यह आयोजन “पढ़े विश्वविद्यालय, बढ़े विश्वविद्यालय” तथा “पढ़े महाविद्यालय, बढ़े महाविद्यालय” अभियान के तहत किया गया। कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ. वत्सला मिश्रा के निर्देशन में हुआ। इस अवसर पर प्रधानाचार्या डॉ. वत्सला मिश्रा ने कहा कि दहेज प्रथा और नशे की लत से समाज को मुक्त करने के लिए हमें मिलकर कार्य करना होगा। यह जरूरी है कि युवा पीढ़ी इस सामाजिक बदलाव का नेतृत्व करे। छात्रों द्वारा लिया गया यह संकल्प एक सकारात्मक पहल है, जिससे समाज में जागरूकता बढ़ेगी और आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और बेहतर वातावरण मिल सकेगा।
इस कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित चिकित्सा शिक्षक उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से जिसमें कल्चरल हेड डॉ. सूबिया करीम अंसारी, डॉ. खुर्शीद परवीन, डॉ.अभिषेक तिवारी, डॉ. मोनिका, डॉ. अर्चना मिश्रा,डॉ. अभिषेक सिंह, डॉ. ऋचा सिंह, डॉ. रीना सचान, डॉ. कविता चावला, डॉ. बिनू, डॉ. आर.बी. कमल, डॉ. आर.सी. चौरसिया, डॉ. अर्चना कौल, डॉ. कचनार वर्मा, डॉ.संतोष सिंह, डॉ. पूनम गुप्ता, डॉ. प्रीति गुप्ता, डॉ. निष्ठा सिंह, डॉ. बादल सिंह, डॉ. कृष्णा पांडे, डॉ दिनेश सिंह एवं अन्य फैकल्टी मेंबर्स शामिल थे।
भारत में दहेज हत्या आज भी एक गंभीर समस्या बनी हुई हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2017 से 2021 के बीच देशभर में 35,493 महिलाओं की मौत दहेज हत्या के कारण हुई, जो प्रतिदिन लगभग 20 मौतों के बराबर है। इनमें उत्तर प्रदेश में 11,874, बिहार में 5,354, मध्य प्रदेश में 2,859, पश्चिम बंगाल में 2,389 और राजस्थान में 2,244 मौतें दर्ज की गईं। विशेषज्ञों का कहना है कि दहेज प्रथा महिलाओं के शोषण का एक बड़ा कारण बनी हुई है। समाज में व्याप्त इस कुरीति को समाप्त करने के लिए युवाओं को आगे आना होगा और दहेज मुक्त विवाह को बढ़ावा देना होगा।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने नशे की लत से होने वाले नुकसान पर भी चर्चा की। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, हर साल 30 लाख लोग शराब और नशीली दवाओं के कारण अपनी जान गंवाते हैं। इनमें से 26 लाख मौतें शराब के कारण और 6 लाख मौतें नशीली दवाओं के कारण होती हैं। इसके अलावा, भारत में पिछले वर्षों के आंकड़ों के अनुसार 1 वर्ष में 10,000 से अधिक लोगों ने नशे की लत के कारण आत्महत्या की। महाराष्ट्र में 2,818, मध्य प्रदेश में 1,634 और कर्नाटक में 100 से कम मामले दर्ज किए गए। इस संदर्भ में वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सक डॉ.अभिषेक प्रताप सिंह ने कहा कि नशे की लत न केवल स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है, बल्कि परिवारों और समाज को भी नुकसान पहुंचाती है। मेडिकल छात्रों को इस दिशा में समाज को जागरूक करने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए।
कार्यक्रम के अंत में कल्चरल कमेटी की प्रमुख डॉ.सूबिया करीम अंसारी ने कहा कि इस पहल को व्यापक स्तर पर लागू करने की आवश्यकता है, ताकि समाज को इन बुराइयों से मुक्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि यदि युवा पीढ़ी इन बुराइयों के खिलाफ एकजुट होकर आगे बढ़े, तो समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।