‘सोमनाथ मंदिर हमले में मौजूद नहीं थे सैयद सालार’
संभल से सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने सोशल मीडिया हैंडल ‘X’ पर लिखा, “सैयद सालार मसूद गाजी जिन्हें सोमनाथ के मंदिर पर हमले से जोड़कर बताया जा रहा है वो गलत है जब सोमनाथ के मंदिर पर हमला हुआ तब आपकी उम्र सिर्फ 11 साल थी। इतिहासकार बताते हैं कि सोमनाथ के मंदिर पर हमले में उनकी मौजूदगी का कोई भी जिक्र नहीं है।”
‘महान सूफी संत थे सैयद सलार गाजी’
उन्होंने आगे कहा, “आखिरकार एक अधिकारी बिना कुछ तथ्यों के जाने बार बार जिस तरीके के अल्फाज एक सूफी संत के बारे में इस्तेमाल कर रहा है वो सिर्फ नफरत की हवा को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है ना की संविधान का पालन कर रहा है। महान सूफी संत सैयद सालार मसूद गाजी रहमतुल्लाह अलैह की याद में जगह जगह सैकड़ों नेजे के मेले लगाए जाते हैं उस समय इंसानियत पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ सैयद मसूद गाजी सिर्फ अल्लाह के लिए इंसानियत की खिदमत कर रहे थे।” ‘संविधान की शपथ लेने वाले कर रहे आस्था से खिलवाड़’
उन्होंने आगे कहा, “संविधान की शपथ लेने वाले लोग कैसे किसी की आस्था का खिलवाड़ कर लेते हैं, उन पर क्यों डीजीपी या सरकार लगाम नहीं लगाती है? सबको अपनी मर्जी से इबादत करने की आजादी है। और यह अधिकार संविधान ने ही दिया है। लेकिन संभल में अधिकारी संवैधानिक अधिकार को नजरअंदाज कर रहे है। उनकी सारी समस्या सैयद सालार मसूद गाजी र.अ. से है। जो मेला सैकड़ों साल से परंपरागत लगता आ रहा है उसे रोकने अनैतिक है।”
‘सैयद सालार की दरगाह हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक’
उन्होंने आगे कहा, “सैयद सालार मसूद गाजी 12वीं शताब्दी के महान सूफी संत थे। यूपी के बहराइच में उनकी कब्र है, उनके मजार पर हर साल जेठ के महीने में मेला लगता है। जिसमें हिंदू और मुस्लिम सिख ईसाई समुदायों के लोग शामिल होते हैं। उनकी दरगाह हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप में देखी जाती है। जिस तरह एक महान सूफी संत पर अमर्यादित टिप्पणी की है, वो नफरत की सियासत का नतीजा है। ऐसे अधिकारी को फौरन पदमुक्त करना चाहिए।”