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मिनी वृंदावन नहीं, अच्छा शब्द लघु या गुप्त वृंदावन होना चाहिए : इंद्रेश महाराज

बालाजी मंदिर परिसर में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा

सागरFeb 02, 2025 / 06:21 pm

Rizwan ansari

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जीवन में चार पुरुषार्थ प्रमुख होते हैं। इसमें पहले तीन धर्म, अर्थ और काम हैं। इन तीनों को करते-करते चौथे का भाव स्वत: ही पैदा हो जाता है। चौथा पुरुषार्थ है मोक्ष, लेकिन धर्म करने धन व अन्न कमाने और कामनाओं को पूरा करने की दौड़ में हम इतने थक जाते हैं, ऊब जाते हैं कि निवृत्ति का भाव आने लगता है, उसी से मोक्ष की कामना होती है। भाव तो बनता है, लेकिन यह पता नहीं होता कि मोक्ष मिलेगा कैसे ? यह बात कथा व्यास पंडित इन्द्रेश उपाध्याय ने बालाजी मंदिर परिसर में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन कही। कथा शुरू होने के पहले मुख्य यजमान अनुश्री जैन ने सपरिवार व्यास पीठ की आरती की। महाराज ने कहा कि सागर के मंदिरों का दर्शन करने पर लगा की ठाकुर जी प्रसन्न हैं। यहां की गलियों में वृंदावन का आभास हुआ है। ठाकुर जी वहीं रहते हैं, जहां गिरिराज जी हों और यमुना जी हों। यह दोनों भाव हैं सागर के लोगों में गिरिराज जी की तरह सेवा का भाव है तो यमुना जी की तरह सरलता भी है, इसीलिए यहां वृंदावन का अनुभव होता है यह मिनी वृंदावन नहीं अच्छा शब्द लघु वृंदावन या गुप्त वृंदावन होना चाहिए।
तमाल का वृक्ष वृंदावन के अलावा कहीं पाया जाता है, तो वह बुंदेलखंड है। 84 कोस की परिक्रमा तमाल के वृक्षों से लिपटकर भक्त ठाकुर जी का अनुभव करते हैं। इसके अलावा बुंदेलखंड में कदंब के वृक्ष भी हैं जो ठाकुर जी को अति प्रिय हैं। यहां के अटल बिहारी भगवान ने जैसी गो सेवा की है वैसी तो वृंदावन में भी नहीं हुई होगी। जिला मीडिया प्रभारी श्रीकांत जैन ने बताया कि वृद्धाश्रम में निवासरत वृद्धजनों की उपस्थिति में कथा स्थल पर मुख्य आकर्षण का केंद्र रहीं। भागवत कथा के तीसरे दिन उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार, प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह एवं मिस एशिया टूरिज्म यूनिवर्स 2018 तान्या मित्तल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु हुए शामिल।

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