बैठक में पुलिस द्वारा चोरी का खुलासा नहीं किए जाने की स्थिति में 7 जनवरी से आंदोलन करने का निर्णय किया गया। बैठक में ग्रामीणों ने प्रशासन व पुलिस के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने की रणनीति बनाई। ग्रामीणों ने बताया कि यह मंदिर पूरे मेवाड़ क्षेत्र ही नहीं पूरे प्रदेश व देशभर में श्रद्धा का केंद्र है। ऐसे में यहां पूर्व में भी दो बार चोरी की वारदातें होने के बावजूद पुलिस प्रशासन उदासीन बना हुआ है और अब तक पूर्व के मामलों तक का खुलासा नहीं कर पाया है।
इसके चलते ही चोरों के हौसला बुलंद हो गए तथा 30 दिसंबर रात को उन्होंने एक बार फिर से मंदिर को निशाना बनाते हुए चोरी की बड़ी वारदात को अंजाम दे दिया। बताया कि इस संबंध में पुलिस की ओर से 7 दिन के अंदर चोरी की वारदात का खुलासा करने का विश्वास दिलाया था। लेकिन, इस दिशा में अब तक कोई प्रगति नहीं हो पाई है। इसको लेकर बैठक में ग्रामीणों ने बड़े स्तर पर आंदोलन करने का निर्णय किया। इस मौके पर मन्दिर समिति के अध्यक्ष जगदीश पालीवाल, देवीलाल कोठारी, छोगालाल, सुरेश, हंसराज, मोहन, जगदीश कुमावत, सरपंच गंगासिंह चुंडावत, हुकुमचंद कुमावत, बाबूलाल कुमावत, भंवरलाल, मनोहर लाल बागोरा सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।