क्यों खास है ये सरकारी स्कूल भवन
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में बना स्कूल भवन कहने को तो सरकारी है, लेकिन सुविधाएं किसी बड़े निजी स्कूल से कम नहीं हैं। 15 करोड़ की लागत से 50 हजार स्क्वायर फीट में 3 मंजिला भवन बनाया। इसमें 40 कमरे हैं। प्रोजेक्ट में प्रार्थना सभागार, मीटिंग हॉल, वाचनालय, प्रधानाचार्य कक्ष, अध्ययन कक्ष, अध्यापक कक्ष, प्रयोगशाला कक्ष, कंप्यूटर कक्ष, संग्रह कक्ष जैसे प्रकल्प दिए गए हैं। सुरक्षा के मद्देनजर पूरा परिसर सीसी टीवी कैमरों से कवर है। फर्श पर इंटरलॉकिंग, चारों ओर बाउंड्रीवॉल बनी है। स्पोर्ट्स एक्टिविटीज के लिए वॉलीबॉल बास्केट बॉल कोर्ट बनाए हैं। ट्रस्ट की यहां जिले का सबसे अत्याधुनिक स्पोर्ट्स कॉप्लेक्स बनाने की भी योजना है।यहीं पढ़े, सफल हुए तो स्कूल भवन बनाने की सोची
मेघराज ने छोटे भाई अजीत के साथ माता-पिता के नाम पर तत्कालीन प्रधानाचार्य कौशलेंद्र गोस्वामी के साथ स्कूल के नए भवन की योजना बनाई। राजस्थान के गांवों का सर्वश्रेष्ठ स्कूल निर्माण का सपना संजोया। वर्ष 2019 में भवन का शिलान्यास तत्कालीन उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने किया। स्कूल को बनने में 6 वर्ष लगे।राजस्थान में विशेष योग्यजन विद्यार्थियों के लिए विशेष शिक्षक होंगे नियुक्त, तैयारियां शुरू
3 कमरों का स्कूल अब 40 का
आजादी के बाद शिक्षा के नवजागरण के साथ ही गांव में एक सरकारी स्कूल खुला। 5वीं के स्कूल में 3 ही कमरे थे। क्रमोन्नति के कई दौर से गुजरा स्कूल 12वीं का हुआ। खेल सुविधाओं व पढ़ाई की कमी से आसपास के 30 छोटे-बड़े गांवों के छात्र पढ़ाई के लिए उदयपुर व नाथद्वारा जाने लगे। अब 40 कमरों का अत्याधुनिक स्कूल भवन मिला है। शिक्षा विभाग ने कप्यूटर विज्ञान, कृषि सहित कई नए संकाय शुरू करने की अनुमति दी है।स्कूल में स्किल ऑफ नाथद्वारा परियोजना फलेगी
सर्व सुविधायुक्त स्कूल में गांव व आसपास से बाहर पढ़ने जाने वाले छात्रों के लिए एक नया और बड़ा विकल्प मिलेगा। 12वीं तक अच्छी शिक्षा के लिए विद्यार्थियों का पलायन रुकेगा और गांव की प्रतिभाओं में निखार आएगा। ट्रस्ट ने स्किल ऑफ नाथद्वारा परियोजना के तहत पहली कड़ी में पूरी शिशोदा पंचायत को सौ फीसदी शिक्षित करने और युवाओं को राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया है।प्रताप व शिवाजी के राजवंशों से जुड़ा है शिशोदा गांव
ऐतिहासिक रणभूमि हल्दीघाटी से 22 से 25 किमी दूरी पर बसे शिशोदा गांव का भारत के मध्यकालीन इतिहास से वास्ता रहा है। बताया जाता है कि इस गांव का इतिहास शूरवीर महाराणा प्रताप व छत्रपति शिवाजी के पूर्वजों से जुड़ता है। दोनों राजवंशों के उद्गम का शिशोदा गांव साक्षी रहा है।ट्रस्ट यहीं नहीं रुकेगा : धाकड़
जहां कभी मैं पढ़ा, उस स्कूल में कई साल बाद गया तो जर्जर हालत देखी। पानी की सुविधा तक ठीक नहीं थी, तो रहा नहीं गया। ट्रस्ट स्कूल भवन बनाने तक ही नहीं रुकेगा। स्थानीय प्रतिभाओं को आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर, राजकीय सेवाओं और अन्य प्रकार के क्षेत्रों में कॅरिअर बनाने में सहयोग करता रहेगा। ट्रस्ट स्कूल भवन सरकार को सुपुर्द करने के बाद भी रखरखाव का जिम्मा लेगा।मेघराज धाकड़, स्कूल भवन निर्माता, शिशोदा