ईडी ने दर्ज किए मॉडल्स के बयान
ईडी के सूत्रों ने बताया कि नोएडा में कपल ने ‘
सबडिजी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड‘ नाम की एक कंपनी रजिस्टर कर रखी थी, जो अश्लील वीडियो बनाने और बेचने का काम करते पकड़ी गई। आरोपियों ने साइप्रस की ‘टेक्नियस लिमिटेड’ नाम की कंपनी से करार किया था। यह कंपनी अंतरराष्ट्रीय पोर्नोग्राफिक साइट्स का संचालन करती है। यह कपल नोएडा में देसी पोर्न कंटेंट तैयार कर विदेश भेजता था। इसके बदले में विदेशी साइट्स से उन्हें बड़ी रकम बैंक खाते में मिलती थी। ईडी ने कुछ मॉडल्स के बयान भी दर्ज किए हैं। इन मॉडल्स ने दंपति के लिए काम किया था और वीडियो में दिखाई दी थीं। ईडी ने यह छापेमारी FEMA के नियमों के उल्लंघन के तहत की है।
मार्केट रिसर्च के नाम पर कंपनी, असली धंधा कुछ और…
‘सबडिजी वेंचर्स’ के बैंक खातों में लगातार विदेश से बड़ी रकम ट्रांसफर हो रही थी। कंपनी की तरफ से यह दिखाया जाता था कि वह विज्ञापन, मार्केट रिसर्च और जनमत सर्वेक्षण (पब्लिक ओपिनियन पोल) जैसे वैध काम कर रही है। लेकिन जब ईडी को विदेशी मुद्रा कानून (FEMA) के उल्लंघन का शक हुआ और जांच शुरू की गई तो सारा सच सामने आ गया। सूत्रों का कहना है कि ईडी की जांच में पता चला कि सबडिजी कंपनी और उसके डायरेक्टर्स के खातों में विदेशों से करीब 15.66 करोड़ रुपये आए हैं। इसके अलावा, नीदरलैंड्स में भी एक बैंक अकाउंट का पता चला है। जिसमें से करीब 7 करोड़ रुपये भारत भेजे गए थे। यह रकम इंटरनेशनल डेबिट कार्ड्स के जरिए कैश में निकाली जा चुकी है। अब तक कुल 22 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई का खुलासा हो चुका है।
मॉडलिंग का झांसा, अश्लीलता का जाल
यह कपल सोशल मीडिया पर मॉडलिंग में करियर बनाने के सपने दिखाकर लड़कियों को अपने जाल में फंसाता था। इंस्टाग्राम, फेसबुक और कुछ वेबसाइट्स पर विज्ञापन देकर मॉडलिंग की शौकीन युवतियों को बुलाया जाता था। जब लड़कियां संपर्क करतीं तो उन्हें तगड़ी कमाई का लालच देकर पोर्न वीडियोज और वेबकैम शो का हिस्सा बना लिया जाता था। अडल्ट कंटेंट से मिलने वाली कमाई में से 25 फीसदी हिस्सा मॉडल्स को दिया जाता था। जबकि बाकी पैसा आरोपी खुद रख लेते थे। ईडी की टीम को छापेमारी के दौरान कुछ मॉडल्स लाइव शो करते हुए मिलीं। एजेंसी ने उनसे पूछताछ भी की और उनके बयान दर्ज किए हैं।
रूस में भी पोर्न सिंडीकेट का हिस्सा रह चुके हैं आरोपी
सूत्रों की मानें तो मुख्य आरोपी पहले रूस में पोर्नोग्राफी सिंडिकेट का हिस्सा रह चुका है। पांच साल से भारत आकर पत्नी के साथ मिलकर पोर्नाेग्राफी का रैकेट चला रहा था। गिरोह इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर भी जुड़कर काम कर रहा है। आरोपी विदेशी कंपनियों से विज्ञापन व मार्केट रिसर्च के नाम पर धनराशि को मंगाते थे। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि इनके पास हवाला, साइबर ठगी या अन्य अवैध गतिविधियों से भी तो धनराशि नहीं आ रही थी। बहरहाल अभी ईडी इस मामले की जांच कर रही है। इसमें कई लोगों की गिरफ्तारी भी हो सकती है। FEMA क्या है?
FEMA यानी विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (Foreign Exchange Regulation Act) भारत में विदेशी मुद्रा के लेन-देन को नियंत्रित करता है। यह अधिनियम 29 दिसंबर 1999 को संसद में पारित किया गया था। जो भारत में विदेशी मुद्रा बाजार का प्रबंधन करते हुए अंतर्राष्ट्रीय भुगतान और व्यापार को सुविधाजनक बनाता है। यह अधिनियम सभी भारतीय नागरिकों और भारत में स्थित कंपनियों पर लागू होता है, साथ ही भारत के बाहर रहने वाले भारतीय नागरिकों पर भी लागू होता है जो भारत में निवेश करते हैं या भारत से संबंधित लेन-देन करते हैं। इसकी निगरानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से की जाती है। नोएडा की कंपनी सबडिजी वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड में विदेशों से बड़ी रकम ट्रांसफर होने पर ईडी को अवैध कारोबार का शक हुआ। इसके बाद ये कार्रवाई की गई।