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WHO में अपनी लॉबी को अधिक मजबूत करे भारत

डॉ.एस.एस. अग्रवाल, प्रेसीडेंट, एम्स, जोधपुर और पूर्व अध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन

जयपुरDec 31, 2024 / 04:37 pm

Hemant Pandey

डब्ल्यूएचओ में भारत की भूमिका अब पहले से कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गई है। भारत ने हमेशा विकासशील देशों की आवाज को उठाया है और अब समय है कि वह वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों को प्रभावित करने के लिए और भी सक्रिय कदम उठाए।

डब्ल्यूएचओ में भारत की भूमिका अब पहले से कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गई है। भारत ने हमेशा विकासशील देशों की आवाज को उठाया है और अब समय है कि वह वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों को प्रभावित करने के लिए और भी सक्रिय कदम उठाए।


विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO की भूमिका वैश्विक स्वास्थ्य संकटों से निपटने और बेहतर स्वास्थ्य प्रणालियां स्थापित करने में अहम रही है। WHO का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों का निर्माण करना, देशों को अपने स्वास्थ्य प्रणालियों में सुधार में मदद करना, रोगों की निगरानी करना और रोग नियंत्रण के लिए उपायों का सुझाव देना है। साथ ही, WHO शिक्षा, प्रशिक्षण और वैश्विक स्वास्थ्य कार्यकुशलता को बढ़ावा देता है और वैश्विक सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। हालांकि, डब्ल्यूएचओ पर समय-समय पर कुछ आरोप भी लगाए जाते रहे हैं, जैसे दवा कंपनियों के साथ संबंध, उनके लिए नीति बनाना और वैश्विक नीतियों में व्यवसायिक हितों को प्राथमिकता देना। ऐसे आरोपों के पीछे व्यापारिक दृष्टिकोण और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक संबंध भी कारण हो सकते हैं।
भारत ने वैश्विक मंचों पर अपनी बढ़ती ताकत और प्रभाव का प्रमाण दिया है और आज वह स्वास्थ्य, कूटनीति और विकास के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वैश्विक स्वास्थ्य में अपनी स्थिति को मजबूत किया है। अब, डिजिटल स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी भारत अपने प्रयासों को बढ़ाकर वैश्विक स्वास्थ्य क्षेत्र में और अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकता है। अभी भारत के पास डब्ल्यूएचओ जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी प्रभावशाली भूमिका निभाने का एक बड़ा अवसर है। कोविड-19 महामारी के दौरान भारत ने न केवल अपनी घरेलू स्वास्थ्य संकट को नियंत्रित किया, बल्कि दुनियाभर के देशों को टीकों और दवाइयों का भी सहयोग दिया। भारत का फार्मा उद्योग, जिसमें सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और बायोकॉन जैसी कंपनियां शामिल हैं, डब्ल्यूएचओ के लिए अहम साझेदार हैं। भारत, जो दवाइयों का सबसे बड़ा निर्माता है, ने पोलियो, मलेरिया और टीबी जैसी वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए कई योजनाओं का विकास किया है। इससे यह साफ होता है कि भारत के पास वैश्विक स्वास्थ्य में योगदान देने की क्षमता है। भारत ने इस महामारी में न केवल अपने देश को स्वस्थ रखा, बल्कि उसने वैश्विक स्तर पर एक मजबूत नेतृत्त्व भी दिखाया है।

WHO में भारत की भूमिका अब पहले से कहीं ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गई है। भारत ने हमेशा विकासशील देशों की आवाज को उठाया है और अब समय है कि वह वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों को प्रभावित करने के लिए और भी सक्रिय कदम उठाए। भारत की विशाल जनसंख्या और विविधता, उसकी सबसे बड़ी ताकत है, जो उसे वैश्विक मंचों पर एक महत्त्वपूर्ण स्थिति देती है। जब भारत किसी मुद्दे पर बोलता है, तो वह न केवल अपने देश की समस्याओं को उजागर करता है, बल्कि अन्य विकासशील देशों की चिंताओं को भी प्रमुखता से प्रस्तुत करता है। भारत को यह समझना होगा कि डब्ल्यूएचओ में प्रभावी भूमिका निभाने का मतलब सिर्फ अपनी शक्ति बढ़ाना नहीं है, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य नीति निर्धारण में सक्रिय रूप से भाग लेना है। भारत को अपने वैश्विक स्वास्थ्य प्रयासों को और मजबूत करते हुए, डब्ल्यूएचओ के साथ मिलकर वैश्विक स्वास्थ्य नीतियों में सुधार करने के लिए योगदान देना चाहिए ताकि दुनिया भर के विकासशील देशों के हितों को सही रूप से प्रस्तुत किया जा सके। यह समय है जब भारत अपनी भूमिका को और अधिक मजबूत और प्रभावशाली बनाए।

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