scriptBear death: नागालैंड से रायपुर ला रहे हिमालयन भालू की रास्ते में ही मौत, 1 पहुंचा जंगल सफारी, मची खलबली | Bear death: Himalayan bear brought from Nagaland to Raipur dies on the way, 1 reached jungle safari, panic created | Patrika News
रायपुर

Bear death: नागालैंड से रायपुर ला रहे हिमालयन भालू की रास्ते में ही मौत, 1 पहुंचा जंगल सफारी, मची खलबली

नागालैंड के धीमापुर चिड़ियाघर से लाए गए दो हिमालयन भालुओं में से नर भालू की रास्ते में मौत हो गई, जबकि मादा भालू को जंगल सफारी के क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है।

रायपुरFeb 24, 2025 / 06:03 pm

चंदू निर्मलकर

bear death
Bear death: नंदनवन जंगल सफारी में हिमालयन भालू की मौत के बाद वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। नागालैंड के धीमापुर चिड़ियाघर से लाए गए दो हिमालयन भालुओं में से नर भालू की रास्ते में मौत हो गई, जबकि मादा भालू को जंगल सफारी के क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है। इस घटना ने वन्यजीव प्रेमी नाराज हैं। वे मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

Bear death: कैसे हुई घटना?

छत्तीसगढ़ वन विभाग के एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत जंगल सफारी से पांच चीतल और दो काले हिरण नागालैंड भेजे गए थे। वापसी में दो हिमालयन भालू लाए जा रहे थे, लेकिन 19 फरवरी को रास्ते में नर भालू की मौत हो गई। वन्यजीव चिकित्सक डॉ. राकेश वर्मा के अनुसार, पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी से गुजरते समय किसी व्यक्ति ने वन्यप्राणी परिवहन का वीडियो बनाकर वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो को भेज दिया। इसके बाद जलपाईगुड़ी टोल, किशनगंज (बिहार), फुलवारी, सिलीगुड़ी और बराबरी समेत पांच जगहों पर वाहन को रोककर पूछताछ की गई। विशेषकर किशनगंज में अधिकारियों ने करीब दो घंटे तक वाहन को तेज धूप में खड़ा रखा। आशंका है कि इससे जानवरों पर अत्यधिक तनाव और गर्मी का प्रभाव पड़ा।
यह भी पढ़ें

Bear Attack: भालू ने ली बेटे की जान, शव लेने गए पिता को भी मार डाला, घंटों पहाड़ी पर पड़े रहे शव

उस दौरान भागलपुर वन विभाग ने बिगड़ती स्थिति देख रांची के वन्यप्राणी चिकित्सकों से संपर्क किया गया और उनकी सलाह पर जानवरों को आवश्यक दवाइयां दी। वाहन को बिना रुके तेजी से जंगल सफारी तक लाया गया, लेकिन अत्यधिक तनाव और गर्मी के कारण 19 फरवरी की शाम 7 बजे हिमालयन भालू ने दम तोड़ दिया। वन विभाग ने पोस्टमार्टम कर रिपोर्ट तैयार की है।

क्या थी वन विभाग की तैयारी?

गौरतलब है कि 2012 में असम से हिमालयन भालुओं का जोड़ा नंदनवन जू लाया गया था, जिन्हें 2016 में जंगल सफारी में शिफ्ट किया गया। 2020 में नर भालू की मौत के बाद वन विभाग मादा भालू के लिए नए साथी की तलाश कर रहा था। इस बार नागालैंड से लाए गए भालूओं में से एक नर भालू की मौत ने विभाग की तैयारियों और प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। हिमालयन भालू मुख्य रूप से हिमालय के तराई क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इनकी आयु अन्य भालू प्रजातियों से लगभग पांच साल अधिक होती है।

वन्यजीव प्रेमियों के सवाल

वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने इस घटना पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि भालू की मौत के समय और कारण को स्पष्ट किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी पूछा कि पोस्टमार्टम कहां और किसकी मौजूदगी में किया गया? अगर इस घटना में लापरवाही हुई है तो जिम्मेदार अधिकारियों और डॉक्टरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी? उन्होंने मांग की है कि पिछले कुछ वर्षों में जंगल सफारी में हुई वन्यजीवों की मौतों का विवरण सार्वजनिक किया जाए। इससे पहले भी बारनवापारा अभयारण्य से गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व भेजी गई मादा बाइसन की मौत का मामला वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर चुका है।

विभाग का पक्ष

वन विभाग के अधिकारियों ने सफाई दी है कि जानवरों के लंबे सफर और बार-बार जांच के कारण तनाव बढ़ गया था, जिससे भालू की तबीयत बिगड़ गई। इसके अलावा, तेज धूप और गर्मी ने भी जानवर के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाला। विभाग का दावा है कि उन्होंने स्थिति बिगड़ते ही तुरंत चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई, लेकिन जानवर को बचाया नहीं जा सका।

Hindi News / Raipur / Bear death: नागालैंड से रायपुर ला रहे हिमालयन भालू की रास्ते में ही मौत, 1 पहुंचा जंगल सफारी, मची खलबली

ट्रेंडिंग वीडियो