भगवंत सिंह मान पर भी लगाया बड़ा आरोप
मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि यह पूरा प्रकरण एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। जिसका उद्देश्य पंजाब की उपजाऊ कृषि भूमि को बिल्डरों को बेचकर निजी मुनाफा कमाना है। उन्होंने दावा किया कि इस घोटाले को दबाने और CBI जांच से बचने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बीते दिन पहली बार अपने संवैधानिक दायित्वों से पीछे हटते हुए मुख्यमंत्री पद की समस्त प्रशासनिक शक्तियां राज्य के मुख्य सचिव को सौंप दी हैं। मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा “अरविंद केजरीवाल अब लुधियाना में किसानों की 25,000 एकड़ जमीन अवैध रूप से हड़पकर अपने बिल्डर मित्रों को सौंपना चाहते हैं, जो सैकड़ों करोड़ कमाएंगे। यह पंजाब के इतिहास का सबसे बड़ा भूमि घोटाला है। और कल सीबीआई जांच के डर से भगवंत मान ने पहली बार मुख्यमंत्री की शक्तियां मुख्य सचिव को सौंप दी हैं। इससे ज्यादा शर्मनाक और क्या हो सकता है?”
पंजाब के मुख्य सचिव को दी चेतावनी
उन्होंने इस घटनाक्रम को शर्मनाक और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर कुठाराघात करार देते हुए मुख्य सचिव को चेताया कि वह इस कथित भूमि घोटाले में किसी भी प्रकार की भागीदारी से बचें। सिरसा ने कहा, “मैं मुख्य सचिव को आगाह करता हूं कि इस अवैध लूट में सहभागी बनने से बचें, क्योंकि कल आपको भी CBI और ED के समक्ष जवाब देना होगा।” यह मामला अब राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप से आगे बढ़ते हुए प्रशासनिक स्तर पर गंभीर जांच का विषय बन चुका है। यदि आरोपों की पुष्टि होती है, तो यह पंजाब के इतिहास का सबसे बड़ा भूमि घोटाला साबित हो सकता है।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने भी आप पर बोला था तीखा हमला
इससे पहले मई में केंद्रीय रेल और खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू ने लुधियाना के आस-पास के गांवों में 25,000 एकड़ कृषि भूमि अधिग्रहण करने के आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के फैसले पर तीखा हमला किया था। उन्होंने इस कदम को स्थानीय किसानों के लिए विनाशकारी बताया था। साथ ही पंजाब सरकार पर ‘प्रॉपर्टी डीलर्स’ की तरह काम करने का आरोप लगाया था। रवनीत सिंह बिट्टू ने पंजाब कैबिनेट द्वारा मंजूरी प्राप्त भूमि अधिग्रहण प्रस्ताव को तत्काल वापस लेने की मांग भी उठाई थी।
किसानों के लिए कुठाराघात बताई योजना
रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा था कि लुधियाना के 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित पंजाब के सबसे उपजाऊ और उत्पादक क्षेत्रों की लगभग सभी कृषि भूमि का अधिग्रहण करने का निर्णय किसान समुदाय को भारी नुकसान पहुंचाएगा। इस प्रस्ताव को पंजाब के वित्त और आबकारी मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने तैयार किया। बिट्टू ने आगे दावा किया कि यह योजना दिल्ली स्थित आम आदमी पार्टी के नेताओं मनीष सिसोदिया और सतिंदर जैन से प्रभावित है। जिनके बारे में उन्होंने कहा कि वे पंजाब में डेरा डाले हुए हैं और राज्य के शासन में हस्तक्षेप कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि लुधियाना के गांवों में भूमि की कीमत 5 से 10 करोड़ रुपये प्रति एकड़ है। एक बार जब यह भूमि अधिग्रहित हो जाएगी, तो किसानों के पास पुनर्वास या कृषि में अपनी आजीविका बनाए रखने के लिए कोई नजदीकी विकल्प नहीं होगा। बिट्टू ने यह भी बताया कि सरकार द्वारा अधिगृहीत भूमि किसानों के लिए उपयोगी नहीं रहेगी क्योंकि उन्हें लैंड पूलिंग नीति का लाभ नहीं मिलेगा। आवासीय उद्देश्य के लिए प्लॉट केवल भूमि के विकास के बाद ही मिलेगा, और इतनी बड़ी भूमि को विकसित करने में वर्षों का समय लग सकता है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि पंजाब पहले ही अत्यधिक शहरीकरण के प्रभावों से जूझ रहा है, और इतना बड़ा भूमि अधिग्रहण राज्य के पारिस्थितिक असंतुलन को और भी बिगाड़ेगा।
क्या है पंजाब सरकार की जमीन अधिग्रहण वाली योजना?
दरअसल, ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (GLADA) की 18वीं कार्यकारी समिति की बैठक में पंजाब के चार जिलों के 57 गांवों से 24,311 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने की योजना बनाई गई है। इसे पंजाब सरकार की कैबिनेट बैठक से मंजूरी भी मिल गई है। पंजाब सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत लुधियाना जिले के 44 गांवों समेत मोगा, फिरोजपुर और नवांशहर जिलों के गांवों से 24,311 एकड़ जमीन अधिग्रहित की जानी है। GLADA का उद्देश्य इस भूमि का उपयोग शहरी क्षेत्रों के विकास के लिए करना है, लेकिन किसान इस जमीन को अत्यधिक उपजाऊ बताकर अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं। वहीं तमाम राजनीतिक दल भी इसका कड़ा विरोध कर रहे हैं।