Prayagraj Airmail: दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा के 114 वर्ष: कुंभ मेले से शुरू हुआ ऐतिहासिक सफर, प्रयागराज बना था गवाह
Prayagraj Airmail India Postal Service: दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा ने अपने 114 वर्ष पूरे कर लिए हैं। यह ऐतिहासिक शुरुआत 18 फरवरी 1911 को प्रयागराज में हुई थी, जब फ्रेंच पायलट हेनरी पिक्वेट ने 6500 पत्रों के साथ नैनी तक उड़ान भरी थी। यह सेवा कुंभ मेले के दौरान शुरू हुई थी और भारतीय डाक के स्वर्णिम इतिहास का हिस्सा बनी।
कुंभ मेले के दौरान ऐतिहासिक भीड़ ने देखा था यह नया अविष्कार।
Prayagraj Airmail History:डाक सेवाओं की दुनिया में भारत ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी, जब दुनिया की पहली आधिकारिक हवाई डाक सेवा की शुरुआत 18 फरवरी 1911 को प्रयागराज से हुई थी। यह सेवा प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान शुरू हुई थी, जिसमें एक विशेष विमान के माध्यम से 6500 पत्रों को लेकर उड़ान भरी गई थी।
इस ऐतिहासिक सेवा की शुरुआत फ्रेंच पायलट हेनरी पिक्वेट द्वारा की गई थी, जिन्होंने एक हैवीलैंड एयरक्राफ्ट के जरिए पत्रों को लेकर प्रयागराज से नैनी (लगभग 15 किमी दूर) तक उड़ान भरी। यह सफर मात्र 13 मिनट में पूरा हुआ था, लेकिन इसने डाक सेवाओं के एक नए युग की नींव रखी थी। पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव के अनुसार, यह दुनिया की पहली आधिकारिक हवाई डाक सेवा थी, जिसने वैश्विक स्तर पर डाक परिवहन को तेज और प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभाई।
कैसे हुई थी दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा की शुरुआत?
यह पूरी योजना ब्रिटिश और कालोनियल एयरोप्लेन कंपनी की ओर से बनाई गई थी। जनवरी 1911 में डाक सेवा को तेज बनाने और नए प्रयोगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक विमान भारत भेजा गया। संयोग से यह विमान प्रयागराज पहुंचा, जब कुंभ मेला चल रहा था।
उस समय के वरिष्ठ डाक अधिकारी कर्नल वाई विंधाम ने पहली बार इस विमान का उपयोग डाक परिवहन के लिए करने का प्रस्ताव रखा। इस प्रस्ताव को ब्रिटिश हुकूमत ने तुरंत मंजूरी दे दी और इसके बाद 18 फरवरी 1911 को दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा को हरित झंडी दिखा दी गई।
114 साल पहले प्रयागराज से नैनी तक का हवाई सफर
स्थान: प्रयागराज
गंतव्य: नैनी जंक्शन (15 किमी दूर)
पायलट: हेनरी पिक्वेट
विमान: हैवीलैंड एयरक्राफ्ट
कुल पत्र: 6,500
समय: 13 मिनट
हवाई डाक सेवा की ऐतिहासिक विशेषताएँ
पहली बार किसी विमान से डाक भेजी गई।
डाक बैग पर ‘पहली हवाई डाक’ लिखा गया था।
पत्रों पर मैजेंटा स्याही से विशेष मुहर लगाई गई थी।
विशेष शुल्क 6 आना रखा गया था।
इस सेवा से हुई आय को ऑक्सफोर्ड एंड कैंब्रिज हॉस्टल, इलाहाबाद को दान किया गया।
दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा ने कैसे रचा इतिहास?
इस ऐतिहासिक उड़ान के दौरान लगभग 1 लाख लोग प्रयागराज में जमा हुए थे। उस दौर में विमान देखना एक अनोखा अनुभव था, क्योंकि भारत में तब बहुत कम लोगों ने हवाई जहाज देखा था। जब पायलट हेनरी पिक्वेट ने हवाई जहाज उड़ाया, तो लोगों ने इसे अद्भुत चमत्कार के रूप में देखा। इस उड़ान ने दुनिया भर में डाक सेवाओं में क्रांति ला दी और उसके बाद कई देशों ने हवाई डाक सेवाओं की शुरुआत की।
हवाई डाक सेवा ने पत्रों को पंख दिए!
डाक सेवाएँ उस समय का एकमात्र लिखित संचार माध्यम थीं। उस दौर में पत्र संस्कृति, भावनाएँ और ऐतिहासिक घटनाओं का दस्तावेज हुआ करते थे। यह पत्र सिर्फ कागज नहीं थे, बल्कि इतिहास की जीवंत कहानियाँ थे।
आज हवाई जहाजों से डाक पूरी दुनिया में तेजी से पहुँचती है, लेकिन इसका इतिहास प्रयागराज से शुरू हुआ था। यह सेवा भारत के डाक इतिहास का गौरवशाली अध्याय है, जिसने डाक सेवा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दी।
भारतीय डाक सेवा की ऐतिहासिक विरासत
डाक सेवाएँ आज भी संचार के मुख्य माध्यमों में से एक हैं।
आज पूरी दुनिया में एयर मेल सेवा उपलब्ध है, जिसकी शुरुआत भारत से हुई थी।
इस पहली हवाई डाक सेवा के 114 साल पूरे होने पर इसे याद करना गर्व की बात है।
दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा ने संचार की दुनिया में एक नई क्रांति ला दी थी। 18 फरवरी 1911 को प्रयागराज से हुई यह उड़ान सिर्फ 13 मिनट की थी, लेकिन इसने डाक सेवा के नए युग की शुरुआत की थी। आज जब हम ईमेल और डिजिटल संचार के दौर में हैं, तब भी यह ऐतिहासिक घटना हमें याद दिलाती है कि संचार का हर माध्यम अपने समय में क्रांतिकारी होता है।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि को संजोने और इसे नए भारत की प्रेरणा बनाने की जरूरत है। भारतीय डाक सेवा ने दुनिया को सबसे तेज संचार के सपने को हकीकत में बदलने की राह दिखाई थी और यह सफर आज भी जारी है!
Hindi News / Prayagraj / Prayagraj Airmail: दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा के 114 वर्ष: कुंभ मेले से शुरू हुआ ऐतिहासिक सफर, प्रयागराज बना था गवाह