scriptकिड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 16 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां | Kids Corner: Look at the picture, write a story 16 …. Interesting stories written by children | Patrika News
समाचार

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 16 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 16 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

जयपुरFeb 08, 2025 / 11:01 am

sangita chaturvedi

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 16 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 16 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

परिवार परिशिष्ट (29 जनवरी 2025) के पेज 4 पर किड्स कॉर्नर में चित्र देखो कहानी लिखो 16 में भेजी गई कहानियों में कुमुद कंवर, अनीष खेतान और गौरीश गुप्ता क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेता रहे। इनके साथ सराहनीय कहानियां भी दी जा रही हैं।
हरा पेड़ और लकड़हारा
हमेशा की तरह कल्लू लकड़हारा जंगल में लकड़ी काटने गया। वहां उसने एक बड़ा बरगद का पेड़ देखा। उसे देखकर उसने सोचा कि इस पेड़ को काटकर मैं सुखाकर लकडिय़ों को बेचूंगा । तो मुझे बहुत पैसे मिलेंगे। यह सोचकर उसने अपनी कुल्हाड़ी से पेड़ काटना शुरू किया। जैसे ही पेड़ को कुल्हाड़ी लगी पेड़ से आवाज आने लगी। लकड़हारा घबरा गया। वह बोला कौन हो तुम। पेड़ ने कहा, मैं पेड़ हूं तुम मुझे क्यों काट रहे हो? लकड़हारे ने कहा तुम बहुत बड़े पेड़ हो। तुम्हें काटने पर मुझे तुम्हारी लकडिय़ों को बेचकर बहुत पैसा मिलेगा तो पेड़ ने कहा अभी तो मैं तुम्हारे बहुत काम का हूं।
तुम मुझे काट कर अपना बहुत नुकसान कर रहे हो। अगर तुम इसी तरह से बड़े और हरे भरे पेड़ों को काटोगे, तो हमारे साथ-साथ इस पृथ्वी पर तुम्हारा भी अंत हो जाएगा। हमसे ही मनुष्य का जीवन है। मनुष्य को प्राण वायु के अलावा पर्यावरणीय आपदाओं से भी मानव को पेड़ और जंगल ही बचाते हैं। अगर पृथ्वी पर पेड़-पौधे कम हो जाएंगे, तो पर्यावरण असंतुलित हो जाएगा। मानव जाति पर संकट उत्पन्न होगा। हमारे कारण ही अन्य जीव जंतु भी सुरक्षित हैं। जैव विविधता तब तक है, जब तक पेड़ सुरक्षित हंै। पृथ्वी पर जंगल और पेड़ों के होने पर ही जीवों का जीवन संभव है और तुम अपनी आजीविका चलाने के लिए हमारी सूखी लकडिय़ों को ले जाकर बेच सकते हो। कल्लू सारी बात समझ गया। उसने कभी भी हरे पेड़ नहीं काटने एवं नए पेड़ लगाने का संकल्प लिया। शिक्षा यह है कि जब तक पेड़ और जंगल है, तभी तक मानव जीवन संभव है।
-कुमुद कंवर, उम्र-12वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………….

एक किसान और पेड़
एक समय की बात है एक किसान था सुरेश। वह अपने काम में बहुत ईमानदारी रखता था। एक दिन वह पेड़ काटने जा रहा था। पेड़ ने उससे कहा कि तुम मुझे क्यों काट रहे हो? मैं तो सबको जीने के लिए शुद्ध हवा देता हूं। तब सुरेश ने उदास मन से कहा, मैं भी तुमको नहीं काटना चाहता, लेकिन क्या करूं? लकड़ी बाजार में बेच के आऊंगा, तभी तो साहब मुझे पैसे देंगे। तुम ही बताओ मैं उन्हें कैसे समझाऊं? तब पेड़ बोला तुम अपने साहब को मेरे पास लेकर आओ।
सुरेश ने वैसा ही किया। साहब और सुरेश दोनों जैसे ही पेड़ के पास आए। पेड़ ने बोलना शुरू किया, मैं वृक्ष हूं ,मेरा काम परोपकार करना ही है, मैं तुमको फल देता हूं, मैं पथिक को शीतल छाया देता हूं। मैं तुम सभी को प्राण वायु भी देता हूं। पक्षी मेरे ऊपर घोंसला बनाते हैं। अगर तुमने मुझे काट दिया, तो तुम ही बताओ क्या होगा। यह सब सुनकर साहब को अपनी गलती का अहसास हुआ और पेड़ से क्षमा मांगी। दोनों पेड़ से जाकर लिपट गए। हमें सीख मिलती कि हमेशा प्रकृति के दिए उपहार का सदुपयोग करना चाहिए और उसकी परवाह करनी चाहिए।
अनीष खेतान, उम्र-12वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………….

पेड़ हैं जीवन
एक दिन एक लकड़हारा अपने रोज के काम के चलते पेड़ों को काट रहा था। उसने बहुत सारे पेड़ों को काट दिया था। एक दिन जैसे ही वह एक पेड़ को और काटना चाह रहा था, तो वह पेड़ बोल पड़ा, अरे भाई तुम मुझे क्यों नुकसान पहुंचाते हो? मैं तो तुम सबको छाया देता हूं। प्राण वायु भी पेड़ों से मिलती है।
न जाने कितने वर्षों से आंधी पानी में तुम्हारे लिए सीधा खड़ा रहता हूं। सूर्य उदय होता है, मौसम बदलता है, बिजली गिरती है और हम पेड़ सब सहते हुए विनम्रता से सब चीजें इंसान को देते ही हैं, लेते कुछ नहीं। लकड़हारे का मुंह शर्मिंदगी से झुक गया। उसने पेड़ों को काटना बंद कर दिया और उस दिन के बाद से इस मुहिम में जुट गया कि वह लोगों को अपने साथ लेकर पेड़ लगाने लगा।
गौरीश गुप्ता, उम्र-11वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………….

दया का वृक्ष
एक समय की बात है। एक छोटे से गांव में माधव नाम का एक लकड़हारा रहता था। वह प्रतिदिन जंगल में जाकर लकडिय़ां काटता और उन्हें बेचकर अपना गुजारा करता। एक दिन वह जंगल में गया और एक विशाल, घना और हरा-भरा पेड़ देखकर रुका। पेड़ बहुत पुराना था और उसकी शाखाएं दूर-दूर तक फैली हुई थीं। माधव ने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और जैसे ही वह पेड़ काटने चला, अचानक पेड़ से एक आवाज आई, रुको, मेरे बेटे!
तुम क्यों मुझे काटना चाहते हो? माधव हैरान रह गया। उसने पहली बार किसी पेड़ को बोलते सुना था। पेड़ ने मुस्कुराते हुए कहा, मैं तुम्हारी सहायता कर सकता हूं, लेकिन कृपया मुझे मत काटो। मेरी छाया में आराम करो, मेरे फल खाओ, मेरी टहनियां जलाने के लिए लो, लेकिन मुझे जीवित रहने दो। माधव को अहसास हुआ कि पेड़ सिर्फ लकड़ी का स्रोत नहीं, बल्कि जीवन का आधार है। उसने अपनी कुल्हाड़ी नीचे रख दी और वचन दिया कि वह कभी किसी हरे-भरे पेड़ को नहीं काटेगा। उस दिन के बाद माधव ने गांव में जाकर सबको इस बात की शिक्षा दी। धीरे-धीरे पूरा गांव पेड़ लगाने लगा और जंगल फिर से हरा-भरा हो गया। पेड़ की दया ने सबका जीवन बदल दिया।
काव्या शर्मा, उम्र-11वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………….

बोलता वृक्ष
बहुत प्राचीन समय की बात है। एक गांव था। उसमें एक लकड़हारा रहता था। वो अपनी आजीविका के लिए जंगल से लकड़ी काटकर बेचता था। लकड़ी बेचकर वो पर्याप्त धनराशि कमा लेता था। एक दिन प्रतिदिन की भांति वो जंगल में लकडिय़ां काटने जा रहा था। वहां उसने विशाल वृक्ष देखा। उसने सोचा अगर इस वृक्ष को काट कर बेच दूंगा तो कुछ दिन तक काम नहीं करना पड़ेगा। ऐसा सोचकर उसने कुल्हाड़ी को जैसे ही उठाया, तभी वृक्ष से आवाज आई।
वृक्ष ने पूछा, तुम मुझे किस कारण से काटना चाहते हो? वृक्ष को बोलते देखकर लकड़हारा डर गया। डरते हुए उसने कहा, मुझे पैसों की आवश्यकता है। लकड़ी बेचकर मुझे पैसे मिल जाएंगे। तब वृक्ष ने लकड़हारे से कहा, तुम लकड़ी काटना चाहते हो, तो काट लो। किंतु पर्यावरण के बारे में भी तो विचार करो। लकड़हारा बोला, मैं क्या कर सकता हूं। मुझे अपनी आजीविका के लिए लकड़ी ही काटनी पड़ती है। वृक्ष ने कहा, इसका उपाय मेरे पास है। तुम एक सप्ताह में जितने वृक्ष काटते हो। सप्ताह के अंत में उससे दस गुना पौधे रोप दिया करो। इससे तुमको समय-समय पर लकड़ी भी मिल जाएगी और पर्यावरण को क्षति भी नहीं पहुंचेगी। लकड़हारे ने वृक्ष की बात मानकर ऐसा ही किया।
-जलद गुप्ता, उम्र- 12 वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………….

पेड़ के साथ दोस्ती
एक आदमी अपने हाथ में एक कुल्हाड़ी पकड़े हुए अपने पेड़ को काटने के लिए तैयार था। लेकिन जैसे ही उसने कुल्हाड़ी उठाई। पेड़ अचानक जीवित हो गया। पेड़ ने आदमी से कहा, क्या तुम मुझे काटने जा रहे हो? मैंने तुम्हारे लिए इतने सालों तक सेवा की है और यह तुम्हारा इनाम है? आदमी हैरान था। लेकिन उसने पेड़ से कहा, मुझे अपने परिवार के लिए लकड़ी की जरूरत है। मैं तुम्हें काटने के लिए मजबूर हूं।
पेड़ ने आदमी को देखा और कहा, मैं समझता हूं कि तुम्हारी जरूरतें हैं, लेकिन क्या तुमने कभी सोचा है कि मैं भी एक जीवित प्राणी हूं? मैंने तुम्हारे लिए ऑक्सीजन दी, तुम्हारे बच्चों के लिए छाया प्रदान की और तुम्हारे परिवार के लिए फल दिए। आदमी को पेड़ की बात सुनकर शर्म आई। उसने पेड़ से कहा, मैं तुम्हें काटने के लिए मजबूर नहीं हूं। मैं तुम्हारी रक्षा करूंगा और तुम्हारे साथ मिलकर एक नई जिंदगी बनाऊंगा। पेड़ ने आदमी को धन्यवाद दिया और दोनों ने एक दूसरे के साथ एक नई दोस्ती की शुरुआत की।
पार्थ परसोइया, उम्र-9वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………….

दया की शक्ति
बहुत समय पहले एक छोटे से गांव के पास एक घना जंगल था। उस जंगल में एक विशाल और पुराना पेड़ खड़ा था। यह पेड़ न केवल छाया देता था, बल्कि कई पक्षियों और जानवरों का आश्रय भी था। एक दिन एक गरीब लकड़हारा उस जंगल में आया। उसकी कुल्हाड़ी पुरानी और जंग लगी हुई थी और वह बहुत थका हुआ लग रहा था। उसने पेड़ को देखा और सोचा, अगर मैं इस पेड़ को काट लूं, तो मुझे लकडिय़ां मिलेंगी, जिन्हें बेचकर मैं कु छ पैसे कमा सकता हूं। जैसे ही उसने अपनी कु ल्हाड़ी उठाई और पेड़ पर वार करने वाला ही था, अचानक पेड़ से एक मधुर आवाज आई, रुको लकड़हारे! तुम मुझे क्यों काटना चाहते हो? लकड़हारा चौंक गया। उसने कभी किसी पेड़ को बोलते नहीं सुना था।
वह डरते-डरते बोला, मुझे माफ करना, लेकिन मैं बहुत गरीब हूं। मेरे पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है। अगर मैं तुम्हारी लकडिय़ां बेच दूं, तो शायद मेरे परिवार को कुछ भोजन मिल जाए। पेड़ ने मुस्कुराते हुए कहा, अगर तुम्हें सच में मदद चाहिए, तो मेरी शाखाओं को मत काटो। इसके बजाय, मैं तुम्हें अपने मीठे फल देता हूं। इन्हें बाजार में बेचकर तुम पैसे कमा सकते हो। लकड़हारे की आंखों में आंसू आ गए। उसने सोचा कि वह इस पेड़ को काटने जा रहा था, लेकिन यह पेड़ फिर भी उसकी मदद कर रहा था। उसने पेड़ को प्रणाम किया और फल लेकर गांव लौट गया। कुछ ही दिन में वह लकड़हारा एक सफल व्यापारी बन गया। वह हर दिन उस पेड़ के पास जाता, उसे प्रणाम करता और उसकी देखभाल करता। यह कहानी हमें सिखाती है कि दयालुता और उदारता हमेशा फलदायी होती है। हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए।
खुश गहलोत,उम्र-10वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………….

जादुई वृक्ष का उपहार
गांव के पास एक घना जंगल था, जहां बहुत बड़े-बड़े पेड़ थे। उन्हीं में से एक था वट वृक्ष, जो बहुत पुराना और रहस्यमयी था। गांव के लोग कहते थे कि वह पेड़ बोल सकता है, लेकिन किसी ने इसे सच में होते नहीं देखा था। एक दिन एक लकड़हारा रामू जंगल में लकड़ी काटने गया। वह गरीब था और रोज लकड़ी बेचकर अपने परिवार का पेट पालता था। जब उसने अपनी कु ल्हाड़ी उठाकर उस वट वृक्ष को काटने की कोशिश की, तो अचानक एक आवाज आई, रुको, रामू।
रामू चौंक गया और इधर-उधर देखने लगा। जब उसकी नजर वट वृक्ष पर गई, तो उसने देखा कि पेड़ के तने पर एक चेहरा बन गया था! पेड़ मुस्कु रा रहा था और उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया। पेड़ ने कहा, अगर तुम मुझे नहीं काटोगे, तो मैं तुम्हें एक अनमोल उपहार दूंगा! रामू ने पेड़ से माफी मांगी और कुल्हाड़ी नीचे रख दी। तब वट वृक्ष ने अपनी जड़ों से एक छोटा सा सोने का बीज निकाला और रामू को दिया। रामू ने वह बीज अपने घर के पास बो दिया। कु छ दिनों बाद, वहां एक पेड़ उग आया और उसमें सोने के फल लगने लगे! अब रामू अमीर हो गया, लेकिन उसने कभी लालच नहीं किया। वह गांव के गरीबों की मदद करने लगा। इस तरह रामू की दयालुता के कारण वट वृक्ष का जादू सबके लिए वरदान बन गया। तभी से लोग सीख गए कि पेड़ों को काटने के बजाय उनकी रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि प्रकृ ति ही असली धन है।
पर्णवी अग्रवाल, उम्र-9वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………….

लकड़हारा और पेड़
एक बार की बात है। राजू और पार्थ नाम के दो दोस्त अपने खेत में बैठे थे। वे दोनों लकड़हारे थे। एक दिन राजू ने सोचा, जंगल में जाकर लकडिय़ां काटकर अपने खेत के लिए कई तरह की चीजें बनाऊंगा। वह जंगल में जा रहा था, अचानक उसकी नजर एक बड़े और मज़बूत पेड़ पर पड़ी। उसने उसकी लकडिय़ां काटने की सोची। पेड़ जादुई और बातूनी था। लकड़हारा उसे काटने के लिए जैसे ही उसके पास आया। पेड़ ने कहा कि मुझे नुकसान मत पहुंचाओ।
मैं तुम्हें फल, सब्जियां और न जाने कितनी चीजें दूंगा। पेड़ लकड़हारे से बात करता रहा। पेड़ ने अपनी अहमियत समझाई। मैं तुम सबको आराम करने के लिए शेड, जीने के लिए ऑक्सीजन, खाने के लिए खाना, फर्नीचर बनाने के लिए उत्पाद आदि देता हूं, फिर भी तुम सब हमें काटते और बर्बाद करते हो। लकड़हारा समझ गया कि पेड़ काटने की वजह से नाराज और दुखी है। राजू ने पेड़ से माफी मांगी और घर लौट आया। उसने पेड़ के साथ अपनी कहानी पार्थ को सुनाई। राजू खुश था क्योंकि उसने सबक सीखा था कि हमें पेड़ों को नहीं काटना चाहिए और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए।
सौम्या अग्रवाल, उम्र-10वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………….

दयालु वृक्ष और स्वार्थी लकड़हारा
बहुत समय पहले की बात है। एक जंगल में एक विशाल और घना पेड़ खड़ा था। वह पेड़ बहुत दयालु था और हर आने-जाने वाले की मदद करता था। एक दिन एक गरीब लकड़हारा जंगल में लकडिय़ां काटने आया। उसने जैसे ही अपनी कुल्हाड़ी से पेड़ पर वार करने की कोशिश की। पेड़ ने उससे प्यार भरी आवाज में कहा, हे लकड़हारे! तुम मुझे क्यों काट रहे हो? अगर तुम्हें मदद चाहिए, तो मुझसे मांगो। लकड़हारा हैरान हो गया कि पेड़ बोल सकता है। उसने कहा, मुझे लकडिय़ां चाहिए ताकि मैं उन्हें बेचकर अपने परिवार का पेट भर सकूं। पेड़ ने मुस्कुराते हुए कहा, ठीक है, लेकिन मुझे मत काटो।
मेरी कुछ सूखी टहनियां ले जाओ, इससे तुम्हारा काम भी हो जाएगा और मैं भी सुरक्षित रहूंगा। लकड़हारे ने पेड़ की बात मानी और सूखी लकडिय़ां लेकर चला गया। कुछ समय बाद लकड़हारा फिर आया और इस बार उसने पेड़ से और अधिक लकडिय़ां मांगी। पेड़ ने खुशी-खुशी उसे कुछ शाखाएं दे दीं। इस तरह पेड़ ने कई बार लकड़हारे की मदद की। लेकिन एक दिन लकड़हारा लालची हो गया और उसने पूरा पेड़ काटने की ठान ली। जैसे ही उसने कुल्हाड़ी उठाई, पेड़ ने उदास होकर कहा, मैंने हमेशा तुम्हारी मदद की, लेकिन अब तुम मुझे ही खत्म कर देना चाहते हो? अगर तुम मुझे काट दोगे, तो फिर कोई और जरूरतमंद मेरी छाया और मदद कैसे पाएगा? लकड़हारे को अपनी गलती का अहसास हुआ। उसने कुल्हाड़ी फेंक दी और पेड़ से माफी मांगी। फिर उसने प्रण किया कि वह प्रकृति की रक्षा करेगा और कभी भी किसी पेड़ को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। शिक्षा यह मिलती है कि हमें प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए और उसके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए, क्योंकि वह निस्वार्थ भाव से हमारी मदद करती है।
-दिव्यांशी शर्मा, उम्र-10वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………….

लकड़हारा की कहानी
एक बार एक लकड़हारा था। वह जंगल में जाकर लकडिय़ां काट कर अपना पेट पालता था। रोज की तरह वह आज भी लकडिय़ां काटने के लिए जंगल में गया। जंगल में उसे एक बड़ा पेड़ दिखाई दिया। वह रुक गया और बड़े पेड़ को देख कर बहुत खुश हुआ कि आज तो इस पेड़ को काटूंगा। इससे अच्छी आमदनी होगी। परंतु यह क्या, वह जैसे ही उस पेड़ को काटने के लिए आगे बढ़ा, तो एक आवाज आई। भाई मुझे मत काटो, मैं पेड़ों का राजा हूं, हमें भी दर्द होता है और हम दुखी होते हैं। पेड़ ने कहा कि मैं रोज तुम्हें देखता हूं। तुम रोज यहां आते हो और हरे भरे पेड़ों को काटते हो।
लकड़हारे ने कहा- पेड़ दादा यदि मैं पेड़ नहीं काटूंगा तो मेरा घर कैसे चलेगा। पेड़ ने कहा कि आपकी बात सही है, लेकिन आप हरे भरे पेड़ों की बजाय सूखे पेड़ काट लीजिए। इससे कोई नुकसान भी नहीं होगा। आप देख सकते हैं मैं बड़ा और हरा भरा पेड़ हूं। मैं ऑक्सीजन देता हूं। हजारों पक्षी मुझ पर अपना घर बना कर रहते हैं। पशु और मानव मेरी छांव में बैठते हैं। मेरे रसीले फल खाते हैं। लकड़हारे की आंखें खुल गईं। वह बोला पेड़ दादा आपने बिल्कु ल सही कहा। मैं अब कभी भी हरे भरे पेड़ नहीं काटूंगा।
परीक्षित वर्मा, उम्र-7वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………….

पेड़ों में जीवन
कुछ साल पहले सोहनपुर नाम का एक गांव था। जहां रामलाल नाम का एक लकड़हारा रहता था। वह अपना पेट भरने के लिए जंगल में जाकर लकड़ी बीनता और उन्हें बेचता था। जो भी पैसे मिलते, उनसे अपना गुजारा करता था। अपने लालची स्वभाव के कारण रामलाल ने जंगल में बड़े-बड़े पेड़ों को काटने का फैसला किया। जब रामलाल कुल्हाड़ी लेकर जंगल में पहुंचा और एक पेड़ को काटने ही वाला था, तो उस पेड़ की एक शाखा ने उस पर हमला कर दिया। यह देखकर रामलाल अवाक रह गया और शाखा ने उसे अपनी चपेट में ले लिया। तभी उस पेड़ से एक आवाज आई, ‘मूर्ख, तुम अपने लालच के कारण मुझे काटना चाहते हो। ‘तुम्हें नहीं पता कि पेड़ कितने महत्वपूर्ण हैं।
हमारे अंदर भी जीवन है और हमारी वजह से ही तुम जैसे लोगों को जीने के लिए हवा, धूप में छाया और अपनी भूख मिटाने के लिए पेड़ों से फल मिलते हैं। लेकिन, तुम अपने फायदे के लिए हमें काट रहे हो। आज मैं यह कु ल्हाड़ी तुम पर चलाऊंगा, तभी तुम्हें समझ में आएगा। जैसे ही पेड़ की शाखा कु ल्हाड़ी से रामलाल पर लगने वाली थी, वह अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगने लगा और गिड़गिड़ाने लगा और बोला, ‘मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है, लेकिन कृ पया मुझे सुधरने का एक मौका दें। आज के बाद मैं कोई पेड़ काटने की गलती नहीं करूंगा, यह मेरा वादा है।Ó रामलाल की बातें सुनकर पेड़ को उस पर दया आ गई। वह उसे छोड़कर चला गया। पेड़ से बचकर वह तुरंत अपने घर लौट आया और उसने कसम खाई कि वह कभी भी पैसों का लालच नहीं करेगा।
दीक्षा जांगिड़, उम्र-7वर्ष
………………………………………………………………………………………………………………………….

पेड़ की पुकार
घने जंगल में एक विशाल पीपल का पेड़ था। उसकी शाखाएं दूर-दूर तक फैली हुई थीं और उस पेड़ पर बहुत सारे पक्षियों का घर था। उसकी ठंडी छांव में आते जाते न जाने कितने लोग आराम करते थे। एक दिन एक आदमी कुल्हाड़ी लेकर वहां आया। और उसे काटने के लिए अपनी कुल्हाड़ी उठाई। जैसे ही वह उस पेड़ को काटने लगा पेड़ ने जोर से कहा, रुको ऐसा मत करो। आवाज सुनकर आदमी एकदम डर गया। उसने इधर-उधर देखा, लेकिन कोई नजर नहीं आया। पेड़ फिर से बोला तुम मुझे काटने जा रहे हो, पर क्या तुमने सोचा है कि इसका परिणाम क्या होगा?
आदमी घबराकर बोला, मुझे लकड़ी चाहिए अपना घर बनाने के लिए। पेड़ ने कहा अगर तुम मुझे काट दोगे तो न जाने कितने पक्षी अपना घर खो देंगे। कितने लोग जो मेरी छांव में आते जाते बैठकर आराम करते हैं वो कहां जाएंगे वो कितने परेशान हो जाएंगे। आदमी कुछ देर सोचता रहा। उसे अहसास हुआ कि वह स्वार्थ में आकर दूसरों का नुकसान करने जा रहा था। उसने कुल्हाड़ी नीचे रख दी और कहा तुम सही कह रहे हो। मैं कोई और तरीका खोज लूंगा अपना घर बनाने के लिए। तुम्हें काटकर मुझे भी खुशी नहीं मिलेगी।
पयोजा आशीवाल, उम्र 8-वर्ष

………………………………………………………………………………………………………………………….

हम करते सबका भला
रोज की तरह लकड़हारा अपने कंधे पर कुल्हाड़ी रखकर जंगल की तरफ चल पड़ता है। वह लकड़हारा अपने गुजर बसर के लिए पेड़ों का काटता था। आज उसके सामने एक हरा भरा और विशाल बरगद का पेड़ था। वो उसको काटने के लिए ऊपर चढ़ जाता है और काटने लगता है। दोपहर को थकने के बाद वो नीचे उतर कर पेड़ के नीचे सो जाता है, तभी उसे कराहने की आवाज सुनाई देती है। वो एकदम उठ खड़ा होता है।
वो आवाज उसी पेड़ की थी जिसको वो काट रहा था। दर्द भरी आवाज में पेड़ रोते हुए बोलता है, तुम कितने निर्दयी हो, कितने पापी हो जो हमको काटते हो। हम पेड़ तुम्हे फल देते हैं, छांव देते हैं, ताजी हवा देते हैं, फिर भी हमको काटते हो। हमारे कटने से जंगल नष्ट हो रहे हैं। पशु पक्षी बेघर हो रहे हैं। इससे अच्छा तो तुम पेड़ लगा कर उस से फल प्राप्त करके उसे बेच कर अपना गुजारा करो। उस लकड़हारे की आंखों में आंसू आ जाते हैं। वो कुल्हाड़ी फेंक देता है और पेड़ से लिपट जाता है।
प्रतीक जांगिड़, उम्र-11 वर्ष

………………………………………………………………………………………………………………………….

पेड़ का दर्द
एक घना जंगल था। उसमें एक विशाल पेड़ था। वह पेड़ बहुत पुराना था और उसने कई सदियों से इस जंगल को देखा था। पेड़ ने देखा था कि कैसे जानवर आते-जाते हैं, कैसे मौसम बदलते हैं और कैसे समय बीतता है। एक दिन एक आदमी जंगल में आया। वह आदमी एक कुल्हाड़ी लेकर आया था। पेड़ ने आदमी को आते हुए देखा और वह डर गया। पेड़ को पता था कि आदमी उसे काटने आया है। आदमी पेड़ के पास आया और उसने अपनी कुल्हाड़ी उठाई। पेड़ ने आदमी से कहा, कृपया मुझे मत काटो। मैं तुम्हें छाया और फल देता हूं। मैं तुम्हें आश्रय देता हूं।
आदमी ने पेड़ की बात नहीं सुनी। उसने अपनी कुल्हाड़ी से पेड़ पर वार किया। पेड़ को बहुत दर्द हुआ। पेड़ ने आदमी से फिर कहा, कृपया मुझे मत काटो। मैं तुम्हें लकड़ी देता हूं। मैं तुम्हें ईंधन देता हूं। आदमी ने पेड़ की बात नहीं सुनी। उसने अपनी कुल्हाड़ी से पेड़ पर बार-बार वार किया। पेड़ अंतत: गिर गया। आदमी ने पेड़ को काटा और उसकी लकड़ी ले गया। पेड़ का दर्द बहुत गहरा था। पेड़ ने सोचा, मैंने इस आदमी को सब कुछ दिया, लेकिन उसने मुझे फिर भी काट दिया पेड़ का दर्द हमेशा के लिए रहेगा। पेड़ की मौत से जंगल को बहुत नुकसान हुआ। पेड़ अब कभी भी छाया और फल नहीं दे पाएगा। पेड़ अब कभी भी आश्रय नहीं दे पाएगा।
आराध्या गुप्ता, उम्र – 10 वर्ष

………………………………………………………………………………………………………………………….

दयावान पेड़
एक समय की बात है। एक जंगल में एक बूढ़ा पेड़ था। उस पेड़ ने अपने जीवन में कई आम के फल राहगीरों को दिए थे। अब वृक्ष बुजुर्ग हो गया था। वृक्ष पर फल नहीं लगते थे। एक समय कई वृक्ष काटने वाले लोगों ने जंगल में अनेक वृक्षों को काट डाला। जब वो आम के वृक्ष को काट रहे थे उसी समय वन कर्मचारी ने आकार पेड़ को बचा लिया। और वो सब वहां से चले गए। किंतु एक कुल्हाड़ी वृक्ष में फंसी रह गई। कुछ सालों बाद जब वृक्ष बूढ़ा हो गया। वहां से एक राहगीर गुजर रहा था। वो नजदीक गांव में रहता था। उसने पेड़ के नीचे विश्राम किया।
जब वो जाने लगा तो उसने देखा पेड़ में एक कुल्हाड़ी अंदर तक धंसी हुई है। उसने कई घंटों के प्रयत्न के बाद उस कुल्हाड़ी को निकाल दिया। पेड़ बोल उठा और राहगीर से कहा, तुम जब चाहो मेरी शाखाएं टहनियां जा सकते हो। राहगीर ने कहा में सिर्फ सूखी टहनियां ले जाऊंगा। उस समय से राहगीर बूढ़े वृक्ष की सूखी टहनियां ले जा कर घर में उपयोग करने लगा। वृक्ष ने उसे कुछ समय बाद अपने अंदर कई साल से दबे खजाने के बारे में बताया और कहा जब में पूरी तरह से सूख जाऊं, तुम आकर मेरे नीचे दबे खजाने को ले जाना। कुछ साल ओर बीत जाने पर राहगीर ने पूरी तरह सूख चुके वृक्ष से खजाना निकाल कर वहां नया वृक्ष लगाया।
देवांश सिंह कच्छवाहा, उम्र- 7 वर्ष

………………………………………………………………………………………………………………………….

वृक्ष में देवता
एक गांव में एक बड़ा वृक्ष था, जिसके नीचे एक कठोर लकड़हारा रहता था। उस वृक्ष में एक देवता का निवास था जो सभी की सहायता करते थे। एक दिन लकड़हारे ने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और वृक्ष को काटने का निर्णय लिया। जैसे ही उसने पहला वार करने की कोशिश की, वृक्ष ने अचानक मानव की तरह बोलना शुरू किया और कहा, मुझे मत काटो, मैं तुम्हारी मदद कर सकता हूं।
लकड़हारा हैरान हो गया, लेकिन उसने कहा, मुझे पैसे की जरूरत है और मैं तुम्हारी लकड़ी बेचकर पैसा कमाना चाहता हूं। वृक्ष ने कुछ सोचा और कहा, तुम्हें मुझे काटने की जरूरत नहीं है। मैं तुम्हें हर महीने कुछ अमूल्य फल दूंगा, जो तुम्हारे लिए पर्याप्त होंगे। लकड़हारे ने बात मान ली और वृक्ष को नहीं काटा। वृक्ष ने उसे हर महीने सोने के समान कीमती फल दिए। धीरे-धीरे लकड़हारा अमीर हो गया। उसने सीखा कि प्रकृति की रक्षा करना ही सच्चा धन है।
वैदेही अरोड़ा, उम्र- 7 साल

………………………………………………………………………………………………………………………….

पेड़ों से मिलता धन
एक बार एक लकड़हारा जंगल में लकड़ी काटने गया। जंगल मे एक विशाल पेड़ था। उसने सोचा कि इस पेड़ को काटने से बहुत सारी लकड़ी मिलेगी, जिसे बेचने पर काफी रुपए मिलेंगे। लकड़हारे ने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और पेड़काटने के लिए आगे बढा। पेड़ ने लकड़हारे से मिन्नत की, वह उसे नहीं काटे।
उसे काटने पर केवल एक बार लकड़ी मिलेगी, फिर उससे उसको कुछ भी नहीं मिलेगा। इसके बदले वह उसे रोजाना बहुत सारे फल देगा, जिन्हे वह बाजार में बेच कर प्रतिदिन कमाई कर सकता है। पहले तो वह नहीं माना, लेकिन पेड़ के बहुत अनुनय-विनय करने पर वह मान गया। उसे पेड़ से रोजाना फल मिलने लगे, जिन्हें वह बाजार मे बेंच देता। प्रतिदिन अच्छी आमदनी मिलने लगी और एक दिन वह बहुत अमीर आदमी बन गया। अब वह सुख से रहने लगा। शिक्षा यह कि पेड़ ही धन हैं।
विवान सिंह सिसोदिया, उम्र- 7 वर्ष

………………………………………………………………………………………………………………………….

एक बात करने वाला पेड़
एक बार की बात है। एक घने जंगल में एक बहुत पुराना पेड़ था। एक लकड़हारा जंगल में भटक गया। वह लकड़ी काटने गया था। जैसे ही वह चला, वह पुराने पेड़ के पास आया। उसे देखकर उसने कुल्हाड़ी से उसे काटने की सोची। जैसे ही उसने कुल्हाड़ी उठाई, पेड़ रोकर बोला, तुम मुझे क्यों काटना चाहते हो?
लकड़हारे ने कहा घर में चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी चाहिए। पेड़ ने कहा, यह बात तो ठीक है, लेकिन मैं थके हुए यात्रियों को छाया देता हूं। पक्षियों को आश्रय देता हू और सभी के लिए ऑक्सीजन देता हूं। यह सुनकर लकड़हारे ने उसे नहीं काटा और वहां से चला गया। उस दिन से उसने प्रकृति की रक्षा का संकल्प भी ले लिया।
-सिद्धम व्यास, उम्र- 6 वर्ष

Hindi News / News Bulletin / किड्स कॉर्नर: चित्र देखो कहानी लिखो 16 …. बच्चों की लिखी रोचक कहानियां

ट्रेंडिंग वीडियो