वीडियो के लिए लगते थे अलग-अलग टोकन
पुलिस और ईडी की जांच में सामने आया कि इस रैकेट को उज्जवल किशोर और नीलू श्रीवास्तव नामक दंपति चला रहे थे। उन्होंने इस कोठी में एक हाई-टेक स्टूडियो तैयार किया था, जहां मॉडलिंग और ग्लैमर इंडस्ट्री के नाम पर लड़कियों को पोर्नोग्राफी में धकेला जाता था। यह पूरा रैकेट एक टोकन सिस्टम पर काम करता था। यानी अगर किसी को वीडियो देखना होता तो पहले उसे टोकन खरीदना पड़ता। यही नहीं, अलग-अलग कैटेगरी के वीडियो और लाइव चैट के लिए भी अलग-अलग चार्ज किए जाते थे। चेहरा देखने तक के लिए अलग शुल्क तय था।
कैसे हुआ फॉरेन फंडिंग का खुलासा?
ईडी की जांच में अब तक 15.66 करोड़ रुपये की अवैध फॉरेन फंडिंग का खुलासा हुआ है। इस रकम का 75% हिस्सा कपल खुद रखता था और 25% मॉडल्स को दिया जाता था। छापेमारी के दौरान ईडी ने स्टूडियो में काम कर रही मॉडल्स के बयान भी दर्ज किए हैं। बैंक ट्रांजेक्शन और अन्य वित्तीय लेन-देन की गहराई से जांच की जा रही है। कई संदिग्ध बैंक खातों और अंतरराष्ट्रीय ट्रांजेक्शनों की पहचान की गई है, जिससे इस नेटवर्क की विदेशी फंडिंग के प्रमाण मिले हैं।
विदेशों तक फैला है नेटवर्क
जांच में सामने आया है कि अश्लील कंटेंट को विदेशों में बेचा जाता था। साथ ही विदेशी मॉडल्स को ऑनलाइन संपर्क कर 1-2 लाख रुपये महीने का लालच देकर इस रैकेट में शामिल किया जाता था। बताया जा रहा है कि करीब 400 मॉडल्स की पहचान की जा चुकी है, जिनसे जल्द ही पूछताछ की जाएगी। अब पुलिस के निशाने पर बड़े नाम
इस हाई-प्रोफाइल मामले की जांच अब तेज हो गई है। कई अन्य संदिग्ध लोगों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। क्या इस गंदे खेल में कोई और बड़ा नाम भी शामिल है? क्या बॉलीवुड की B-ग्रेड एक्ट्रेसेस भी इस नेटवर्क का हिस्सा थीं ? आगे की जांच में और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।