फरहाना के परिजन ने बुरा दौर करार दिया
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फरहाना के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धाराओं में हत्या के प्रयास, दंगा करने, ऑन ड्यूटी सरकारी कर्मचारी के काम में बाधा पहुंचाना सहित कई गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज थे। मामले की जांच कर रही SIT ने सीजेएम कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी है। फरहाना के परिजन ने इसे बुरा दौर करार दिया है।
120 किलो वजन बना रिहाई में मददगार
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा कि फरहाना का वजन 120 किलो है और वह छत पर चढ़ ही नहीं सकती है। सर्किल ऑफिसर कुलदीप कुमार ने बताया कि दंगे के बाद गिरफ्तार की गई जिकरा नामक महिला ने बताया कि उसने बुर्का पहने हुए अपनी बहन मरियम को बचाने के लिए फरहाना का नाम फर्जी तरीके से दे दिया था। जिकरा असल में फरहाना की पड़ोसी भी है और दोनों में पुराना विवाद है।
26 लोगों को किया गया था गिरफ्तार
इंस्पेक्टर लोकेंद्र त्यागी ने बताया कि संभल (Sambhal Violence) में पुलिस बल पर पत्थरबाजी के आरोप में 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से 25 के खिलाफ चार्ज लगाया गया लेकिन फरहाना के खिलाफ कोई भी सबूत नहीं मिला। इंस्पेक्टर ने कोर्ट में अपील करते हुए फरहाना की न्यायिक हिरासत को नहीं बढ़ाए जाने की अपील भी की। 3 महीने बाद महिला को मिलो रिहाई
बता दें कि फरहाना के खिलाफ साक्ष्य नहीं मिले और वो निर्दोष पाई गई। महिला के एडवोकेट गनी अनवर ने बताया कि 24 नवंबर की हिंसा (Sambhal Violence) के मामले में हिंदू पूरा खेड़ा इलाके की निवासी महिला फरहाना को गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद हमारी तरफ से महिला के निर्दोष होने की जानकारी प्रार्थना पत्र देकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को दी गई थी। पुलिस और प्रशासन से निष्पक्ष जांच करने का आश्वासन भी मिला था। इसके बाद जांच पूरी होने के साथ ही महिला के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिले है और प्रशासनिक स्तर पर महिला को रिहा कर दिया गया है।