script‘मस्जिद और चर्च सरकार के अधीन नहीं, तो हिंदुओं के साथ यह भेदभाव क्यों’ हिंदू मंदिरों को लेकर VHP देशभर में शुरू करेगी अभियान | When no mosque or church is under the government, then why this discrimination against Hindus? VHP will start a nationwide campaign regarding Hindu temples, first meeting will be held on January 5 | Patrika News
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‘मस्जिद और चर्च सरकार के अधीन नहीं, तो हिंदुओं के साथ यह भेदभाव क्यों’ हिंदू मंदिरों को लेकर VHP देशभर में शुरू करेगी अभियान

VHP Campaign: विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने गुरुवार को हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए 5 जनवरी, 2025 से देशव्यापी जन जागरण अभियान की घोषणा की।

नई दिल्लीDec 27, 2024 / 06:16 pm

Akash Sharma

Milind Parande

Milind Parande

VHP Campaign: विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने गुरुवार को हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए 5 जनवरी, 2025 से देशव्यापी जन जागरण अभियान की घोषणा की। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए विहिप के संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे (Milind Parande) ने कहा कि सभी राज्य सरकारों को मंदिरों के नियंत्रण, प्रबंधन और दैनिक कार्यों से खुद को अलग कर लेना चाहिए क्योंकि ऐसी गतिविधियां हिंदू समाज के प्रति भेदभावपूर्ण हैं। मिलिंद परांडे ने पूछा, “जब कोई मस्जिद या चर्च सरकार के अधीन नहीं है, तो हिंदुओं के साथ यह भेदभाव क्यों?”

5 जनवरी से शुरू होगा अभियान

VHP के संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने कहा, “पूज्य संत समाज और हिंदू समाज के प्रमुख लोगों के नेतृत्व में हम 5 जनवरी को देशव्यापी जन जागरण अभियान शुरू करने जा रहे हैं। इस अखिल भारतीय अभियान का आह्वान आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आयोजित होने वाले ‘हैंदव शंखारावम’ नामक लाखों लोगों की एक विशेष सभा में किया जाएगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजादी के बाद कई मंदिर जिन्हें हिंदू समाज को सौंप दिया जाना चाहिए था, उन्हें राज्य सरकारों के अधीन रखा गया।’ उन्होंने कहा कि मंदिरों की मुक्ति के लिए यह अखिल भारतीय जागरण अभियान, इन मंदिरों की चल-अचल संपत्तियों की रक्षा करने और उनका हिंदू समाज की सेवा और धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए समुचित उपयोग करने के लिए हिंदू समाज का जागरण शुरू हो गया है।

प्रोटोकॉल का अध्ययन करने के बाद तैयार किया मसौदा

मिलिंद परांडे ने कहा, ‘मंदिरों के प्रबंधन और नियंत्रण का काम अब हिंदू समाज के समर्पित और योग्य लोगों को सौंप दिया जाना चाहिए। इसके लिए हमने सुप्रीम कोर्ट के प्रतिष्ठित वकीलों, उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों, संत समाज के प्रमुख लोगों और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं का एक थिंक टैंक बनाया है, जिसने मंदिरों के प्रबंधन और इससे जुड़े किसी भी तरह के विवाद को सुलझाने के प्रोटोकॉल का अध्ययन करने के बाद एक मसौदा तैयार किया है।’

मंदिर हिंदू समाज को लौटाने के ये हैं प्रोटोकॉल

मिलिंद परांडे ने कहा कि इस बात को भी ध्यान में रखा गया है कि सरकारें जब मंदिर समाज को लौटाएंगी, तो उसे स्वीकार करने के लिए क्या प्रोटोकॉल होंगे और किन प्रावधानों के तहत ऐसा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसीलिए संवैधानिक पदों पर बैठे कुछ लोग राज्य स्तर पर धार्मिक परिषद का गठन करेंगे, जिसमें प्रतिष्ठित धर्माचार्य, सेवानिवृत्त न्यायाधीश और सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी तथा समाज के अन्य प्रतिष्ठित लोग शामिल होंगे, जो हिंदू धर्मग्रंथों और आगम शास्त्रों और अनुष्ठानों के विशेषज्ञ हैं।

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