रेलवे टिकट बुकिंग में बड़ा बदलाव
रेलवे ने यात्रियों के लिए टिकट बुकिंग नियमों में व्यापक बदलाव किए हैं, जो 1 मई से प्रभावी हो गए हैं। अब वेटिंग टिकट धारकों के लिए स्लीपर और एसी कोच में यात्रा करना संभव नहीं होगा। केवल जनरल कोच में ही वेटिंग टिकट मान्य होंगे। इस फैसले का मकसद रेलवे में भीड़ को नियंत्रित करना और कन्फर्म टिकट धारकों को बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित करना है। इसके अलावा, एडवांस रिजर्वेशन पीरियड (ARP) को भी 120 दिन से घटाकर 60 दिन कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब आप केवल दो महीने पहले तक की टिकट बुक कर सकेंगे। रेलवे ने किराए और रिफंड से जुड़े नियमों में भी बदलाव की संभावना जताई है। तीन प्रमुख चार्जेज में वृद्धि की जा सकती है, जिससे टिकट रद्द करने की लागत बढ़ सकती है। ये बदलाव यात्रियों के लिए यात्रा की योजना बनाने और टिकट बुकिंग के दौरान अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत को रेखांकित करते हैं। खासकर लंबी दूरी की यात्रा करने वालों को अब पहले से ज्यादा सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि वेटिंग टिकट की सुविधा सीमित हो गई है।
Earthquake: रात के अंधेरे में डोलने लगी पाकिस्तान की धरती, घरों से निकल कर दौड़े लोग
एटीएम लेनदेन पर बढ़ा शुल्क
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के नए दिशानिर्देशों के तहत 1 मई से एटीएम लेनदेन के नियमों में भी बदलाव हुआ है। मुफ्त लेनदेन की सीमा पार होने पर अब ग्राहकों को नकदी निकासी, जमा करने या बैलेंस चेक करने के लिए अतिरिक्त शुल्क देना होगा। पंजाब नेशनल बैंक (PNB), HDFC जैसे प्रमुख बैंकों ने अपने शुल्क संरचना में संशोधन कर दिया है। नए नियमों के तहत:
- कैश निकासी: प्रति लेनदेन शुल्क 23 रुपये होगा।
- बैलेंस चेक: शुल्क 6 रुपये से बढ़कर 7 रुपये प्रति लेनदेन हो गया है।
- गैर-वित्तीय लेनदेन: PNB जैसे बैंक अब 11 रुपये प्रति लेनदेन चार्ज करेंगे।
ये बढ़े हुए शुल्क उन लोगों के लिए चुनौती बन सकते हैं जो बार-बार एटीएम का उपयोग करते हैं। ग्राहकों को अब अपने मासिक मुफ्त लेनदेन की सीमा का ध्यान रखना होगा, ताकि अनावश्यक खर्च से बचा जा सके।
11 राज्यों में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का विलय
1 मई, 2025 से 11 राज्यों में 15 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) का विलय शुरू हो गया है। केंद्र सरकार की ‘एक राज्य, एक RRB’ नीति के तहत यह कदम उठाया गया है, जिसके बाद देश में RRB की संख्या 43 से घटकर 28 रह जाएगी। इस विलय का उद्देश्य बैंकों की परिचालन दक्षता को बढ़ाना, लागत को कम करना और ग्राहकों को बेहतर डिजिटल व कस्टमर सर्विस प्रदान करना है। इस बदलाव से ग्राहकों को किसी तरह की असुविधा नहीं होगी, क्योंकि बैंक की शाखाओं की संख्या में कोई कमी नहीं आएगी। केवल बैंक का नाम बदलेगा, और सेवाएं पहले से अधिक मजबूत होंगी। जिन ग्राहकों का खाता इन बैंकों में है, उन्हें अपने खाते के विवरण या लेनदेन में कोई बदलाव नहीं करना होगा। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं को और सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।