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खेती में क्रांति की दस्तक: राजसमंद में शुरू हुआ विकसित कृषि संकल्प अभियान

जिले के ग्रामीण अंचलों में इन दिनों खेती-किसानी को नई दिशा देने की एक बड़ी पहल शुरू हो चुकी है।

राजसमंदJun 01, 2025 / 11:03 am

Madhusudan Sharma

Farming News

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राजसमंद. जिले के ग्रामीण अंचलों में इन दिनों खेती-किसानी को नई दिशा देने की एक बड़ी पहल शुरू हो चुकी है। भारत सरकार और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के निर्देशों के तहत “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के अंतर्गत विशेष शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य किसानों को उन्नत तकनीकों, योजनाओं और वैज्ञानिक तरीकों से अवगत कराना है। इस महाअभियान की शुरुआत जिले की जगेला ग्राम पंचायत (उठरड़ा) और टंटोल गांव से हुई, जहां कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र, और आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) के विशेषज्ञों ने स्थानीय किसानों से सीधा संवाद किया और खेतों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं।
शिविरों में क्या-क्या हुआ?

प्राकृतिक खेती पर विशेष जोर: शिविरों में कृषि अधिकारियों ने रासायनिक मुक्त खेती, जैविक उपायों, और देशज तकनीकों को अपनाने के लाभों पर प्रकाश डाला। प्राकृतिक खेती को खेती की रीढ़ बताते हुए इसे किसानों की आर्थिक मजबूती का सशक्त माध्यम बताया गया।
मिट्टी की जांच और वैज्ञानिक सिफारिशें: किसानों को मिट्टी परीक्षण के महत्व से अवगत कराया गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि खेत की मिट्टी के प्रकार के अनुसार ही बीज और खाद का चयन करना चाहिए, जिससे उत्पादन में गुणात्मक वृद्धि संभव है।
फॉर्म पॉन्ड और सिंचाई सुविधा: फॉर्म पॉन्ड (कृषि तालाब), पाइपलाइन योजना, और ड्रिप सिंचाई सिस्टम की तकनीकी जानकारी दी गई। बताया गया कि जल संरक्षण के ये तरीके वर्षा आधारित क्षेत्रों में खेती की लाइफलाइन बन सकते हैं।
तारबंदी योजना का लाभ: कई किसानों ने फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए तारबंदी योजना में रुचि दिखाई। अधिकारियों ने उन्हें सब्सिडी, आवेदन प्रक्रिया और इसके दीर्घकालिक लाभों की जानकारी दी।

वैज्ञानिकों की भूमिका और फीडबैक प्रक्रिया

शिविरों में उपस्थित कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. पी.सी. रेगर ने किसानों को पशुपालन और मुर्गी पालन के माध्यम से आय बढ़ाने के उपाय बताए। उन्होंने स्थानीय मौसम, चारे की उपलब्धता और नस्ल सुधार जैसे पहलुओं पर भी चर्चा की। वहीं, डॉ. महावीर नोगीया आईसीएआर वैज्ञानिक ने किसानों से फीडबैक लेकर उनकी जरूरतों और अनुभवों को संकलित किया।

सहभागी अधिकारी और भूमिका

इस संकल्प अभियान में कई महत्वपूर्ण अधिकारी शामिल रहे। इनमें कृषि अधिकारी मयूर दवे नेयोजनाओं के क्रियान्वयन और लाभ उठाने की प्रक्रिया को सरल शब्दों में समझाया। सहायक कृषि अधिकारी रमेश पालीवाल ने किसानों को नवीनतम तकनीकी योजनाओं का प्रशिक्षण दिया। कृषि पर्यवेक्षक शंभूलाल सीरवी और रघुराज सिंह ने क्षेत्रीय स्तर पर किसानों की समस्याओं को समझने और उनके समाधान की दिशा में जानकारी दी।

आने वाले दिनों में कहां-कहां होंगे शिविर?

संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) भूपेंद्र सिंह राठौड़ (कांकरोली) ने जानकारी दी कि “यह शिविर 12 जून 2025 तक जिले की विभिन्न ग्राम पंचायतों में आयोजित किए जाएंगे। हर गांव में किसानों को जागरूक करने, सरकारी योजनाओं से जोड़ने और खेती को लाभकारी बनाने का प्रयास किया जाएगा।

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