क्या है स्तीफे की वजह ?
ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनने के बाद संत समाज और सनातन के धर्माचार्यों में काफी रोष था। उनका बहुत विरोध हुआ था। ममता को महामंडलेश्वर बनाए जाने का योग गुरु बाबा रामदेव, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने विरोध किया था।
ममता कुलकर्णी ने क्या कहा ?
सोशल मीडिया प्लेटफार्म इंस्टाग्राम पर ममता कुलकर्णी ने वीडियो शेयर किया। वीडियो में उन्होंने कहा कि मैं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर के पद से इस्तीफा दे रही हूं। मैं 25 साल से साध्वी हूं और आगे भी रहूंगी। मैं 25 साल से एक साध्वी थी और हमेशा साध्वी रहूंगी। मुझे महामंडलेश्वर का सम्मान दिया गया था, लेकिन ये कुछ लोगों के लिए आपत्तिजनक हो गया था।
पैसा देकर पदवी लेने का आरोप !
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ममता कुलकर्णी पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने 10 करोड़ रुपये की रकम अदा करके ये पदवी ली है। हालांकि, ममता कुलकर्णी ने ये साफ़ किया है कि उनसे 2 लाख रुपए मांगे गए थे, जो महामंडलेश्वर जय अंबा गिरी ने अपने हाथों से अखाड़े की आचार्य पंडित लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को दिए थे। महाकुंभ में बनी थी महामंडलेश्वर
ममता कुलकर्णी को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के महाकुंभ में 24 जनवरी को किन्नर अखाडा का महामंडलेश्वर बनाया गया था। इसके बाद उन्हें श्रीयामाई ममता नंद गिरि का नया नाम मिला था। किन्नर अखाडा की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनका पिंडदान और पट्टाभिषेक कराया था। ममता कुलकर्णी 7 दिनों तक महाकुंभ में रही थीं।