बैठक में कलेक्टर गिरीश कुमार मिश्रा, अपर कलेक्टर शिवप्रसाद मंडराह, एडिशनल एसपी आलोक शर्मा सहित अनुविभागीय अधिकारी और तहसीलदार उपस्थित थे। आयोग के सदस्यों ने निर्देश दिए कि किसी भी प्रशासनिक इकाई के पुनर्गठन से पहले जनप्रतिनिधियों और जनता से फीडबैक लिया जाए और प्रस्ताव कलेक्टर को भेजा जाए।
जनप्रतिनिधियों और जनता से सुझाव आमंत्रित
बैठक में निर्णय लिया गया कि नए प्रशासनिक पुनर्गठन से पहले जनता, जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों की राय ली जाएगी। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता का आकलन किया जाएगा। जिला प्रशासन से कहा गया है कि वह अपने स्तर पर सभी सुझावों को एकत्रित कर आयोग को रिपोर्ट प्रस्तुत करें। ये भी पढ़ें: 20 प्रश्नों के उत्तर दीजिए….घर बैठे बन जाएगा आपका ‘ड्राइविंग लाइसेंस’ जनता की जरूरतों के अनुरुप बनाएं प्रस्ताव
आयोग के सचिव अक्षय कुमार सिंह ने कहा कि पुनर्गठन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने निर्देश दिया कि सभी जिलों में तहसील और ग्राम पंचायत स्तर पर बैठकों का आयोजन कर जनमत संग्रह किया जाए और उसके आधार पर प्रस्ताव तैयार कर समय सीमा में प्रस्तुत किए जाएं। बैठक में सभी अधिकारियों को निर्देशित किया गया कि पुनर्गठन प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की जल्दबाजी न हो, बल्कि यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रस्ताव आम जनता की जरूरतों के अनुरूप तैयार किया जाए।
जिले के अंदर कलेक्टर की सिफारिश लगेगी
बैठक में तहसीलों और ग्राम पंचायतों की सीमाओं को जनता की सहूलियत के हिसाब से बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। यदि किसी क्षेत्र को किसी अन्य जिले में शामिल करना आवश्यक होगा, तो इस संबंध में संभागायुक्त के सुझाव के आधार पर निर्णय लिया जाएगा। इसी प्रकार, जिले के अंदर किसी तहसील की सीमा में बदलाव की आवश्यकता होगी तो कलेक्टर की सिफारिश पर विचार किया जाएगा।