भारतीय एआई मॉडल ऐसे समय पर उठाया गया कदम है, जब भारत विभिन्न राष्ट्रों के समूह में एक विश्वसनीय राष्ट्र है और इसलिए यह आने वाले दिनों में भारत को नैतिक एआई समाधानों के एक अधिक विश्वसनीय तकनीकी महाशक्ति के रूप में उभरने में मदद करेगा। एक उच्च-स्तरीय सामान्य कंप्यूटिंग सुविधा से समर्थित, भारत एआई मिशन अब भारतीय भाषाओं का उपयोग करके भारतीय संदर्भ के लिए स्वदेशी एआई समाधानों को अनुकूलित करने के करीब है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता, डेवलपर और कोडर इस संबंध में कई आधारभूत मॉडलों पर पूरी तत्परता से काम कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने उम्मीद जताई कि भारतीय एआई मॉडल 6 महीने के भीतर तैयार हो जाएगा।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि “हमारे प्रधानमंत्री का आर्थिक विषयों पर चिंतन बहुत समावेशी है। वह आधुनिक तकनीक को सभी के लिए सुलभ बनाने में विश्वास करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पिरामिड के निचले हिस्से में रहने वाले लोग आर्थिक रूप से सशक्त हों। शुरुआत में, कृषि क्षेत्र, शिक्षण की अक्षमता और जलवायु परिवर्तन से संबंधित 18 नागरिक केंद्रित एप्लिकेशन इस एआई मॉडल का हिस्सा होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि सुरक्षा प्रोटोकॉल संबंधी जांच के बाद डीपसीक को भारतीय सर्वर पर होस्ट किया जाएगा, ताकि उपयोगकर्ता, कोडर, डेवलपर इसके ओपन सोर्स कोड से लाभ उठा सकें।
उन्होंने बताया कि वैश्विक मॉडल के अनुसार प्रति घंटे इस्तेमाल पर 2.5 से 3 डॉलर के खर्च की तुलना में, भारत के एआई मॉडल पर 40 प्रतिशत सरकारी सब्सिडी के बाद 100 रुपये प्रति घंटे से भी कम खर्च होगा।