स्पेक्ट्रम और इन्फ्रास्ट्रक्चर की तैयारी
मंजूरी के बाद स्टारलिंक को अब सरकार से स्पेक्ट्रम आवंटन प्राप्त करना होगा और अपनी सेवाओं के लिए जमीनी इन्फ्रास्ट्रक्चर स्थापित करना होगा। दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने सुरक्षा अनुपालन के लिए स्टारलिंक को ट्रायल स्पेक्ट्रम प्रदान करने की तैयारी कर ली है। इस प्रक्रिया के पूरा होने पर कंपनी कुछ महीनों के भीतर भारत में सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सर्विस शुरू कर सकती है।
वीसैट प्रोवाइडर्स के साथ साझेदारी
स्टारलिंक ने भारत में वीसैट (वेरी स्मॉल अपर्चर टर्मिनल) सेवा प्रदाताओं के साथ पहले ही व्यावसायिक समझौते कर लिए हैं। वीसैट प्रोवाइडर्स उन क्षेत्रों में उपग्रह-आधारित इंटरनेट और संचार समाधान प्रदान करते हैं, जहां स्थलीय कनेक्टिविटी सीमित या उपलब्ध नहीं है। यह साझेदारी स्टारलिंक को ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंच बढ़ाने में मदद करेगी।
केंद्रीय मंत्री का बयान
केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले सप्ताह कहा था कि स्टारलिंक की भारत में सेवा शुरू करने के लिए सभी आवश्यक जांच पूरी हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि स्पेस रेगुलेटर से आवश्यक नियामक और लाइसेंसिंग मंजूरी मिलने के बाद कंपनी जब चाहे अपनी सेवाएं शुरू कर सकती है। इन-स्पेस ने मंजूरी से पहले स्टारलिंक को लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) भी जारी किया था।
स्टारलिंक का नेटवर्क
स्टारलिंक पृथ्वी की निचली कक्षा में 6,750 से अधिक सैटेलाइट्स के नेटवर्क के माध्यम से हाई-स्पीड इंटरनेट प्रदान करता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा सैटेलाइट नेटवर्क है। कंपनी वर्तमान में मंगोलिया, जापान, फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया, जॉर्डन, यमन, अजरबैजान और श्रीलंका जैसे कई देशों में अपनी सेवाएं दे रही है। भारत में स्टारलिंक की एंट्री से देश के डिजिटल कनेक्टिविटी परिदृश्य में क्रांतिकारी बदलाव की उम्मीद है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां इंटरनेट पहुंच अभी भी एक चुनौती है।
डिजिटल इंडिया को मजबूती
स्टारलिंक की भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू होने से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी का अंतर कम होने की संभावना है। कंपनी की उन्नत तकनीक और वैश्विक अनुभव भारत के डिजिटल इंडिया मिशन को और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अगले कुछ महीनों में स्पेक्ट्रम आवंटन और इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार होने के बाद स्टारलिंक की सेवाएं भारतीय उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध हो सकती हैं।
Starlink कैसे काम करेगा?
स्टारलिंक, स्पेसएक्स की सैटेलाइट-आधारित इंटरनेट सेवा, पृथ्वी की निचली कक्षा में 6,750 से अधिक सैटेलाइट्स के नेटवर्क के माध्यम से हाई-स्पीड इंटरनेट प्रदान करती है। ये सैटेलाइट्स लेजर लिंक के जरिए एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, जिससे डेटा तेजी से प्रसारित होता है। उपयोगकर्ताओं को स्टारलिंक किट, जिसमें एक सैटेलाइट डिश, वाई-फाई राउटर और सहायक उपकरण शामिल हैं, स्थापित करना होता है। यह डिश सैटेलाइट्स से सिग्नल प्राप्त करती है और राउटर के माध्यम से घर या कार्यालय में वाई-फाई नेटवर्क बनाती है। यह प्रणाली पारंपरिक फाइबर या केबल पर निर्भर नहीं है, इसलिए ग्रामीण और दूरदराज क्षेत्रों में भी प्रभावी है, जहां यह 25-220 Mbps की स्पीड और 20-40 मिलीसेकंड की लेटेंसी प्रदान कर सकती है।
भारत में स्टारलिंक की कीमत
भारत में स्टारलिंक की आधिकारिक कीमत की घोषणा अभी बाकी है, लेकिन अनुमानों के अनुसार, स्टारलिंक किट (डिश और राउटर) की लागत ₹30,000-₹33,000 हो सकती है। मासिक शुल्क ₹3,000 से ₹4,200 के बीच हो सकता है, जिसमें असीमित डेटा शामिल होगा, हालांकि शुरुआती प्रचार ऑफर में यह ₹850 तक कम हो सकता है। अतिरिक्त शुल्क जैसे 4% AGR, 8% लाइसेंस शुल्क, और शहरी उपयोगकर्ताओं के लिए ₹500 का सरचार्ज भी लागू हो सकता है। यह कीमत पारंपरिक ब्रॉडबैंड (₹300 से शुरू) से अधिक है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी के लिए स्टारलिंक एक आकर्षक विकल्प हो सकता है।