यानीकि गर्मी दिनों में शहर 10 लाख लीटर ज्यादा पानी पीता है। अब खारून नदी का जलस्तर घटने से पानी की आपूर्ति में कमी आएगी। वहीं, शहर के नालों से बहने वाला गंदा पानी विभिन्न इलाकों में फैल रहा है, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
कम आपूर्ति की समस्या दूर कर रहा निगम
नगर निगम ने शहर में जल संकट और गंदे पानी की समस्या से निपटने के लिए कई प्रभावी कदम उठाया है। निगम के
अधिकारियों ने बताया कि खारुन नदी के जलस्तर को बनाए रखने के लिए जल संरक्षण योजनाओं पर काम शुरू किया गया है। इसके तहत जल की बर्बादी को रोकने के लिए नागरिकों को जागरूक करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इसके अलावा, नालों की सफाई और सीवेज सिस्टम को सुधारने के लिए निगम ने विशेष अभियान शुरू किया है। नगर निगम ने मौदहापारा क्षेत्र में नल से गंदा पानी आने की शिकायत पर त्वरित कार्रवाई की और स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की। निगम
अधिकारियों ने यह भी बताया कि कुछ इलाकों में पानी की कम आपूर्ति की समस्या आई थी, जिस पर जल्द समाधान किया जा रहा है।
अभियान चला रहे
निगम जल विभाग के कार्यपालन अभियंता नरसिंह फरेन्द्र ने कहा की फिलहाल पानी की समस्या अभी नहीं आ रही है, और जहां आ रही है उसका समाधान तुरंत किया जा रहा है। गर्मी के मौसम में
जल संकट और गंदे पानी की समस्या का समाधान हमारी प्राथमिकता है। हम खारुन नदी के जलस्तर को बनाए रखने के लिए जल संरक्षण के उपायों को बढ़ावा दे रहे हैं और नालों की सफाई के लिए विशेष अभियान चला रहे हैं।
गंदे पानी से बीमारियों के फैलने की आशंका
गर्मी के दिनों में नालों से गंदे पानी का फैलाव और बढ़ जाता है। मानसून के बाद नालों की सफाई की कमी और सीवरेज सिस्टम की खराब स्थिति के कारण गंदा पानी
सड़कों और गलियों में फैलने लगता है। विशेष रूप से गर्मी में नालों से पानी का बहाव सड़क पर आ जाता है, जिससे सड़कों पर गंदगी फैल जाती है। यह स्थिति संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को बढ़ाती है।
गंदगी के कारण मच्छरों और बैक्टीरिया का प्रकोप बढ़ जाता है, जिससे डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है। हैजा और पेचिश जैसी संक्रामक
बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ जाता है। गंदा पानी घरों तक पहुंचने से शहरवासियों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।