टोपी वाला चूहा
एक समय की बात है। एक बड़े शहर में टोपी वाला चूहा नाम का एक चालाक चूहा रहता था। वह बहुत समझदार था और हमेशा नई चीजें सीखने की कोशिश करता था। एक दिन वह किचन में आलू के चिप्स खा रहा था, तभी उसकी नजर टीवी पर गई। टीवी पर एक प्यारी बिल्ली और एक मासूम चूहा एक ही टोकरी में आराम से सोते दिख रहे थे। टोपी वाला चूहा यह देख हैरान रह गया। वह सोचने लगा, क्या आजकल बिल्लियां चूहों से दोस्ती करने लगी हैं?
अगर ऐसा है तो अब हमें डरने की जरूरत नहीं! इस भ्रम में वह एक दिन एक बिल्ली के पास गया। जैसे ही वह पास पहुंचा, बिल्ली ने झपट्टा मारा। टोपी वाले चूहे ने जैसे-तैसे अपनी जान बचाई। उसे समझ में आ गया कि टीवी पर दिखाई जाने वाली हर बात सही नहीं होती। सीख- जो हम टीवी या इंटरनेट पर देखते हैं, वह हमेशा सच या सही नहीं होता। हमें अपने बड़ों के अनुभव और बुद्धि से सही निर्णय लेना चाहिए।
नवीन सोलंकी, उम्र-12 वर्ष
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चुहिया मां की सूझबूझ
एक घर में एक बिल्ली अपने तीन प्यारे बच्चों के साथ रहती थी। वह अपने बच्चों को बहुत प्यार करती थी, लेकिन उसे चूहे बिल्कुल पसंद नहीं थे। उसी घर के कोने में एक मां चुहिया भी अपने बच्चों के साथ छुपकर रहती थी। एक दिन बिल्ली अपने बच्चों के साथ खेलते-खेलते चुहिया के पास पहुंच गई।
चुहिया डर गई, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। वह जानती थी कि अगर उसने कोई चालाकी नहीं दिखाई, तो बिल्ली उसके बच्चों को नुकसान पहुंचा सकती है। चुहिया ने झट से एक तरकीब सोची। वहां पास में एक कुत्ते को देख वह जोर-जोर से उछलने लगी। जैसे ही कुत्ते की नजर पड़ी, वह भौंकने लगा। आवाज सुनकर बिल्ली भाग गई। चुहिया के बच्चे बोले, मां आपने कमाल कर दिया! चुहिया मुस्कुराई और बोली, जब बात बच्चों की सुरक्षा की हो, तो मां कुछ भी कर सकती है।
वैभव कसेरा, उम्र-13वर्ष
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चूहा, बिल्ली और सपना
एक समय की बात है, एक आरामदायक छोटे घर में मिकी नाम का एक चतुर चूहा रहता था। मिकी कोई साधारण चूहा नहीं था। उसके पास एक लाल कोट और एक छोटी टोपी थी और उसे टेलीविजन देखना बहुत पसंद था। एक दिन दोपहर में जब मिकी मूंगफली खा रहा था, उसने अपना पसंदीदा शो चालू किया।
इसमें एक रोएंदार बिल्ली थी, जो एक टोकरी में सिमटी हुई, गहरी नींद में सो रही थी। मिकी मोहित हो गया। उसने कभी इतनी शांत बिल्ली नहीं देखी थी। आमतौर पर बिल्लियां ही तो उसका घर में पीछा करती थीं। वह मंत्रमुग्ध होकर देखता रहा। थोड़ी देर बाद वह सो गया। उसने सपना देखा जहां चूहे और बिल्लियां दोस्त हो सकते हैं। एक साथ एक आरामदायक टोकरी में झपकी ले सकते हैं। जब आंख खुली, तो अपने सपने को याद कर वह उछलने लगा।
मीतिका पुष्प, उम्र-9वर्ष
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चूहे की समझदारी
एक चूहा था, जिसका नाम जेरी था। वो अपने घर पर मंूगफली खाते-खाते टीवी देख रहा था। तभी एक बिल्ली की तस्वीर आई। उसी समय किसी ने दरवाजा खटखटाया। जेरी ने डरते-डरते दरवाजा खोला। वही बिल्ली उसके सामने खड़ी थी। बिल्ली बोली आज का इंतजाम हो गया। जेरी बोला में तो इतना छोटा-सा हूं। मुझसे क्या तुम्हारा पेट भरेगा। बिल्ली बोली, तुम्हें खाकर मजा आ जाएगा। जेरी बोला, सुनो बिल्ली अभी-अभी मैंने एक सपना देखा।
अगर तुम वो सुन लो तो फिर तुम मुझे खा सकती हो। बिल्ली बोली ठीक है। पर वह सपना बहुत बड़ा है और पूरा सुनना पड़ेगा। बिल्ली बोली ठीक है। चूहे ने उसे एक तरफ बैठाकर सपना सुनाना चालू किया। सुनाते-सुनाते रात हो गई और बिल्ली को नींद आने लगी। बिल्ली के सोते ही जेरी भाग गया।
चेष्ठा गोयल, उम्र-8वर्ष
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राजू चूहा और टीवी वाली बिल्ली
एक बार की बात है, एक छोटा सा चूहा था, नाम था राजू। राजू बहुत चालाक था और हमेशा कुछ ना कुछ खाने की तलाश में रहता था। एक दिन उसे केले का छिलका और चिप्स मिले। वो बहुत खुश हुआ, ‘यम्मी, आज तो दावत है! राजू जैसे ही खाने बैठा, उसकी नजर टीवी पर गई। टीवी में एक प्यारी सी बिल्ली सो रही थी। और क्या देखता है। एक छोटा सा चूहा उसके साथ उसकी टोकरी में आराम से लेटा था।
राजू की आंखें बड़ी हो गईं, अरे! ये चूहा तो बिल्ली से डर नहीं रहा। ये तो उसके साथ सो रहा है। क्या बिल्ली ने इसे खाया नहीं? बिल्लियां तो चूहों की दुश्मन होती हैं। लेकिन टीवी वाला सीन कुछ और ही कह रहा था। फिर राजू ने सोचा, शायद सभी बिल्लियां बुरी नहीं होतीं। और शायद डर के बिना दोस्ती भी हो सकती है। वो बोला, अब मैं भी किसी को बिना डरे दोस्त बनाऊंगा।
चैतन्या सैनी, उम्र-7वर्ष
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बिल्ली और चूहा
एक चूहा था। उसका नाम था निक। वह मूंगफली खा रहा था और टीवी देख रहा था। उसने टीवी पर देखा एक बिल्ली और चूहा साथ-साथ सो रहे हैं। उसने सोचा अब वह भी बिना किसी चिंता के बाहर घूमेगा। बिल्ली कुछ नहीं करेगी। जैसे ही वह बाहर गया। एक बिल्ली ने आवाज लगाई। निक इधर आ।
साथ खेलते हैं। निक को टीवी वाली बात याद आ गई। उसने बिल्ली पर यकीन कर लिया और उसके साथ खेलने लगा। अचानक से मौका पाते ही बिल्ली ने झपट्टा मारा, लेकिन निक बच निकला। वह बहुत फुर्तीला था। शिक्षा- टीवी और इंटरनेट पर दी जा रही हर जानकारी पर आंख बंद कर भरोसा नहीं करना चाहिए।
नंदिनी शर्मा, उम्र-10वर्ष
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चूंचूं चूहे का कमाल
एक नन्हा सा चूहा था। उसका नाम चूं-चूं था। वह बहुत मेहनती था। वह सफाई पसंद था। अनुशासित रहता था। वह एक मकान के बाहर बगीचे में रहता था। उसके साथी जब उसे बगीचे के पेड़ पौधों की सूखी पत्तियों को साफ करते देखते। आसपास पड़े कागज आदि को मुंह में दबाकर डस्टबिन में डालते देखते। तो उसे पर हंसते और उसका मजाक उड़ाते हुए कहते क्यों काम करते हो। खाओ पीयो मौज करो।
लेकिन चूं-चूं चूहा उन्हें समझाता कि समय का सही उपयोग करना चाहिए। वह बिना फल की आशा किए अपना काम करता रहता। एक दिन मकान में सभी बाहर गए हुए थे। सिर्फ एक छोटी बच्ची मोना घर में अकेली थी। उसे भूख लग रही थी। उसने मैगी बनाने की सोची। उसने गैस ऑन करके जलाने की कोशिश की, लेकिन जली नहीं। गैस चारों ओर फैलने लगी। चूं-चूं चूहे तक जब गैस की गंध आई, तो वह फौरन रसोई में आया। उसने रेगुलेटर का नोब बंद कर दिया। उसने मोना को कहा कि वह कोई भी स्विच ऑन ना करें और वे दोनों बाहर बैठ गए। जब मोना की मम्मी बाजार से आईं, तो मोना ने मम्मी को सारी बात बताई। मम्मी ने चू़ं-चूं को धन्यवाद दिया। मम्मी ने कहा कि आज से तुम हमारे परिवार के सदस्य हो। उसके बाद वह मोना के साथ टीवी देखने लगा, जिसमें एक बिल्ली को देखकर डर गया। तब मोना ने कहा, डरो नहीं। हम सब तुम्हारे साथ हैं।
महक नाहर, उम्र-9वर्ष