scriptलाल किले पर दावा करने वाली महिला की याचिका Supreme Court ने की खारिज, खुद को बताया था बहादुर शाह जफर की वारिस | Supreme Court rejects plea of woman who claimed Red Fort possession-claiming, she claimed herself to be heir of Bahadur Shah Zafar | Patrika News
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लाल किले पर दावा करने वाली महिला की याचिका Supreme Court ने की खारिज, खुद को बताया था बहादुर शाह जफर की वारिस

Sultana Begam Red Fort petition: लाल किले पर दावा करने वाली महिला की याचिका ख़ारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “केवल लाल किला ही क्यों? फतेहपुर सीकरी और दूसरी जगहों पर दावा क्यों छोड़ दिया?”

भारतMay 05, 2025 / 12:40 pm

Devika Chatraj

SC on Lal Qila: दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले (Red Fort) पर मालिकाना हक का दावा करने वाली सुल्ताना बेगम (Sultana Begam) की याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया है। सुल्ताना बेगम ने खुद को आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर (द्वितीय) के परपोते मिर्जा मोहम्मद बेदार बख्त की विधवा और कथित कानूनी उत्तराधिकारी बताया था। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मजेदार टिप्पणी के साथ याचिका को खारिज किया।

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सुल्ताना बेगम ने किय दावा

सुल्ताना बेगम ने अपनी याचिका में दावा किया था कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लाल किले पर जबरन कब्जा कर लिया था और उनके परिवार की संपत्ति छीन ली थी। उन्होंने कहा कि लाल किला उनके पूर्वज बहादुर शाह जफर से विरासत में मिला है, और भारत सरकार ने इस पर अवैध कब्जा कर रखा है। याचिका में सुल्ताना ने लाल किले का मालिकाना हक मांगा था।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

मामले की सुनवाई के दौरान, मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना ने याचिका पर सुनवाई करते हुए चुटकी ली और कहा, “केवल लाल किला ही क्यों? फतेहपुर सीकरी और दूसरी जगहों पर दावा क्यों छोड़ दिया?” कोर्ट ने याचिका को अत्यधिक देरी के आधार पर खारिज कर दिया। इससे पहले, दिसंबर 2021 में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी सुल्ताना की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि 150 साल से अधिक की देरी का कोई औचित्य नहीं है, और उनके पास यह साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं है कि उनका बहादुर शाह जफर से संबंध है।

क्या था सुल्ताना बेगम का दावा?

सुल्ताना बेगम ने दावा किया कि 1857 में ब्रिटिशों ने बहादुर शाह जफर को हुमायूं के मकबरे से गिरफ्तार कर रंगून (अब यांगून, म्यांमार) निर्वासित कर दिया था, जहां 1862 में उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने कहा कि ब्रिटिशों ने लाल किले पर कब्जा कर शाही खजाने की लूटपाट की और मुगल झंडे की जगह यूनियन जैक लहराया। सुल्ताना ने खुद को मिर्जा मोहम्मद बेदार बख्त की पत्नी बताया, जिनका निधन 22 मई 1980 को हुआ था।

हाई कोर्ट ने भी दी थी टिप्पणी

दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस रेखा पल्ली ने सुल्ताना की याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा था, “मेरा इतिहास का ज्ञान कमजोर है, लेकिन 1857 में आपके साथ अन्याय हुआ, तो 150 साल की देरी क्यों? इतने सालों तक आप क्या कर रही थीं?” कोर्ट ने यह भी कहा कि सुल्ताना ने उत्तराधिकार की वंशावली साबित करने के लिए कोई दस्तावेज या चार्ट पेश नहीं किया।

लाल किले का ऐतिहासिक महत्व

लाल किला, जिसे 1638 में मुगल बादशाह शाहजहां ने बनवाया था, मुगल वास्तुकला का प्रतीक है। 1857 के विद्रोह में यह क्रांतिकारियों का केंद्र रहा, और बहादुर शाह जफर को यहीं मुकदमा चलाकर निर्वासित किया गया था। 2007 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया। वर्तमान में लाल किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है और भारत का राष्ट्रीय गौरव माना जाता है।

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