scriptOperation Sindoor: कारगिल युद्ध से 3.6 गुना ज्यादा आएगा लड़ाई पर खर्चा, जानिए किसने कितना खोया? | Operation Sindoor: cost of this war will be 3.6 times more than Kargil war, know who lost how much | Patrika News
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Operation Sindoor: कारगिल युद्ध से 3.6 गुना ज्यादा आएगा लड़ाई पर खर्चा, जानिए किसने कितना खोया?

Operation Sindoor: विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की लगातार उकसावे वाली कार्रवाई का जवाब देना भारत के लिए जरूरी है, लेकिन इस रणनीतिक जवाब के साथ-साथ आर्थिक पहलुओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पढ़िए आशीष दीप की खास रिपोर्ट…

भारतMay 12, 2025 / 11:51 am

Shaitan Prajapat

Operation Sindoor: भारत ने पहलगाम आतंकी हमले का पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दिया है। इसके बाद पाकिस्तान ने घबराकर सीजफायर की पेशकश की, लेकिन कुछ ही घंटों में फिर से गोलाबारी शुरू कर दी, जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान की लगातार उकसावे वाली कार्रवाई का जवाब देना भारत के लिए जरूरी है, लेकिन इस रणनीतिक जवाब के साथ-साथ आर्थिक पहलुओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। रूस-यूक्रेन युद्ध, गाजा संघर्ष और अन्य वैश्विक सैन्य टकरावों ने यह साबित किया है कि युद्ध सिर्फ सीमा तक सीमित नहीं रहता, उसका असर अर्थव्यवस्था, बाजार और आम आदमी की जेब पर पड़ता है।

युद्ध की कीमत: किसने क्या खोया?

भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक चार युद्ध हो चुके हैं – 1947, 1965, 1971 और 1999 का कारगिल युद्ध। कुछ रिपोर्टों के मुताबिक, कारगिल युद्ध के दौरान भारत को रोजाना करीब 1,460 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे, जबकि पाकिस्तान ने लगभग 370 करोड़ रुपये खर्च किए।
संयुक्त राष्ट्र के फॉरेन अफेयर्स फोरम के अनुसार, मौजूदा परिस्थितियों में युद्ध छिड़ने पर भारत का दैनिक खर्च 1,460 से लेकर 5,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यानी, अगर यह टकराव लंबा खिंचता है, तो वित्तीय स्थिति पर भारी दबाव पड़ सकता है।

बाजार पर असर: क्या कहता है इतिहास?

ऐसे तनावपूर्ण हालात का सीधा असर शेयर बाजारों पर भी पड़ता है। पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान का भारत को निर्यात 550 मिलियन डॉलर से घटकर सिर्फ 4.8 लाख डॉलर रह गया था। हाल के टकराव में पाकिस्तान के कराची स्टॉक एक्सचेंज में 6,500 अंकों की भारी गिरावट देखी गई, जबकि भारतीय बाजारों में मिला-जुला रुख देखने को मिला।
फिनएवेन्यू के फंड मैनेजर अभिषेक जयसवाल का मानना है कि ऐसे समय में भारतीय शेयर बाजार अपेक्षाकृत लचीले रहते हैं। आनंद राठी रिसर्च के मुताबिक युद्ध के दौरान इक्विटी मार्केट में औसतन 7 फीसदी तक का करेक्शन देखा गया है। लेकिन लंबी अवधि में बाजार खुद को स्थिर कर लेता है।

प्रमुख घटनाओं के दौरान Nifty 50 का प्रदर्शन (% में)

घटनातारीख1 माह पहले1 माह बाद3 माह बाद6 माह बाद12 माह बाद
कारगिल युद्ध3 मई 1999–8.3%+16.5%+34.5%+31.6%+29.4%
संसद पर हमला13 दिसंबर 2001+10.1%–0.8%+5.3%–0.8%–1.3%
मुंबई 26/11 आतंकी हमला26 नवंबर 2008+9.0%+3.8%–0.7%+54.0%+81.9%
उड़ी हमला व सर्जिकल स्ट्राइक18 सितंबर 2016+1.3%–1.2%–7.3%+4.3%+15.6%
पुलवामा हमला व बालाकोट एयर स्ट्राइक14 फरवरी 2019–1.3%+6.3%+3.8%+1.7%+12.7%
सोर्स – फिनएवेन्यू
इन आंकड़ों से यह साफ हो जाता है कि भले ही शॉर्ट टर्म में बाजार में उतार-चढ़ाव आया, लेकिन मिड से लॉन्ग टर्म में वह संभल जाता है। मुंबई हमले और कारगिल युद्ध के बाद 12 महीनों में निफ्टी ने बेहतरीन रिटर्न दिए। लेकिन इस समय पाकिस्तान के लिए लड़ना उसे गर्त में ढकेलने वाला होगा।
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सीमा पर ‘सीजफायर’, घर में सियासी ‘युद्ध’ शुरू

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना के सिंदूर ऑपरेशन के दौरान देश के सभी दल राजनीतिक मतभेदाें से उपर उठकर सेना व सरकार के साथ एकजुट खड़े रहे। अब भारत-पाक के बीच ‘सीजफायर’ होने पर राजनीतिक दलों के बीच सियासी ‘युद्ध’ का आगाज हो गया। दरअसल, अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के दोनों देशों के सीजफायर पर सहमति की सबसे पहले घोषणा से भारत में सियासत गरमा गई है। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल सीजफायर में अमरीका से कथित मध्यस्थता की ओर इशारा करते हुए पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और 1971 के घटनाक्रम को याद कर रहे हैं। विपक्षी दलों ने संसद का विशेष सत्र बुलाकर ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर के बारे में चर्चा की मांग की है। भाजपा पलटवार कर कह रही है यह 2025 है, 1971 नहीं है। आज पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार हैं, फिर भी भारत ने उसके क्षेत्र में गहराई से और बार-बार हमला किया है। भाजपा ने कहा कि सीजफायर समझौता नहीं, सिर्फ विराम है।
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भारत ने परमाणु देश में घुसकर आतंकी ठिकाने उड़ाए – मालवीया

भाजपा आइटी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित मालवीया का कहना है कि 1971 में पाकिस्तान का उसके ही देश (जो अब बांग्लादेश) में विरोध था। 2025 में ऐसा नहीं है। पाकिस्तानी सेना की अपनी आबादी पर पकड़ है और नेशनल नेरेटिव पर नियंत्रण है। इन कठिन हालात के बावजूद भारत ने आतंकी शिविरों को समाप्त किया। मालवीया ने फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ के पुराने साक्षात्कार का वीडियो जारी कर आरोप लगाया कि तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने मॉस्को व वाशिंगटन के दबाव में पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध के बाद शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए। युद्ध पाक सेना के आत्मसमर्पण के साथ समाप्त हो गया था लेकिन भारत ने एक भी रणनीतिक लाभ हासिल किए बिना 99,000 युद्धबंदियों को रिहा किया।

इंदिरा के खत के 4 दिन बाद पाक का सरेंडर – जयराम

कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने दिवगंत इंदिरा गांधी का एक खत जारी करते हुए कहा कि12 दिसंबर 1971 को इंदिरा गांधी ने ये खत अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन को लिखा था। इसके चार दिन बाद पाकिस्तान ने सरेंडर कर दिया था। तब इंदिरा ने निक्सन से कहा था कि हमारी रीढ़ की हड्डी सीधी है। हमारे पास इच्छाशक्ति और संसाधन हैं कि हम हर अत्याचार का सामना कर सकते हैं। वो वक्त चला गया, जब कोई देश तीन-चार हजार मील दूर बैठकर ये आदेश दे कि भारतीय उसकी मर्जी के हिसाब से चलें।

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