scriptMaoist Jagdish: 40 की उम्र में की 100 से ज्यादा की हत्या, 25 लाख था इनाम, पत्नी भी नक्सली | Maoist Jagdish: At the age of 40, he killed more than 100 people, had a reward of Rs 25 lakh on his head, his wife was also a Naxalite | Patrika News
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Maoist Jagdish: 40 की उम्र में की 100 से ज्यादा की हत्या, 25 लाख था इनाम, पत्नी भी नक्सली

मुठभेड़ के बाद 17 माओवादियों के शव बरामद किए गए, जिनमें 11 महिलाएं थीं। जगदीश के अलावा छह अन्य बड़े माओवादी नेताओं की पहचान क्षेत्र कमेटी सदस्यों के रूप में की गई।

भारतMar 30, 2025 / 01:09 pm

Anish Shekhar

छत्तीसगढ़ के सुकमा और बीजापुर जिले में 29 मार्च 2025 को एक बड़े ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने माओवादी नेता खुदाई जगदीश उर्फ बधुरा को मार गिराया। यह मुठभेड़ उस समय हुई जब जगदीश और 17 अन्य माओवादी सुकमा और बीजापुर के जंगलों में एक गुप्त बैठक कर रहे थे। जगदीश, जो दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का सदस्य था और छत्तीसगढ़ में माओवादियों का सबसे बड़ा नेता माना जाता था, 2013 के झीरम घाटी हमले का मुख्य साजिशकर्ता था। इस हमले में 32 लोग मारे गए थे, जिनमें कांग्रेस के बड़े नेता महेंद्र कर्मा, नंद कुमार पटेल, उदय मुदलियार और विद्याचरण शुक्ला शामिल थे। जगदीश की मौत माओवादी आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है, क्योंकि उसने अपने 20 साल के माओवादी करियर में 100 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों, नागरिकों और राजनेताओं की हत्या की थी। उस पर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित था।

झीरम घाटी से अरणपुर तक: खूंखार माओवादी की कहानी

खुदाई जगदीश ने माओवादी आंदोलन में अपनी शुरुआत 2000 के दशक की शुरुआत में की थी। दंतेवाड़ा का रहने वाला जगदीश जल्द ही माओवादी संगठन में एक बड़ा नाम बन गया। उसने 2013 में झीरम घाटी हमले की साजिश रची, जिसमें कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को निशाना बनाया गया। इस हमले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इसके अलावा, 2023 में अरणपुर में हुए आईईडी ब्लास्ट में भी उसका हाथ था, जिसमें 10 डीआरजी जवान और एक नागरिक मारे गए थे। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, जगदीश ने अपने माओवादी करियर में 100 से ज्यादा हत्याओं में सीधा हाथ था, जिसके चलते उसकी क्रूरता की कहानियां छत्तीसगढ़ के जंगलों में मशहूर थीं।

सुकमा-बीजापुर में मुठभेड़: 18 माओवादी ढेर

29 मार्च को सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण को सूचना मिली कि जगदीश और उसके साथी गोगुंडा, नेंडम और उपमपल्ली गांवों के आसपास के जंगलों में छिपे हैं। यह इलाका केरलपोल पुलिस स्टेशन से 50 किलोमीटर और दंतेवाड़ा बॉर्डर से 20 किलोमीटर दूर है। डीआरजी और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम ने शुक्रवार को ऑपरेशन शुरू किया। सुकमा के गोगुंडा हिल रेंज में सुबह 8 बजे माओवादियों ने सुरक्षाबलों पर हमला कर दिया, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में 18 माओवादी मारे गए। मुठभेड़ में चार जवान घायल हुए, जिनमें तीन डीआरजी और एक सीआरपीएफ से थे। घायलों को भारतीय वायुसेना ने जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
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जंगल की चुनौतियां: माइंस और घने जंगल

सुकमा के पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने बताया कि मुठभेड़ का इलाका बेहद दुर्गम था। गोगुंडा हिल रेंज में घने जंगल और पहाड़ी इलाके ने सुरक्षाबलों के लिए चुनौतियां खड़ी कीं। बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी. ने कहा, “माओवादियों ने जंगल में भारी मात्रा में माइंस बिछा रखी थीं, जिसे पार करना सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती थी।” इसके बावजूद, सुरक्षाबलों ने रणनीति के साथ माओवादियों को घेर लिया। मुठभेड़ के बाद 17 माओवादियों के शव बरामद किए गए, जिनमें 11 महिलाएं थीं। जगदीश के अलावा छह अन्य बड़े माओवादी नेताओं की पहचान क्षेत्र कमेटी सदस्यों के रूप में की गई।

माओवादी आंदोलन को झटका: 2025 में 134 माओवादी ढेर

इस मुठभेड़ के साथ ही छत्तीसगढ़ में 2025 में अब तक 134 माओवादी मारे जा चुके हैं, जिनमें से 117 बस्तर क्षेत्र से हैं। सुकमा के पड़ोसी जिले बीजापुर में टेकमेटा और नरसापुर में एक और मुठभेड़ में एक माओवादी मारा गया। यह ऑपरेशन माओवादी संगठन के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि जगदीश न केवल एक बड़ा नेता था, बल्कि वह चतिया नट्या मंडल (सीपीएम) के किसानों की विंग का भी प्रभारी था। उसकी पत्नी, जो खुद भी एक माओवादी थी, इस मुठभेड़ में मारी गई।

माओवादियों का गुप्त ठिकाना: सुरक्षाबलों की रणनीति

सुरक्षाबलों को सूचना मिली थी कि माओवादी एक गुप्त बैठक कर रहे थे। इस बैठक में जगदीश और उसके साथी भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए जुटे थे। माओवादियों ने इस इलाके को अपने ठिकाने के रूप में चुना था, क्योंकि घने जंगल और पहाड़ी इलाके उन्हें छिपने में मदद करते थे। लेकिन सुरक्षाबलों ने अपनी रणनीति और स्थानीय खुफिया जानकारी के दम पर इस ठिकाने को ध्वस्त कर दिया। मुठभेड़ के बाद इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई और माओवादी वहां छिपा न हो।

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