विधानसभा अध्यक्ष उज्ज्वल निर्मलकर ने बताया कि नया शिक्षा सत्र प्रारंभ हुए महीना पूरा होने को आ चुका है। सरकार स्कूल में किताब पहुंचाना छोड़ गांव-गांव शराब का नया ब्रांड पहुंचा रही है। जबकि सरकार के मंत्री सरगुजा में नाचने-गाने में व्यस्त हैं।प्रदेश सचिव नेहा वैष्णव और ऋषभ निर्मलकर ने बताया कि शिक्षकों के
युक्तियुक्तकरण की वजह से दस हजार से ऊपर शासकीय स्कूल बंद हो गए, ऐसे में शिक्षा का स्तर कैसे सुधर पाएगा। साथ ही जिन बेरोजगार युवाओं को सरकार ने चुनाव में नई भर्ती का आश्वासन दिया था, वे बेरोजगार युवा अब भटकने मजबूर हैं।
आज सरकार और शिक्षा विभाग केवल निजी संस्थान पर मेहरबान है, जहां जिले में आंकड़ों की माने तो 530 शासकीय स्कूलों में मरमत 20 से अधिक शासकीय स्कूल कक्ष को डिस्मेंटल कर नया बनाने की आवश्यकता है। वहीं निजी स्कूल बिना किसी वैधानिक मापदंड के संचालित की जा रही है। निजी स्कूलों की मनमानी इतनी बढ़ चुकी है कि सीबीएससी का बोर्ड लगाकर बच्चों के परिजनों के फीस वसूली की जा रही है।
जबकि परीक्षा सीजी बोर्ड के हिसाब से ली जा रही है। एनएसयूआई ने कटोरा भेंट कर चेतावनी दी है कि अगर शिक्षा व्यवस्था सरकार नहीं सुधारेगी तो आने वाले समय में उग्र आंदोलन प्रदेश स्तर में किया जाएगा। प्रदर्शन में मुय रूप से स्वास्थ विभाग ननि के पूर्व चेयमैन गणेश पवार, छात्रसंघ पूर्व अध्यक्ष युवा नेता ऋषि, नोहर निर्मलकर सहित अन्य शामिल रहे।