जब आज के परिप्रेक्ष्य मे देखते हैं तो नैतिक मूल्यों के गिरने के दो बड़े कारण दिखाई देते हैं। पहला यह कि हमारे शिक्षा के पाठ्यक्रमों में नैतिक शिक्षा की कोई बात नही होती एवं ने ही कोई विशेष कालांश इस हेतु रखा होता है। जरूरी है कि बचपन से ही नैतिक शिक्षा दी जाए। दूसरा यह कि संयुक्त परिवार टूटने से बच्चों को नैतिक मूल्यों को समझाने वाला कोई बुजुर्ग नहीं होता। बच्चे सबसे ज्यादा अपने अध्यापक और बुजुर्गों की बात मानते हैं। – ओम प्रकाश दिनोदिया
हमारा युवा फिल्मों, वेब सीरीज एवं सोशल मीडिया से बुरी तरह घिरा हुआ है अगर इन क्षेत्रों को सकारात्मक एवं नैतिकता के लिए प्रेरित करने वाली सामग्रियों से भर दिया जाए तो हमारा युवा आसानी से नैतिकता को स्वीकार कर लेगा। जो भी बातें ट्रेंड में होती है उन्हें हमारा युवा आसानी से स्वीकार करता है। सोशल मीडिया के माध्यम से नैतिक बातें ट्रेंड में आ गई उस दिन हमारे युवा उसे भी कॉपी करने लगेंगे और धीरे-धीरे नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना हो जाएगी। – ममता विनोद मिश्रा, महू
आज के युवा भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों को भूलकर, अपने बड़ों का सम्मान न कर उन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ रहे है। यह विचारणीय है। नैतिक मूल्यों की अनदेखी के कारण समाज में अपराध बढ़ रहे हैं। विद्यालयों में बच्चों को नैतिक मूल्यों की क्लास देना जरूरी है। उन्हें सिखाना होगा कि नैतिकता केवल नियमों का पालन करना नहीं, बल्कि सही और गलत में फर्क समझकर सही रास्ता चुनना है। हमारी पहचान हमारे पद या संपत्ति से नहीं, बल्कि हमारे नैतिक मूल्यों से होती है। दुनिया को केवल सफल लोगों की ही नहीं, बल्कि अच्छे इंसानों की भी जरूरत है। यह सही है कि आधुनिक तकनीक ने जीवन को आसान बना दिया है, लेकिन पुरानी व्यवस्थाओं का अनुभव और नैतिक मूल्य आज भी अहम हैं। सही तालमेल से हम स्थिरता और नवाचार, दोनों को साथ लेकर चल सकते हैं। – डॉ. राजेन्द्र कुमावत, जयपुर