14 फरवरी को बनेगा पहला रिकॉर्ड
14 फरवरी को स्वच्छता के क्षेत्र में एक रिकॉर्ड बनेगा, जब 15,000 कर्मचारी गंगा और यमुना नदी के किनारे 10 किलोमीटर तक सफाई करेंगे। इससे पहले, 2019 के कुंभ मेला में 10,000 कर्मचारियों ने एक साथ सफाई अभियान चलाया था, जो अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड था। इस अभियान के लिए 2.13 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है।
15 फरवरी को बनेगा नदी की सफाई का रिकॉर्ड
15 फरवरी को नदी की सफाई के क्षेत्र में एक नया रिकॉर्ड बनेगा। इस दिन 300 कर्मचारी गंगा नदी में उतरकर सफाई करेंगे। यह रिकॉर्ड पहली बार बनेगा और इसके लिए लगभग 85.53 लाख रुपये खर्च होंगे।
ई–रिक्शा से बनेगा तीसरा रिकॉर्ड
16 फरवरी को ई-रिक्शा संचालन का रिकॉर्ड बनाया जाएगा, जब मेला क्षेत्र के त्रिवेणी मार्ग पर एक साथ 1,000 ई-रिक्शा चलाए जाएंगे। यह भी एक नया रिकॉर्ड होगा, और इसे बनाने में 91.97 लाख रुपये का खर्च आएगा।
17 फरवरी को हैंडप्रिंट से बनेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड
17 फरवरी को गंगा पंडाल और मेला क्षेत्र के अन्य स्थानों पर कैनवास पर 10,000 लोगों के हैंड प्रिंट लिए जाएंगे। इस रिकॉर्ड को स्थापित करने का उद्देश्य सामूहिक सहभागिता को बढ़ावा देना है। 2019 के कुंभ मेला में 7,500 लोगों के हैंड प्रिंट लेने का रिकॉर्ड था, जिसे इस बार तोड़ा जाएगा। इस रिकॉर्ड के लिए 95.76 लाख रुपये का खर्च होने की उम्मीद है। आपको बता दें कि कुंभ 2019 में भी तीन महत्वपूर्ण विश्व रिकॉर्ड बने थे, जिसमें 500 से अधिक शटल बसों का संचालन, 10,000 सफाई कर्मियों द्वारा स्वच्छता अभियान और 7,500 लोगों के हैंड प्रिंट लेने का रिकॉर्ड शामिल था। इस बार मेला प्राधिकरण इन रिकॉर्ड्स को और बढ़ाने की तैयारी कर रहा है।