धरने पर बैठे बखारीमाल, बखारी रैयत, उमाडीह सहित अन्य गांव के लोगों ने बताया कि वर्ष 2023 में गांव की ही एक महिला को करंट लग गया था। सडक़ न होने की वजह से एम्बुलेंस नहीं आ पाई। ऐसे में खाट पर ही महिला को स्वास्थ्य केन्द्र ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। अगर सडक़ होती तो उसकी जान बच जाती। ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए चक्का जाम भी किया था। उस समय भी अधिकारियों ने उन्हें जल्द से जल्द सडक़ बन जाने का आश्वासन दिया था।
सरपंच ने बताया कि क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का काफी अभाव है। गांव में एक दो हैंडपंप है। जिससे पीने का पानी मिलता है। गांव के लोग लाइन में लगकर पानी भरते हैं। गर्मी में इनके हलक सूख जाते हैं। काफी समस्या होती है। वहीं बिजली की भी काफी दिक्कत है। जगह-जगह केबिल के तार टूटे हुए हैं। ऐसे में हादसे की आशंका बनी रहती है। बारिश के चार माह तो काफी समस्या होती है। गांव में आठवीं तक ही स्कूल है। इसके बाद छह किमी दूर पढऩे जाना पड़ता है। सडक़ होने से बच्चों की ड्रेस बारिश में कीचड़ से सन जाती है। बच्चे साइकिल चलाते हुए दलदल भरी सडक़ पर गिर भी जाते हैं। गांव की गर्भवती महिलाओं को डोली में ले जाना पड़ता है। छह किमी दूर उप स्वास्थ्य केन्द्र है।
सडक़ निर्माण कार्य न होने की वजह से ग्रामीणों ने मंगलवार को वन विभाग के उत्पादन शाखा का लकड़ी से भरा दो ट्रक रोक लिया और प्रदर्शन करने लगे। इसके बाद से मौके पर वन विभाग के अधिकारी, तहसीलदार सहित अन्य संबंधित अधिकारी आकर समझाइश दे चुके हैं। हालांकि ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े हुए हैं। उन्होंने तीसरे दिन भी ट्रक नहीं छोड़ा।
ग्रामीणों ने बताया कि कई बार सडक़ निर्माण के लिए आवेदन दे चुके हैं। हर बार आश्वासन ही मिला। शांतिपूर्ण तरीके से कई वर्षों से सडक़ की मांग की जा रही है, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। चुनाव का बहिष्कार और चक्का जाम भी किया गया।