CG Election 2025: पार्टी से टिकट नहीं मिलने का गुस्सा
इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के बागी उम्मीदवार भी बड़ी संख्या में मैदान में हैं। इन बागी नेताओं को अपनी पार्टी से टिकट न मिलने का गुस्सा है, जिसके कारण वे न केवल
निर्दलीय चुनाव लड़े, बल्कि अपनी ही पार्टी के आधिकारिक महापौर प्रत्याशी के खिलाफ काम किया। कई वार्डों में यह देखा गया कि भाजपा और कांग्रेस से बागी हुए उम्मीदवार अपने वार्ड में पार्षद पद के लिए वोट मांगा। वे विरोधी दलों के महापौर प्रत्याशियों को समर्थन दे रहे हैं, जिससे चुनावी समीकरण प्रभावित हो सकते हैं।
बागियों और निर्दलीयों की भूमिका निर्णायक
नगर निगम चुनाव में इस बार निर्दलीय और बागी उम्मीदवार बड़ी संख्या में हैं, जो पार्षद पद पर जीत हासिल कर सकते हैं। हालांकि, महापौर के लिए उनकी कोई स्पष्ट रणनीति नजर नहीं आ रही है। अगर चुनाव परिणाम में निर्दलीय प्रत्याशियों की संख्या अधिक रही, तो महापौर पद के लिए भाजपा और कांग्रेस को उनके समर्थन के लिए रणनीति बनानी पड़ेगी। वहीं, बागी प्रत्याशी अगर चुनाव जीतते हैं, तो वे भी महापौर चुनाव में किसी को समर्थन देने से पहले अपनी शर्तें रख सकते हैं।
स्थानीय समीकरणों का असर
CG Election 2025:
नगर निगम चुनाव में महापौर का चुनाव स्थानीय समीकरणों से प्रभावित होता दिख रहा है। चूंकि महापौर का चुनाव पार्षदों के समर्थन से तय होता है, इसलिए निर्दलीय और बागी पार्षद प्रत्याशियों की भूमिका निर्णायक हो सकती है। यदि बड़ी संख्या में निर्दलीय प्रत्याशी जीतते हैं, तो वे महापौर पद के लिए किसी भी पार्टी को समर्थन देने से पहले अपनी शर्तें रख सकते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान मतदाता भी यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर महापौर पद की स्थिति क्या होगी।