भाजपा नेताओं ने इस बयान को न केवल शीर्ष संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों का अपमान बताया है, बल्कि पूरे दलित और आदिवासी समुदाय का अपमान बताया है। विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि मैंने ऐसा नहीं सुना है। अगर किसी ने ऐसा कहा है, तो इसका क्या मतलब है? वह आदिवासी समुदाय की महिला हैं, जिनके जीवन भर के साहस और संघर्ष को हम सभी जानते हैं, पढ़ते हैं और देखते हैं। उनके बारे में ऐसा कहना, इसका क्या मतलब है? यह आदिवासी समुदाय का अपमान है।
कांग्रेस ने पार कर दी सारी हदें- विश्वास सारंग
उधर, राष्ट्रपति पर खड़गे की कथित टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा आदिवासी समुदाय का अपमान किया है, लेकिन इस बार उसने सारी हदें पार कर दी हैं। देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर बैठीं हमारी आदरणीय राष्ट्रपति के बारे में इस तरह की बात करना सबसे असंवैधानिक कृत्य है। मेरा मानना है कि कांग्रेस शालीनता की सभी सीमाओं को तोड़ रही है। संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति का मजाक उड़ाना सिर्फ उस व्यक्ति का अपमान नहीं है, बल्कि यह पूरे देश का अपमान है।
BJP प्रवक्ता ने की आलोचना
वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने भी खड़गे के बयानों की खुलकर आलोचना की है। उन्होंने कहा कि विपक्षी मानसिकता कांग्रेस पार्टी, जिसके नेता राहुल गांधी संविधान को हाथ में लेकर घूमते हैं, उनके रिमोट कंट्रोल से चलने वाले अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं। आज पूरा देश, हर नागरिक, आदिवासी समुदाय, दलित और महिलाएं उनकी निंदा कर रहे हैं।
‘BJP सांसद ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण बयान’
इसके अलावा, वरिष्ठ भाजपा सांसद मनन कुमार मिश्रा ने खड़गे के बयान को ‘बेहद दर्दनाक, बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया और कहा कि इससे ज्यादा खेदजनक कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, ‘मल्लिकार्जुन खड़गे एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष और बुजुर्ग व्यक्ति हैं, ऐसे शब्द उन्हें शोभा नहीं देते। अनुसूचित जनजाति पृष्ठभूमि की एक प्रतिष्ठित महिला आज देश की राष्ट्रपति हैं। रामनाथ कोविंद जैसे विद्वान हमारे राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। ऐसे लोगों का इस तरह से मजाक उड़ाना बेहद शर्मनाक है।
पूनावाला ने भी खड़गे और कांग्रेस पर बोला हमला
वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी खड़गे पर करारा हमला बोला है। उन्होने इसे एससी और एसटी समुदायों के खिलाफ गहरी नफरत का प्रदर्शन बताया है। पूनावाला ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू को ‘मुरमा जी’ और कोविंद जी को ‘कोविड जी’ कहना और उन्हें जमीन हड़पने वाला कहना, यह जुबान की फिसलन नहीं है, बल्कि यह जड़ जमाए हुए पूर्वाग्रह की अभिव्यक्ति है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का संवैधानिक अधिकारियों का मजाक उड़ाने का इतिहास रहा है, चाहे वह भारत के मुख्य न्यायाधीश हों, प्रधानमंत्री हों या राष्ट्रपति।