पी. एस. विजयराघवन चेन्नई. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मद्रास परिसर के डिस्कवरी परिसर में तैयार 422 मीटर हाइपरलूप ट्रैक तीव्रतम
परिवहन का साधन उपलब्ध कराने की पहली सीढ़ी है। यह यातायात माध्यम दिनों की यात्रा घंटों और घंटों की मिनटों में कराएगा। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आइआइटी मद्रास की अविष्कारहाइपरलूप टीम और ट्यूटर (TuTr) हाइपरलूप स्टार्टअप की साझेदारी से इस नई परिवहन प्रौद्योगिकी के लिए एक मिलियन डॉलर के तीसरे अनुदान की घोषणा की है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साइट एक्स पर साझा पोस्ट में 422 मीटर के इस हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक को तैयार करने वाली टीम को बधाई देते हुए विश्वास जताया है कि यह भविष्य के यातायात को और सुगम बनाएगा। मंत्री के अनुसार शुरुआत में 50 से 60 किमी के रेल खंड में इसे लागू किया जाएगा।
बोर्ड परीक्षा से 20 मिनट पहले पर्चा लीक, किसने किया वायरल……जानकर रह जाएंगे दंग दो साल का समय लगा 422 मीटर हाइपरलूप ट्रैक की तकनीक समेत अन्य सभी आयामों को तैयार करने में करीब दो साल का समय लगा है। पूरे प्रोजेक्ट में सौ से भी अधिक लोग कार्य कर रहे हैं। हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक पर एक पॉड को करीब सौ किमी प्रतिघंटे की गति से दौड़ाया गया। टीम का कहना है कि स्पीड ट्रैक के आकार पर निर्भर करती है। एक बार पूरा ट्रैक बन जाए तो आसानी से 700 से 800 किमी की स्पीड पर आवाजाही संभव है।
बिहार में बजट से पहले बड़ा उलटफेर, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष का गया मंत्री पद, आगे क्या..? हाइपरलूप ट्रैक तकनीक यह युगांतकारी परिवहन प्रणाली होगी जो जो वैक्यूम ट्यूब (निर्वात नली) में विशेष कैप्सूल के जरिए अत्यधिक तेज रफ्तार से यात्रा कराएगी। ट्रैक में निर्वात की िस्थति में हवा रोधी नहीं होती इसलिए यातायात 800 किमी प्रतिघंटा तक संभव है। अमरीका के लास वेगास में वर्जिन हाइपरलूप का टेस्ट 9 नवंबर 2020 को 500 मीटर के ट्रैक पर एक पॉड के साथ आयोजित किया गया था जिसकी गति 161 किलोमीटर प्रति घंटा थी।
व्यावसायिक उपयोग दो वर्षों में प्रणव सिंघल, आविष्कार हाइपरलूप टीम के सदस्य कहते हैं, प्रोटोटाइम पॉड तैयार है। ट्रैक निर्माण का ट्रायल भी हो चुका है। रेल मंत्रालय से भी सहयोग मिल रहा है। सबकुछ ठीक चला तो संभावना है कि डेढ़ से दो साल के भीतर हाइपरलूप ट्रैक का व्यावसायिक उपयोग शुरू हो जाएगा।
कहां से होगी शुरुआत शुरुआत में कार्गो की आवाजाही में इसका उपयोग होने के संकेत हैं। साथ ही यह ट्रैक कहां बिछाया जाएगा इस पर िस्थति अस्पष्ट है। संभवत: यह दो बंदरगाहों, शहर के भीतर के ही दो स्थानों, राज्य के अंदर ही दो शहरों को जोड़ेगा।