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ग्राम पंचायत पुनर्गठन विवाद : उच्च न्यायालय ने उण्डावासन गांव को दी अंतरिम राहत

राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर ने भीम-देवगढ़ क्षेत्र के उण्डावासन गांव के ग्रामीणों को ग्राम पंचायत पुनर्गठन विवाद में बड़ी राहत दी है।

राजसमंदJul 11, 2025 / 12:53 pm

Madhusudan Sharma

Deogarh News

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देवगढ़. राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर ने भीम-देवगढ़ क्षेत्र के उण्डावासन गांव के ग्रामीणों को ग्राम पंचायत पुनर्गठन विवाद में बड़ी राहत दी है। न्यायमूर्ति दिनेश मेहता की एकलपीठ ने रिट याचिका संख्या 11408/2025 पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को फिलहाल कोई भी कार्यवाही नहीं करने के निर्देश दिए हैं और याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत प्रदान की है।

क्या है मामला

उण्डावासन गांव के गोविन्दसिंह, धनासिंह, हीरा सिंह और मीनाक्षी कुमारी एमएस चौहान ने याचिका में मांग की थी कि उनके गांव को नवसृजित कालेटरा ग्राम पंचायत एवं भीम पंचायत समिति में शामिल किया जाए। गौरतलब है कि उण्डावासन से कालेटरा की दूरी महज 1 किलोमीटर है और भीम तहसील, उपखंड व पंचायत समिति मुख्यालय भी सिर्फ 9 किलोमीटर दूर स्थित हैं। इस मार्ग पर पक्की सड़क और नियमित परिवहन की सुविधा भी है। इसके विपरीत प्रशासन ने उण्डावासन को देवगढ़ पंचायत समिति क्षेत्र की नवसृजित अर्जुनगढ़ पंचायत में शामिल कर दिया है। अर्जुनगढ़ की दूरी भले ही 4 किलोमीटर हो, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है, सिर्फ पगडंडी का रास्ता है। इसके अलावा अर्जुनगढ़ से देवगढ़ तहसील मुख्यालय की दूरी 37 किलोमीटर है, जिससे ग्रामीणों को सरकारी कामकाज में भारी दिक्कत होगी।

सामाजिक और भौगोलिक तर्क

याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि उण्डावासन और कालेटरा गांवों के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्ते पुराने व मजबूत हैं। दोनों गांवों के लोगों में सगोत्रिय और पारिवारिक संबंध हैं तथा अधिकांश दैनिक जरूरतें कालेटरा से ही पूरी होती हैं। बच्चे भी उच्च शिक्षा के लिए कालेटरा जाते हैं। इसके विपरीत अर्जुनगढ़ से न तो सामाजिक समानता है और न ही जनसंख्या संतुलन के लिहाज से उचित प्रतिनिधित्व मिल पाएगा, क्योंकि दोनों गांवों की आबादी में काफी अंतर है।

सीमा विवाद और पुराना संघर्ष

गौरतलब है कि वर्ष 2009 में अर्जुनगढ़ और उण्डावासन के बीच सड़क निर्माण को लेकर लम्बा संघर्ष चला था और तभी से दोनों गांवों के बीच सीमा विवाद लंबित है। ऐसे में उण्डावासन को अर्जुनगढ़ पंचायत में शामिल करना ग्रामीणों के अनुसार व्यवहारिक और तार्किक नहीं है।

उच्च न्यायालय का आदेश

सभी परिस्थितियों और तर्कों को सुनने के बाद न्यायालय ने माना कि याचिकाकर्ताओं की आपत्ति को राज्य सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति के समक्ष भेजा जाना उचित रहेगा। अदालत ने धनाराम बनाम राज्य सरकार (रिट संख्या 8576/2025) में दिए गए पूर्व आदेश का हवाला देते हुए इसी के अनुरूप अंतरिम राहत दी। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता आई.आर. चौधरी ने अदालत को अवगत कराया कि आपत्तियों पर शीघ्र विचार किया जाएगा। न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देशित किया कि उच्च स्तरीय समिति आपत्तियों की नियमानुसार जांच कर जल्द फैसला सुनाए। अगली सुनवाई 22 जुलाई को होगी, जिसमें राज्य सरकार से विस्तृत जवाब मांगा गया है।

ग्रामीणों के पक्ष

गोविन्दसिंह, ग्रामीण व याचिकाकर्ता-“हमने कालेटरा में शामिल करने की मांग की थी क्योंकि वहां से सारी सुविधाएं जुड़ी हैं। अर्जुनगढ़ जाने का न तो रास्ता सही है और न ही दूरी व्यवहारिक है।”धनासिंह, ग्रामीण व याचिकाकर्ता- “उण्डावासन और कालेटरा के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक रिश्ते पुराने हैं। बच्चे पढ़ाई के लिए भी कालेटरा ही जाते हैं।” मीनाक्षी एमएस चौहान, ग्रामीण व याचिकाकर्ता- “दोनों गांवों की जनसंख्या में बड़ा अंतर है, जिससे अर्जुनगढ़ पंचायत में हमारा सही प्रतिनिधित्व नहीं होगा।”

ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि उनकी आपत्तियों पर गंभीरता से विचार कर उण्डावासन को कालेटरा ग्राम पंचायत में ही शामिल किया जाए ताकि प्रशासनिक कार्यों और सामाजिक जीवन में किसी तरह की परेशानी न हो।

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