वर्ष 2007 में जब नगरसेना में भर्ती हुई तो वहां भी फायरिंग की ट्रेनिंग में मुझे मेडल मिला। इसी इनाम से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा। वर्ष 2007 में शौकिया तौर पर खेलना शुरू किया और आज इन 18 वर्षों में कई सारे मेडल जीतकर प्रदेश की एकमात्र महिला एयर राइफल शूटर बनी।सन् 2019 में लक्ष्मी साहू को राष्ट्रपति अवार्ड भी मिल चुका है।
Sunday Guest Editor: फोकस होने पर मिली सफलता
लक्ष्मी ने बताया कि पहले तो शौकिया तौर पर ही खेलना शुरू किया। अपनी बेटी को जब टॉपगन शूटिंग एकेडमी में
ट्रेनिंग के लिए ले गई तो बिटिया तो नेशनल प्लेयर बनी ही लेकिन मुझे भी कोच गोपाल दुबे का साथ मिला और उनके प्रशिक्षण और खुद को फोकस करने के तरीके ने ही मुझे भी नेशनल प्लेयर बनाया।
अपने शौक पूरे करना चाहिए
लक्ष्मी कहती हैं कि
महिलाओं को कभी भी अपने शौक खत्म नहीं करना चाहिए, बल्कि अपने शौक को पूरा करने पर जो खुशी मिलती है वो किसी भी अन्य चीज में नहीं मिल सकती। महिलाओं को कभी भी अपनी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। मुझे अभी भी लगता है कि जीवन में बहुत कुछ करना बाकी है।
सोच: हिम्मत आपकी असली साथी है, उससे आप हर मुकाम को हासिल कर सकते हो।