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अपने ही गढ़ में बैकफुट पर हमास

डॉ. एस.डी. वैष्णव

जयपुरMar 30, 2025 / 02:06 pm

Neeru Yadav

इजराइल-हमास के बीच कुछ दिनों के संघर्ष विराम तथा दोनों ओर के कुछ बंधकों की रिहाई के बाद एक बार फिर सीजफायर टूटने के साथ ही इजराइल-हमास के बीच भयंकर शुरू हो चुका है। कुछ दिन की शांति के बाद युद्ध का यह दूसरा दौर है। इस बार इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ज्यादा आक्रामक नजर आ रहे हैं। उन्होंने दक्षिणी गाज़ा के राफा क्रॉसिंग और उत्तरी गाज़ा के बेत लाहिया और जबालिया से ग्राउंड और हवाई ऑपरेशन एक साथ शुरू कर दिया है। हालांकि अब दूसरे दौर के युद्ध के बाद हमास खुद अपने ही घर में घिरने लगा है। 50000 लोगों की मौत के बाद हमास को अब वहाँ जनाक्रोश का सामना करना पड़ रहा है।
इतालवी भाषा का एक शब्द है-रिवेरा। खासकर वे क्षेत्र जो समुद्र तटों के लिए जाने जाते हैं और जो अपने खूबसूरत समुद्री दृश्यों, संस्कृति और जीवंतता के कारण विश्वभर के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होते हैं। जैसे- फ्रेंच रिवेरा। यह शब्द सुरम्य परिदृश्य वाले चित्र उकेरता हैं, जहाँ नदियाँ समुद्र में आकर मिलती हैं। एक तरह से जिसे पर्यटन की दुनिया का स्वर्ग कहा जा सकता है। गाज़ा पट्टी भी भूमध्यसागर के किनारे बसा हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप गाज़ा पट्टी को लेकर अपने मंसूबे ज़ाहिर कर चुके हैं।
ट्रंप ने हमास को चेतावनी देते हुए साफ कहा है कि यदि हमास बाकी बचे हुए बंधकों को रिहा नहीं करता है, तो गाज़ा पट्टी को लेकर वे अपने ब्लूप्रिंट पर काम करेंगे। वाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट भी कह चुकी हैं कि हमास को अपनी गलतियों का भुगतान करना ही होगा। हमास के एक प्रवक्ता ने यह स्वीकार किया है कि जब उन्होंने पहली बार इजराइल पर हमला किया तब उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि इजराइल की आक्रामकता के चलते गाज़ा पट्टी इस तरह मलबे में तब्दील हो जाएगी। अब प्रश्न उठता है कि आखिर विस्थापन हुआ तो लोग जाएँगे कहाँ? लिहाज़ा, जो भीतरी असंतोष गाज़ा के आम लोगों में व्याप्त था अब वह खुलकर बाहर आ गया है। गाज़ा की स्थिति को देखते हुए, शांति के लिए उधर लेबनान में भी हिज्बुल्लाह के खिलाफ विद्रोह की आग भड़क सकती है, इसमें कोई संदेह नहीं है।
गाज़ा पट्टी को लेकर ट्रंप का जो ब्लूप्रिंट है उसके अनुसार वे गाज़ा निवासियों को पड़ोसी देशों में विस्थापित करके गाज़ा को एक पर्यटक हब के रूप में विकसित करना चाहते हैं। एक तरह से ट्रंप गाजा पर संभावित नियंत्रण चाहते हैं। उन्होंने अपने सोशल अकाउंट ट्रुथ पर एआई से निर्मित जो वीडियो जारी किया है, उसमें गाज़ा एक नए ही रूप में नजर आ रहा है। हालांकि, ट्रंप की इस योजना का मध्य-पूर्व में काफी विरोध भी हो रहा है। लेकिन इस बात की आशंका तो शुरू से ही बनी हुई थी कि यदि युद्ध विस्तारित हुआ, तो विस्थापन की समस्या प्रमुख रूप से सामने आएगी।
इन दिनों गाज़ा पट्टी इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष का केंद्र बन गया है। इजराइल की इस आक्रामकता को देखते हुए एक बार फिर लेबनान से हिज्बुल्लाह और यमन से हूती भी सक्रिय हो गए हैं। लेकिन इजराइली सैन्य अभियान ने लेबनान पर लगाम कस रखी है। लेबनान पर होने वाले इजराइल के संभावित हमलों को देखते हुए लेबनानी सरकार ने अपने कूटनीतिक प्रयास भी तेज कर दिए हैं। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का ग्रेटर इजरायल बनाने का जो सपना है, उसका मानचित्र तो वे पहले ही बता चुके हैं। इजराइली सेना ने सीरियाई सीमा में स्थित सबसे ऊँची चोटी माउंट हरमोन को अपने नियंत्रण में ले रखा है। इस चोटी से सीरियाई राजधानी दमिश्क और लेबनान में हिज्बुल्लाह की गतिविधियाँ इजराइली तोपखानों की जद में हैं।
इधर दूसरे दौर के युद्ध की शुरुआत से ऐसा लग रहा है जैसे अमेरिका ने इजराइल के हाथों में ट्रिगर थमा दिया है। युद्ध की विभीषिका के बरक्स यह प्रश्न विचारणीय है कि यदि इजराइली बंधकों को रिहा करने से गाज़ा पट्टी में युद्ध विराम और शांति का मार्ग खुलता है, तो हमास इस बात पर विचार क्यों नहीं कर रहा। दूसरी ओर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की गाज़ा पट्टी को रिवेरा बनाने की योजना यदि अमल में आई, तो सिर्फ गाज़ा पट्टी से ही नहीं, वेस्ट बैंक के फिलिस्तीनियों के सामने भी विस्थापन की समस्या उत्पन्न होने का खतरा रहेगा। अमेरिकी बैकअप, आईडीएफ और मोसाद इजराइल की ताकत है। युद्ध बदस्तूर जारी है। इधर हजारों बंकर बस्टर बम की खेप अमेरिका से इजराइल पहुँच चुकी हैं। और यदि नेतन्याहू ने प्रतिशोध की सीमा का अतिक्रमण किया तो इसमें कोई शक नहीं कि ट्रंप का ब्लूप्रिंट साकार होने में देर लगेगी।
अब आगे देखना यह है कि युद्ध किस हद तक जाएगा। बहरहाल, इन युद्धों से बच्चों और महिलाओं का सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। वैश्विक शांति और सहयोग ही तरक्की का द्योतक है। मानवीय संकट को ध्यान में रखते हुए, एक उम्मीद यह की जानी चाहिए कि एक बार फिर पश्चिमी एशिया में शांति कायम होगी और इजराइल-फिलिस्तीन का सांस्कृतिक वैभव हमेशा बना रहेगा।

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