CG News: बजट सत्र में महतारी वंदन योजना का उठा मुद्दा
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इससे विपक्ष नाराज हो गया और नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में प्रवेश कर गया। इससे विपक्ष के सभी विधायक स्वयंमेव निलंबित हो गए। इसके बाद सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित भी करनी पड़ी। शून्यकाल में नेता प्रतिपक्ष
डॉ. चरणदास महंत ने इस मु्द्दे को उठाया। इसके बाद विधायक उमेश पटेल, संगीत सिन्हा, भूपेश बघेल व अन्य ने भी अपनी-अपनी बातों को रखा।
विधानसभा में मंगलवार को महतारी वंदन योजना का मुद्दा उठा। इसे लेकर विपक्ष ने मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े को घेरा। योजना के तहत 3971 महिलाओं को महतारी वंदन योजना का लाभ नहीं मिलने पर आपत्ति जताई। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने बहिर्गमन कर दिया। प्रश्न काल में विधायक विक्रम मंडावी ने पूछा कि कितनी महिलाओं को वंदन योजना की एक भी किस्त की राशि नहीं मिली है। मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि ऐसी महिलाओं की संख्या 3971 हैं।
सेंट्रल पुल में चावल जमा नहीं होने का उठाया मुद्दा
मंत्री ने बताया कि इसके कई कारण है, जैसे आधार कार्ड की सीडिंग न होना, आधार नंबर असक्रिय होना, खाते पर रोक, खाते बंद होना, खाताधारक की मौत व अन्य तकनीकी कारण शामिल हैं। मंडावी ने कहा कि इन 3971 की राशि का एक वर्ष से बड़ा भ्रष्टाचार हो रहा है। क्या आवेदनों में सुधार कर राशि देंगे? उमेश पटेल ने कहा कि एक वर्ष में सुधार नहीं कर पाए, कब तक करेंगे। इस पर मंत्री राजवाड़े के यह कहते ही कि अब पिछली सरकार पर जवाब दूंगी तो कहेंगे पिछली सरकार में चले जाते हैं। कांग्रेस की सभी महिला विधायक एक साथ विरोध में उठ खड़े हुई और शोर मचाने लगी। विक्रम और उमेश ने 12 अप्राप्त किस्त एक साथ देने की मांग उठाई। इसके बाद हंगामे के बीच विपक्ष के सभी विधायक बहिर्गमन कर गए। प्रश्नकाल में भूपेश बघेल ने धान के उठाव के बाद सेंट्रल पुल में चावल जमा नहीं होने का मुद्दा उठाया। खाद्य मंत्री दयालदास बघेल ने बताया कि इस साल सेंट्रल पुल में 69 लाख 72 हजार मीट्रिक टन चावल जमा करने की अनुमति मिली है, और अब तक साढ़े 9 लाख मीट्रिक टन चावल जमा किया गया है।
सरकारी जवाब को लेकर अपने ही मंत्री को घेरा
विधायक अजय चंद्राकर ने सरकारी जवाब को लेकर अपने ही मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े को घेरा। उनका कहना था कि अफसरों ने एक ही सवाल के दो अलग-अलग जानकारी आपके माध्यम से सदन को दिलाया है। एक ही सवाल के जवाब में प्रतिवेदन और परिशिष्ट में दिए गए जवाब में भारी अंतर है। ऐसा क्यों हुआ। सदन के सामने मंत्री राजवाड़े इसका सही तरीके से जवाब नहीं दे सकी।
यह है विपक्ष का हिसाब-किताब
विपक्ष के मुताबिक हमारे धान की लागत 3100 रुपए है। इसके अलावा 500 रुपए संग्रहण व्यय और ब्याज आदि को मिलने पर इसकी लागत 3600 रुपए होती है। नीलामी करने पर धान का अधिकत मूल्य 1600 रुपए प्रति क्विंटल मिल पाएगा। इस प्रकार हर क्विंटल के पीछे 2000 रुपए का नुकसान होगा। 40 लाख मीट्रिक टन में कम से कम 8000 करोड़ की आर्थिक क्षति होगी।
यह है विपक्ष का तर्क
नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत, भूपेश बघेल सहित अन्य विपक्ष के नेताओं का तर्क था कि आठ हजार करोड़ की रकम बड़ी है। यह बजट का 5 फीसदी हिस्सा है। चूंकि अब प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है, इसलिए राज्य सरकार को केंद्र से चावल का कोटा बढ़ाने का अनुरोध करना चाहिए। विपक्ष का कहना है कि पंजाब में 179 लाख मीट्रिक टन धान का उत्पादन हुआ है। वहां केंद्र सरकार पूरा चावल ले रही है। जबकि वहां आम आदर्मी पार्टी की सरकार है। जबकि यहां 40 लाख मीट्रिक टन अतिशेष धान की नीलामी करनी पड़ रही है। यह है मंत्री का जवाब
CG News: मंत्री दयालदास बघेल ने कहा, केंद्र सरकार ने 70 लाख टन
चावल उपार्जन की अनुमति दी है। इनमें से 54 लाख टन चावल भारतीय खाद्य विभाग और 16 लाख टन चावल नान में आएगा। इसके अतिरिक्त 13.34 लाख टन चावल रखा जाएगा। मंत्री ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष में भंडार क्षमता के विस्तार के लिए 300 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। 40 लाख अतिशेष धान की नीलामी की जाएगी। वर्ष 2020-21 में भी अतिशेष धान की नीलामी की गई थी। उन्होंने बताया कि किसानों को पूरा राशि का भुगतान किया जा रहा है। इससे किसानों में कोई नाराजगी नहीं है।