राज महल जैसा दिखने लगा लक्ष्मी नारायण मंदिर
मंदिर का सबसे पुराना उल्लेख सन् 1860 में मिला है, जिसका निर्माण लगभग 250 साल पूर्व तत्कालीन मालगुजार राव साहब मुले ने करवाया था। संपूर्ण मंदिर बिना लोहे के सिर्फ चूने और पत्थर से बनवाया गया था।


रहली के जगदीश वार्ड क्रं 10 स्थित करीब 250 साल पुराने लक्ष्मी नारायण मंदिर का जीर्णोद्धार नगर के मालगुजार परिवार ने कराया है। खंडहर में तब्दील हो चूका मंदिर जीर्णोद्धार के बाद किसी राज महल जैसा नजर आ रहा है। मराठा कलाकृति से सुसज्जित यह मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया था, लेकिन देखने वाले इसकी कलाकृतियों की तारीफ करते रहें है। मंदिर का सबसे पुराना उल्लेख सन् 1860 में मिला है, जिसका निर्माण लगभग 250 साल पूर्व तत्कालीन मालगुजार राव साहब मुले ने करवाया था। संपूर्ण मंदिर बिना लोहे के सिर्फ चूने और पत्थर से बनवाया गया था। मंदिर के गर्भगृह में भगवान नारायण की मुख्य प्रतिमा लक्ष्मीजी को साथ लेकर अपने वाहन गरुड़ पर विराजमान है, जो पूरे भारत में दुर्लभ है। कालांतर में इसका जीर्णोद्धार वर्ष 2023- 24 में राव साहब मुले परिवार के वंशज वैभव राव मुले व अनुष्टुप राव मुले ने करवाया। अधिवक्ता वैभव मुले ने बताया कि लक्ष्मीनारायण मन्दिर व जगदीश स्वामी का मंदिर गोविंद राव ने करीब 250 साल पहले बनवाया गया था। देख-रेख के अभाव में दोनों मंदिर क्षतिग्रस्त हो गए। जगदीश स्वामी मंदिर तो पूरी तरह गिर गया और प्रतिमाओं को लक्ष्मी नारायण मंदिर में विराजित किया गया था। मन्दिर निर्माण के लिए मुंबई से टीम बुलाकर निरीक्षण कराया और उसी अनुसार कार्य किया। वर्तमान में मंदिर का जीर्णोद्धार पूरा हो गया है। मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त दर्शनों के लिए पहुंच रहे हैं।
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