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CG News: जंगल के बीच डिजिटल खेती: युवा किसान मनसाय नेताम ने यूट्यूब से सीखा खेती करना और रचा इतिहास विश्व हाइपरटेंशन दिवस 17 मई को है। युवाओं में ये बीमारी आना चिंताजनक है। हाई बीपी से न केवल हार्ट, बल्कि ब्रेन भी प्रभावित होता है। बात-बात में चिड़चिड़ापन भी बीमारी के लक्षणों में शामिल है। हाई बीपी को प्राय: हम बढ़ती उम्र से जोड़ते रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। सीनियर कैंसर सर्जन डॉ. युसूफ मेमन व ईएनटी सर्जन डॉ. सुनील रामनानी के अनुसार हाइपरटेंशन लाइफ स्टाइल में बदलाव व खानपान के कारण होता है। नियमित स्मोकिंग, शराब का सेवन, फिजिकल एक्टिविटी का बिल्कुल न होना, खराब डाइट, दिनभर मोबाइल-लैपटॉप का इस्तेमाल हाइपरटेंशन के खतरे को और बढ़ा रहा है।
प्रदेश में बीपी के मरीज प्रदेश में पांचवें नंबर पर हाइपरटेंशन के मरीजों के मामले में रायपुर प्रदेश में पांचवें नंबर पर है। हालांकि यह चौंकाने वाला नहीं है। चौंकाने वाला तो ये है कि ग्रामीण जिले बेमेतरा, बालोद, नारायणपुर डायबिटीज और बीपी के मामले में रायपुर से भी आगे हैं। यह खुलासा 2023 में स्वास्थ्य विभाग के सर्वे रिपोर्ट में हुआ है। डॉक्टरों का कहना है कि हाई बीपी अब शहरों की बीमारी नहीं रही। जीवनशैली में आ रहे लगातार बदलाव के कारण कोई भी बीपी से पीड़ित हो सकता है। जांच में रायपुर में 33.54 फीसदी लोगों यानी 23372 लोगों की जांच में 7841 लोगों का बीपी बढ़ा मिला। इसमें कई लोगों को बीपी बढ़ने का पता ही नहीं था, क्योंकि इन्होंने कभी जांच ही नहीं कराई थी। नमक व पैकेटबंद चीजों का ज्यादा सेवन भी हाइपरटेंशन का कारण बनता जा रहा है।
बीपी बढ़ने की मुख्य वजह - जीवनशैली में बदलाव
- बात-बात पर तनाव लेना
- फिजिकल एक्टीविटी कम
- फास्ट फूड का सेवन ज्यादा
- खाने का समय निर्धारित नहीं
- नमक व शक्कर का ज्यादा उपयोग
- नियमित दवा व सही डोज न लेना
- स्मोकिंग व शराब का सेवन
- कैरियर ओरिएंटेड लाइफ
स्मोकिंग, शराब सेवन, देर से सोना व सुबह देर से जागना भी हाइपरटेंशन बढ़ा रहा है। युवाओं का कैरियर ओरिएंटेड होना भी तनाव का बड़ा कारण है। जीवनशैली में बदलाव कर व जरूरी एक्सरसाइज कर इसके खतरे को कम किया जा सकता है। बीमारी को लेकर अलर्ट रहें।
डॉ. योगेंद्र मल्होत्रा, प्रोफेसर मेडिसिन आंबेडकर अस्पताल हाइपरटेंशन में फेफड़ों में खून सप्लाई करने वाली नसों में संकुचन हो सकता है। इससे फेफड़े के उत्तकों का नुकसान पहुंच सकता है। यही नहीं हार्ट को पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। चेस्ट पेन भी हो सकता है।
डॉ. आरके पंडा, एचओडी चेस्ट आंबेडकर अस्पताल
हार्ट की मांसपेशियों की दीवारें मोटी हो जाती हैं, जिसे बाएं वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी कहते हैं। खून सप्लाई करने वाली नसों की दीवारें मोटी हो सकती हैं। यही नहीं खून की नसों में कोलेस्ट्रॉल जमा होने से हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट का रिस्क बढ़ जाता है।
डॉ. कृष्णकांत साहू, एचओडी कार्डियक सर्जरी एसीआई