सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव को किया तलब
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उदासीनता पर सवाल उठाते हुए सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव समेत अधिकारियों को तलब किया है। अब उन्हें 28 अप्रैल को पेश होकर चूक का कारण बताना है। जस्टिस अभय एस. ओका ने कहा कि यह सरकार का वैधानिक दायित्व है, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया गया। SC ने 14 मार्च तक लागू करने के दिए थे निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने पहले सरकार को 14 मार्च 2025 तक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया गया। कोर्ट ने इस योजना के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार से जुड़ा मसला है।
‘अवमानना का नोटिस करेंगे जारी’
जस्टिस ओका ने सुनवाई करते हुए कहा कि हमारा यह लंबा अनुभव रहा है। जब हमारे यहां शीर्ष अधिकारी आते हैं, तभी वे कोर्ट के आदेशों को गंभीरता से लेते हैं। अन्यथा वे आदेशों को गंभीरता से नहीं लेते हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर हमें पता चला कि कोई प्रगति नहीं हुई तो हम अवमानना का नोटिस जारी करेंगे। लोगों की मौत हो रही है क्योंकि कोई इलाज नहीं है।
‘लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती है’
पीठ ने कहा कि सड़क दुर्घटना के मामले में आसपास खड़े लोग, पुलिस और अस्पताल भी कभी-कभी दूसरे के पहल का इंतजार करते हैं, खासकर ऐसे मामलों में जहां पर इलाज में पैसे बहुत अधिक खर्च होते है। न्यायमूर्ति ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इससे लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती है। क्या होता है गोल्डन ऑवर?
सड़क दुर्घटना में “गोल्डन ऑवर” एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो दुर्घटना के बाद पहले एक घंटे को संदर्भित करता है। यह वह समय होता है जिसमें घायल व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने से उसकी जान बचने की संभावना सबसे अधिक होती है।