एआइ मानव श्रम की जगह नहीं लेगा बल्कि कार्यों को करने के तरीके को बेहतर, दक्ष और निपुण बनाएगा जिससे कार्यों की उत्पादक में वृद्धि होगी। ऐसा देखा गया है कि जब कोई नई तकनीकी आती है तो वो अपने साथ रोजगार सृजन के अवसर लाती है। वैसे ही एआई को विकसित करना, प्रोग्रामिंग करना किसी प्रकार की त्रुटि होने पर मानव द्वारा ही उसको ठीक किया जाएगा तथा उसमें नए फीचर ईजाद करना इत्यादि। एआइ और मानव मिलकर विकास की नई परिकल्पना को साकार करेंगे।
— गजेंद्र चौहान, कसौदा, जिला डीग
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एआई उन कार्यों को तेज़ी से कर सकता है जो दोहराव वाले, डेटा-आधारित और पूर्व-निर्धारित हों। जैसे बैंकिंग, ट्रांसलेशन, ग्राहक सेवा या विनिर्माण प्रक्रिया आदि। इन क्षेत्रों में मानव श्रमिकों की भूमिका सीमित हो सकती है। वहीं दूसरी तरफ़ एआई के प्रवेश से कुछ नई भूमिकाएँ भी जन्म लेंगी; जैसे डेटा एनालिस्ट, एआई नैतिक सलाहकार, प्रॉम्प्ट इंजीनियर, रोबोटिक्स इंजीनियर, बिग डेटा एनालिस्ट आदि। साथ ही रचनात्मकता, संवेदनशीलता, नैतिक विवेक और सामाजिक संदर्भ की समझ में एआइ की सीमाएँ हैं। एक शिक्षक, लेखक, चिकित्सक या न्यायाधीश के निर्णय सिर्फ तथ्य नहीं बल्कि अनुभव और सहानुभूति पर भी आधारित होते हैं; एआई यहाँ सहायक हो सकता है, लेकिन विकल्प नहीं बन सकता है। इसलिए भविष्य का रास्ता ‘एआई बनाम मानव श्रम’ नहीं, बल्कि ‘एआई के साथ मानव श्रम’ का है।
— मोहम्मद ज़ुबैर, दिल्ली
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एआई मानव प्रभावशीलता को बढ़ायेगा लेकिन मानव स्वायत्तता, एजेंसी क्षमताओं को खतरे मे डालेगा, कंप्यूटर जटिल निर्णय लेने, तर्क और सीखने, परिष्कृत विश्लेषण और पैटर्न पहचान, दृश्य तीक्ष्णता, भाषण पहचान और भाषा अनुवाद जैसे कार्यों पर मानव बुद्धि और क्षमताओं से मेल खा सकते हैं या मानव से बहुत आगे निकल सकते हैं। दोनों का साथ साथ चलना मुश्किल सा लगता है।
-नरेश कानूनगो ‘शोभना’, देवास,म.प्र.
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एआई के उपयोग से मानव श्रम की जरूरत में कमी आने की संभावना बताई जा रही है। यह आने वाला समय ही बताएगा कि किस जॉब मार्केट में किस तरह की जॉब की उपयोगिता समाप्त हो जाएगी। ए.आई. उद्योग, कृषि, शिक्षा और रक्षा क्षेत्रों में अपनी जगह बना चुका है। जिस काम को करने में कम से कम 20 से 30 लोग मिल के करते थे और समय भी लगता था, आज वही काम ए.आई.की मदद से कुछ ही समय में हो जाता है। एआई को भी मॉनीटर करने के लिए व्यक्ति की जरूरत पड़ेगी तो उस क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिलेंगे।
— महेन्द्र कुमार बोस, गुड़ामालानी बाड़मेर
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एआई मानव श्रम की जगह नहीं लेगा, बल्कि उसे सहयोग करेगा। एआई जहां दोहराव वाले कार्यों को आसान बनाएगा, वहीं मानव की रचनात्मक सोच और भावनात्मक बुद्धिमत्ता हमेशा आवश्यक रहेगी। दोनों की भागीदारी से कार्य कुशलता बढ़ेगी और नए रोजगार के अवसर भी बनेंगे। हमें डरने की नहीं, सीखने की ज़रूरत है, ताकि हम तकनीक के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें। आने वाला युग मानव और एआई के सामंजस्य का युग होगा।
— रोहित सोलंकी, पिपरिया, जिला नर्मदापुरम, मध्यप्रदेश
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एआइ मशीनरी के बढ़ते प्रभाव से अब मानव श्रम वाला काम अब मशीने कर रही हैं। मानव श्रम की आवश्यकता ही नहीं रही। इससे देश में बेरोजगारी बढ़ जायेगी। मशीनरी के साथ मानव श्रम भी जरूरी है
—अजीतसिंह सिसोदिया,खारा, बीकानेर
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एआइ मानव श्रम की जगह नहीं लेगा, बल्कि दोनों साथ-साथ चलेंगे। एआइ पुनरावृत्ति कार्यों जैसे डेटा एंट्री, ग्राहक सेवा आदि को स्वचालित करेगा, नवीन अवसर पैदा करेगा। मानव जटिल निर्णय, रचनात्मकता और भावनात्मक बुद्धिमत्ता पर ध्यान केंद्रित करेंगे। मानव रचनात्मकता, नवाचार क्षमता और सहानुभूति रखते हैं और जटिल निर्णय ले सकते हैं जिनमें नैतिकता और नैतिक विचार शामिल होते हैं। लेकिन मानव श्रम को एआइ के साथ काम करने और डेटा विश्लेषण के नए कौशल भी विकसित करने होंगे।
— संजय निघोजकर, धार (मप्र)