एमपी में भी है ‘बलूचिस्तान’ की हिंगलाज माता का चमत्कारी मंदिर
Hinglaj Mata Temple: बलूचिस्तान में मां हिंगलाज का प्राचीन शक्तिपीठ स्थित है। बलूचिस्तान के अलावा हिंगलाज माता मध्यप्रदेश में भी विराजमान हैं। जिसकी महिमा भोपाल रियासत की पहली महिला शासक बेगम कुदसिया ने भी देखी है।
Hinglaj Mata Temple: बलूचिस्तान(Balochistan), पाकिस्तान का वह क्षेत्र जहां आजादी की मांग और अशांति का माहौल है, वहां मां हिंगलाज का प्राचीन शक्तिपीठ स्थित है। यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां माता सती का शीश गिरा था। भारत समेत दुनिया भर के लोगों की अटूट आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है। पाकिस्तान के अलावा हिंगलाज माता मध्यप्रदेश में भी विराजमान हैं। मध्यप्रदेश में हिंगलाज माता की उपशक्तिपीठ है, जो 500 साल पुरानी है।
भारत में मध्यप्रदेश के रायसेन जिले के बाड़ी नगर में हिंगलाज माता की उपशक्तिपीठ है, जो 500 साल पुरानी है। इस मंदिर की दो अखंड ज्योतियां बलूचिस्तान के हिंगलाज मंदिर से लाई गई थीं। खाकी अखाड़ा के महंत भगवानदास महाराज ने 16वीं सदी में दो साल की कठिन पदयात्रा कर यह ज्योति लाई। ‘पण्डावही के अनुसार, वे संग्रहणी रोग से पीड़ित थे, फिर भी मां के दर्शन की लालसा में कंदमूल खाकर यात्रा पूरी की।
भोपाल रियासत की पहली महिला शासक बेगम कुदसिया हिंगलाज माता(Hinglaj Mata Temple) की महिमा भोपाल रियासत की पहली महिला शासक बेगम कुदसिया ने भी देखी है। बता दें कि, 1820-25 में बेगम ने मंदिर की आरती की आवाज पर नाराज होकर शोर बंद करने का आदेश दिया लेकिन मंदिर के महंत ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। बेगम ने परीक्षा लेने के लिए प्रसाद के नाम पर मांस का थाल भेजा, लेकिन मां के चमत्कार से वह मिठाई में बदल गया। आश्चर्यचकित बेगम ने माफी मांगी और मंदिर को जागीर दान में दे दी।
ट्रस्ट कर रही मंदिर का संचालन
आज बाड़ी का यह मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित है, जहां 65 एकड़ का बगीचा भी है। बलूचिस्तान में अशांति के बावजूद हिंगलाज माता की महिमा दोनों देशों में अटूट है। यह मंदिर न केवल आस्था, बल्कि सांस्कृतिक एकता का भी प्रतीक है, जो बलोच और हिंदू समुदायों को जोड़ता है।
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