माननी पड़ी थी और लखटकिया कार प्लांट का बोरिया, बिस्तर बांधकर राज्य से भागना पड़ा था। टाटा ग्रुप को तब गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार ने प्लांट लगाने के लिए जमीन दी थी।

पार्टी ने भी इस मुलाकात का किया स्वागत

CM Mamata Met Tata Group Chairperson Chandrashekhran: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 9 जुलाई 2025 को टाटा समूह के अध्यक्ष नटराजन चंद्रशेखरन से मुलाकात की और कहा कि राज्य में टाटा समूह की उपस्थिति को मजबूत करने में मदद मिल सकती है। तृणमूल कांग्रेस के एक्स हैंडल पर ममता बनर्जी और चंद्रशेखर की तस्वीरें पोस्ट करते हुए पार्टी ​ने लिखा है कि टाटा संस और टाटा समूह के अध्यक्ष नटराजन चंद्रशेखरन का बंगाल के औद्योगिक विकास और उभरते अवसरों पर रचनात्मक संवाद के लिए ममता बनर्जी मेज़बानी की। इस बैठक में नवाचार, निवेश और समावेशी विकास को बढ़ावा देने वाली सार्थक सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए बंगाल की प्रतिबद्धता परिलक्षित हुई।

टाटा मोटर्स को 766 करोड़ रुपये देने का निर्देश

Singur Movemnt against Tata Nano’s Plant: सिंगूर एक बार फिर से 15 साल बाद यानी 2023 में भी चर्चा में आया था। उसकी वजह यह थी कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने पश्चिम बंगाल के सिंगूर में नैनो कार प्लांट के ठप होने से नुकसान की भरपाई के लिए टाटा मोटर्स को हर्जाने के तौर पर करीब 766 करोड़ रुपये देने का निर्देश दिया। हालांकि, ममता बनर्जी ने इसपर यह टिप्पणी की थी कि उसके पास कई विकल्प मौजूद हैं।

क्यों टाटा को सिंगूर छोड़ना पड़ा था?

Tata Nano Singur controversy: पश्चिम बंगाल में वर्ष 2006 में वामपंथी सरकार थी और राज्य के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य थे। तत्कालीन राज्य सरकार ने टाटा मोटर्स से लखटकिया कार नैनो का प्लांट लगाने के लिए सिंगूर और नंदीग्राम में 1000 एकड़ जमीन के अधिग्रहण करने का वादा किया था। सरकार पर तब यह आरोप लगा था कि किसानों से जोर, जबरदस्ती से जमीनें अधिग्रृहित की जा रही हैं। स्थानीय किसानों ने बड़े पैमाने पर कारखाने के लिए जमीन देने से मना कर दिया। किसानों का कहना था कि उनसे जबरदस्ती औने-पौने दाम पर जमीन ली जा रही है। उनका आरोप था कि सरकार जमीन के बदले पर्याप्त मुआवजा नहीं दे रही है। किसानों का बड़ा तबका अपनी खेती की जमीन छोड़ने को तैयार नहीं हो रहे थे। ममता बनर्जी और कुछ विपक्षी पार्टियों ने मां, माटी और मानुष का नारा तैयार कर संघर्ष छेड़ दिया। यह आंदोलन करीब दो साल से ज्यादा समय तक जारी रहा।

टाटा के खिलाफ आंदोलन में बीजेपी नेताओं ने दिया था साथ

Tata Nano Car Plant Shifting Singur to Gujarat Sanand Story: नैनो कार का प्लांट लगाने की घोषणा 18 मई 2006 को की गई। उसके कुछ महीने के बाद किसान और विपक्षी दलों ने बुद्धदेव सरकार और टाटा कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 30 नवंबर 2006 को ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल पुलिस ने सिंगूर नहीं जाने दिया। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने विधानसभा से लेकर सड़क तक व्यापक विरोध शुरू कर दिया। ममता ने 3 दिसंबर 2006 में आमरण अनशन का ऐलान किया। उन्होंने अपना अनशन 26 दिनों तक जारी रखा। अनशन के दौरान उनसे बीजेपी नेता राजनाथ सिंह और पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह समेत कई नेता मिलने गए थे। आंदोलन आगे बढ़ता गया। बुद्धदेव ने ममता को दो बार मिलने का न्योता भी दिया लेकिन वह मिलने नहीं गईं।

रतन टाटा ने ममता को शिफ्टिंग के लिए जिम्मेदार ठहराया

अगस्त 2008 में ममता ने टाटा के लिए 1000 एकड़ अधिगृहित जमीन में से 400 एकड़ जमीन किसानों को वापस करने की मांग की। टाटा समूह के तत्कालीन चेयरमैन रतन टाटा (Ratan Tata) ने विरोध की आंच कम नहीं होती देख 3 अक्टूबर 2008 को कोलकाता में प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और परियोजना को राज्य से बाहर ले जाने की घोषणा कर दी। उन्होंने अपने कदम वापस खींचने के पीछे ममता बनर्जी और सिंगूर में लगातार आंदोलन चलने को जिम्मेदार ठहराया था। इसके बाद टाटा ने गुजरात के साणंद में नैनो कार का प्लांट लगाया।

आखिरकार ढह ही गई ममता और टाटा के बीच की दीवार

सुप्रीम कोर्ट में पहुंची मां, माटी, मानुष की लड़ाई लंबी चली। वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद किसानों को उनकी जमीन वापस दे दी गई। इस जीत के बाद ममता बनर्जी के लिए राज्य की सत्ता तक पहुंचने का रास्ता साफ हो गया। पश्चिम बंगाल में वामपंथ की 35 साल पुरानी सरकार चली गई। ममता की सरकार बनने के बाद राज्य की कक्षा 8 के इतिहास की किताब में सिंगूर आदोलन का अध्याय जोड़ा गया। अब सिंगूर आंदोलन के 17 साल बीत जाने के बाद टाटा ग्रुप और ममता बनर्जी के बीच जमी बर्फ पिघल गई जान पड़ रही है और तृणमूल पार्टी दोनों के बीच की बैठक को राज्य के नवाचार और समावेशी विकास के लिए जरूरी बता रही है।

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