रंगपंचमी से रंगतेरस तक होती है विशेष पूजा
बिल्लम बावजी की मूर्ति जावद नगर के श्री रिद्धिसिद्धि गणपति मंदिर में विराजित रहती है। परंपरा के अनुसार, रंगपंचमी के दिन इस मूर्ति को विशेष अनुष्ठान के साथ बाहर निकाला जाता है और नगर भ्रमण कराया जाता है। इसके बाद 9 दिनों तक भक्तजन उनकी विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं और कुंवारे युवक-युवतियां शादी की मनोकामना लेकर उनके दर्शन के लिए आते हैं। यह भी पढ़े –
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नगर के वरिष्ठ श्रद्धालु प्रवीण सोनी और राजेंद्र बोहरा बताते हैं कि वर्षों से इस परंपरा का पालन किया जा रहा है। पहले यहां श्रद्धालुओं की संख्या कम हुआ करती थी, लेकिन अब हर साल हजारों की संख्या में कुंवारे युवक-युवतियां, उनके माता-पिता और परिजन बिल्लम बावजी के दर्शन के लिए आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिन्होंने भी सच्चे मन से यहां मन्नत मांगी है, उनकी शादी शीघ्र हो गई है।
भक्तों की बढ़ रही आस्था
स्थानीय रहवासियों के अनुसार, बिल्लम बावजी के आशीर्वाद से अब तक सैकड़ों कुंवारों के विवाह हो चुके हैं। यही कारण है कि उनकी ख्याति लगातार बढ़ रही है और हर साल देशभर से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इस वर्ष भी 19 मार्च से 27 मार्च तक बिल्लम बावजी के दर्शन और पूजा-अर्चना की जाएगी। इस दौरान नगर में भक्तों का भारी उत्साह देखने को मिलेगा। अगर आप भी अपने या अपने परिजनों के विवाह की मन्नत मांगना चाहते हैं, तो इस शुभ अवसर पर जावद के बिल्लम बावजी के दर्शन कर सकते हैं।