आइफोन के बाद क्या? एपल अब उस युग की तैयारी कर रहा है जब आइफोन की जगह कोई नया डिवाइस ले सकता है। कंपनी के सीनियर वाइज प्रेसिडेंट एडी क्यू ने हाल ही में माना कि भविष्य में आइफोन भी आइपॉड की तरह अप्रासंगिक हो सकता है। हालांकि एपल अपनी योजनाओं को आम तौर पर सार्वजनिक नहीं करता, पर स्पष्ट है कि कंपनी मिक्स्ड रियलिटी हैडसेट, स्मार्ट ग्लास या एआइ आधारित नए उपकरणों की दिशा में काम कर रही है। विकसित देशों में आइफोन की मांग स्थिर हो चुकी है और इसके फीचर अब पुराने लगने लगे हैं।
गूगल सर्चः चुनौतीपूर्ण राह गूगल सर्च इंजन जो अब भी 90% बाजार पर कब्जा रखता है, को ओपनएआइ के चैटजीपीटी, गूगल जेमिनी और परप्लेक्सिटी जैसे एआइ टूल्स से कड़ी टक्कर मिल रही है। जब एआइ सर्च की भविष्यवाणी सार्वजनिक हुई, तो अल्फाबेट के शेयरों में 7% गिरावट आई और 200 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। गूगल पर बढ़ते विज्ञापनों और एल्गोरिदम में बदलाव से यूजर्स निराश हैं, जिससे इसकी उपयोगिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
फेसबुकः पकड़ कमजोर, मेटा उलझन में मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने भी माना कि फेसबुक पर दोस्तों से जुड़ाव और सामग्री साझा करने की दर घट रही है। युवा वर्ग का ध्यान अब इंस्टाग्राम और टिकटॉक जैसे प्लेटफॉर्म की ओर है। मेटावर्स, जिसे मेटा ने बड़े सपनों के साथ पेश किया, अपेक्षित असर नहीं छोड़ पाया। इस स्थिति में मेटा को नए रास्ते तलाशने की जरूरत है।
तकनीकी नेतृत्व की दौड़ में नए खिलाड़ी आइफोन, गूगल और फेसबुक का वर्चस्व चुनौतीपूर्ण दौर में है, वहीं ओपनएआइ और एनवीडिया जैसे नए खिलाड़ी तकनीकी नेतृत्व की दौड़ में तेजी से उभर रहे हैं। हालांकि इन पर भी प्रतिस्पर्धा को बाधित करने के आरोप लग रहे हैं, पर स्पष्ट है कि तकनीकी दुनिया एक बड़े बदलाव की ओर अग्रसर है।