मूल्यांकन में गड़बड़ी पर परीक्षकों पर कार्रवाई सचिव ने कहा है कि यदि स्क्रूटनी के दौरान किसी उत्तर पुस्तिका में ओवरराइटिंग, स्याही में अंतर या किसी प्रश्न को मूल्यांकित न किए जाने जैसी त्रुटियां सामने आती हैं और अंकों में बदलाव होता है, तो विषय विशेषज्ञों से दोबारा जांच कराई जाएगी। दोषी पाए जाने वाले परीक्षकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए सभी क्षेत्रीय सचिवों को कहा गया है कि वे गड़बड़ी वाली उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करने वाले परीक्षकों की सूची मुख्यालय को सौंपें।
अलग-अलग स्तरों पर होगी निगरानी प्रत्येक जनपद में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की स्क्रूटनी के लिए चार सदस्यीय टीम गठित की जाएगी, जिसमें उप सचिव, सहायक सचिव और प्रशासनिक अधिकारी शामिल होंगे। हर सदस्य को निश्चित संख्या में उत्तर पुस्तिकाएं दी जाएंगी। स्क्रूटनी प्रक्रिया सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होगी और उसकी रिकॉर्डिंग को सुरक्षित रखा जाएगा। इसके साथ ही केवल अधिकृत अधिकारियों और कर्मचारियों को ही स्क्रूटनी कक्ष में प्रवेश की अनुमति होगी।
स्क्रूटनी का अर्थ पुनर्मूल्यांकन नहीं सचिव ने स्पष्ट किया है कि स्क्रूटनी का मतलब पुनर्मूल्यांकन नहीं होता। इसमें केवल यह देखा जाता है कि प्रश्नों के अंक सही जोड़े गए हैं या नहीं, फॉरवर्ड करने में कोई गलती तो नहीं हुई है और कोई उत्तर मूल्यांकन से छूट तो नहीं गया है।
विसंगतियों पर विशेषज्ञों की रिपोर्ट अनिवार्य यदि किसी उत्तर पुस्तिका में विसंगति पाई जाती है, तो उसे संबंधित विषय के विशेषज्ञों से जांचवाया जाएगा। इसके बाद क्षेत्रीय सचिव उन उत्तर पुस्तिकाओं का अवलोकन करेंगे और फिर उन्हें सील बंद लिफाफों में निर्धारित प्रारूप पर विवरण अंकित कर 15 जून तक बोर्ड मुख्यालय भेजेंगे। अंतिम अनुमोदन के बाद ही संबंधित उत्तर पुस्तिका के अंक संशोधित किए जाएंगे।
15 जुलाई तक जारी होगा स्क्रूटनी परिणाम यूपी बोर्ड ने स्क्रूटनी प्रक्रिया पूरी कर 15 जुलाई तक परिणाम जारी करने का लक्ष्य रखा है। बोर्ड का यह कदम छात्रों के हित में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।