परिषद की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है नगर निगम की साधारण सभा की बैठक में बजट की सामग्री अंग्रेजी में थमा दी गई। पूर्व में आपत्ति दर्ज कराने बावजूद इसके निगम अफसरों ने हिंदी भाषा की सामग्री का अनदेखा कर दिया। पार्षदों ने अंग्रेजी भाषा में सामग्री का विरोध करते हुए हिंदी भाषा में दस्तावेज उपलब्ध कराने के साथ दोबारा बैठक बुलाई जाने की मांग की है। सदस्यों ने कहा कि अधिकारियों का यह कदम न केवल राजभाषा अधिनियम का उल्लंघन करता है। बल्कि परिषद की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है। कई पार्षदों ने कहा कि सदन के पूर्व ही अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध कराई जाने वाली सामग्री को लेकर आपत्ति जताई गई थी। बावजूद इसके पार्षदों के हाथों में अंग्रेजी लिखित प्रति थमा कर बगैर चर्चा बजट पारित कर इतिश्री कर ली गई।
पार्षद बोले, अंग्रेजी में बजट की सामग्री पल्ले नहीं पड़ी इनका कहना…इकबाल कुरैशी, पार्षद, वार्ड-13-सदन में हिन्दी की जगह अंग्रेजी भाषा में सामग्री उपलब्ध कराई गई। इससे योजना और विकास कार्यों के नाम तक नहीं पढ़ सके। इससे बजट पर कोई चर्चा नहीं कर सका। हिंदी भाषा में बजट की प्रति उपलब्ध कराकर बैठक दोबारा बुलाई जाए।
इनका कहना…यासीन बी असलम, पार्षद-वार्ड-11-अंग्रेजी में सामग्री देना भेदभाव है। परिषद को हिंदी में सामग्री देनी चाहिए। आवेदन देने के बावजूद कोई सुनने वाला नहीं है। अंग्रेजी भाषा से सहमत नहीं हूं। हमारी मातृभाषा हिन्दी है। फिर भी सदन में हमें अंग्रेजी में सामग्री क्यों दी गई।
इनका कहना…मीना ओमप्रकाश सिलावट, पार्षद, वार्ड-9-हमरा सुझाव है कि परिषद में योजनाओं पर जैसे हिंदी में चर्चा होती है। उसी तरह बजट और विकास योजनाओं की जानकारी भी हिंदी में उपलब्ध होना चाहिए। अंग्रेजी में दी गई जानकारी समझ में नहीं आई।
इनका कहना…शकीला बिलाल पेंटर, पार्षद, वार्ड-14 : हमारी राजभाषा हिंदी है। इस लिए हिंदी में लिखा और बोला जाए। और हिंदी भाषा को अच्छे से समझने के साथ उसकी सुरक्षा हो सके। हिंदी के साथ-साथ आवश्यकतानुसार अंग्रेजी सामग्री उपलब्ध कराई जा सकती है। जिससे सभी सदस्यों को सहूलियत मिले।
इनका कहना…चंद्रकांता सोहनलाल मेलुदें, पार्षद, वार्ड-34 : बैठक में हिंदी में दस्तावेज देने का अनुरोध लिखित में किया गया है। फिर भी परिषद की कार्यवाही में अंग्रेजी उपयोग गया। अंग्रेजी में लिखित और मौखिक भाषा में समझ नहीं आई। अपने वार्ड की बात नेता प्रतिपक्ष के जरिए पहुंचाने की कोशिश की तो बोलने नहीं दिया गया।
राजभाषा अधिनियम, 1963 का उल्लंघन है एक्सपर्ट व्यू : विरेंद्र वर्मा, अधिवक्ता–हिन्दी हमारी राजभाषा है। सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट में भी आदेश हिंदी में जारी हो रहे हैं। केंद्र व राज्य शासन का बजट भी हिंदी में जारी हुआ। ऐसे में यदि परिषद की बैठक में बजट की सामग्री अंग्रेजी में प्रस्तुत की गई तो इसमें सीधे राजभाषा अधिनियम, 1963 का उल्लंघन है। यह अधिनियम भारत में हिंदी को सरकारी कार्यों और दस्तावेजों के लिए प्राथमिकता देता है। विशेष रूप से उन मामलों में जहां हिंदी बोलने वाले लोगों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। यदि अंग्रेजी में सामग्री दी गई तो इससे पारदर्शिता प्रभावित हो सकती है। यह परिषद की कार्यप्रणाली के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। इस पर विचार किया जाना चाहिए।
इनका कहना…प्रियंका सिंह राजावत, आयुक्त्, नगर निगम-परिषद की बैठक में सर्वसम्मत से बजट पारित हो गया है। सदस्यों को अंग्रेजी और हिंदी भाषा में दस्तावेज उपलब्ध कराए गए हैं। पूर्व की सूचना के अनुसार बैठक में दोनों भाषाओं में बजट की सामग्री उपलब्ध कराई गई। बैठक शुरू होने के दौरान सभी सदस्यों की कुर्सी के सामने टेबल पर बजट की सामग्री रखी गई। बैठक की कार्यवाही के दौरान हिंदी में ही प्रश्नों के जवाब मौखिक व लिखित में दिए गए हैं।