उत्तराधिकारियों के साथ मामले अटके
जानकार बताते हैं कि इसकी बड़ी वजह कुछ तो संपत्तियों का विवाद रहा होगा और कुछ राज्य व केंद्र के सीमित संसाधन भी एक प्रमुख कारण है। इन संपत्तियों को संरक्षित करने के लिए अपने अधिकार में लेना जरूरी है और इसे लेकर उत्तराधिकारियों के साथ मामले अटके होंगे। हालांकि अब भी कई ऐसी इमारतें हैं जिन्हें संरक्षित करने के प्रयास किए जाएं तो उन्हें बचाया जा सकता है। एएसआइ देशभर में क्लास वन की प्राइम प्रॉपर्टीज को ही संरक्षित कर पा रही है। अन्य इमारतों को राज्य और स्थानीय प्रशासन के भरोसे छोड़ दिया जाता है।Delhi Election 2025: नई दिल्ली विधानसभा सीट पर हुआ ‘वोटों का घोटाला’, AAP ने BJP पर लगाया ये बड़ा आरोप
रानी भवानी का योगदान
रानी भवानी बंगाल की शक्तिशाली महिला शासकों में से एक थीं, जिनका जीवन धर्म, प्रशासन, और जनकल्याण के लिए समर्पित था। 18वीं शताब्दी के मध्य में बंगाल की राजनीति और समाज में उनका बड़ा दखल था। वह नटोर राज्य (अब बांग्लादेश में) की महारानी थीं। उनका शासनकाल 18वीं सदी के मध्य में था, जब बंगाल मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण के बीच संघर्ष कर रहा था।लोगों में जागरूकता जरूरी
हमारी अपनी सीमाएं हैं। हमारी भूमिका तब शुरू होती है जब कोई आए और कहे कि इसे हम संरक्षित नहीं कर पा रहे आप इसकी देखभाल करें। कुछ संपत्तियों को लेकर स्वामित्व के विवाद के चलते संरक्षित नहीं किया जा पा रहा तो कुछ संपत्तियों को लेकर केंद्र और राज्य की एजेंसियां गंभीर नहीं हैं। हेरिटेज सोसायटी लोगों में यह जागरूकता लाने का प्रयास कर रही है कि ऐतिहासिक धरोहरों को नष्ट होने से बचाने के उपाय किए जाएं।-प्रदीप चोपड़ा, प्रेसिडेंट, मुर्शिदाबाद हेरिटेज डवलपमेंट सोसायटी