तेलंगाना सुरंग में फंसी 8 जिंदगियां
एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट सुखेंदु दत्ता ने बताया कि बचाव दल ने मुख्य रूप से लोकोमोटिव और कन्वेयर बेल्ट का उपयोग करते हुए सुरंग के अंदर लगभग 13.5 किलोमीटर की दूरी तय की है। मीडिया से बात करते हुए सुखेंदु दत्ता ने बतया कि शनिवार रात करीब 10 बजे हम यह देखने के लिए अंदर गए कि स्थिति क्या है। सुरंग के अंदर जाने के लिए इंजनों का इस्तेमाल किया गया था। सुरंग के गेट से हमने कुल मिलाकर लगभग 13.5 किमी की दूरी तय की। हमने ट्रेन से 11 किमी की दूरी तय की और फिर हमने शेष 2 किमी कन्वेयर बेल्ट और पैदल चलकर तय किया। श्रमिकों से सिर्फ 200 मीटर दूर
अधिकारी ने कहा कि ढह गए हिस्से का अंतिम 200 मीटर मलबे से पूरी तरह बंद है, जिससे फंसे हुए श्रमिकों की स्थिति या सटीक स्थान की पुष्टि करना मुश्किल हो गया है। हम सुरंग बोरिंग मशीन, टीबीएम के अंत तक पहुंच गए थे। हमने आवाज दी और फंसे हुए श्रमिकों से कोई जवाब नहीं मिला। लगभग 200 मीटर का एक पैच है जो मलबे से भरा है। एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट ने कहा कि जब तक मलबा साफ नहीं हो जाता, हम पीड़ितों की सही स्थिति नहीं जान सकते।
युद्ध स्तर पर बचाव कार्य जारी
प्रतिक्रिया बल वर्तमान में सुरंग के अंदर जमा पानी को निकालने का काम कर रहा है। अधिकारी ने कहा कि 11 से 13 किलोमीटर के बीच का हिस्सा पानी से भरा हुआ है, इसलिए अभी हम पानी निकालने की प्रक्रिया में हैं। जब यह काम पूरा हो जाएगा, तो हम बचाव अभियान शुरू करेंगे। इससे पहले आज एनडीआरएफ और एसडीआरएफ दोनों टीमों को ढहे हुए हिस्से तक पहुंचने में गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
घुटनों तक भरा है कीचड़
एसडीआरएफ के एक अधिकारी ने कहा कि सुरंग के अंदर मौके पर जाने का कोई मौका नहीं है। यह पूरी तरह से ढह गई है और घुटनों तक कीचड़ भरा हुआ है। हमें एक और कदम उठाना होगा। आपको बता दें कि तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में डोमलपेंटा के पास एसएलबीसी सुरंग के निर्माणाधीन हिस्से की छत का तीन मीटर हिस्सा 14 किलोमीटर के निशान पर ढह गया। लंबे अंतराल के बाद निर्माण कार्य फिर से शुरू होने के ठीक चार दिन बाद यह ढह गई। जबकि कुछ श्रमिक भागने में सफल रहे, आठ अभी भी फंसे हुए हैं।