क्षेत्रीय किसानों ने कहा कि पावर प्लांट से निकली हुई राख खेतों और उसके आसपास व नदी किनारे फेंकी जा रही है। जिससे कृषि भूमि, नदी, तालाब, चेकडेम का पानी जहरीला होने की संभावना बनी हुई है। इस स्थिति पर विरोध जाहिर करते किसानों ने एसडीएम घंसौर को एक ज्ञापन देकर शीघ्र इस मामले में कार्रवाई की मांग की है।
एसडीएम घंसौर को सरपंच संतोष बैगा व किसान मनीराम बैगा, मोहन यादव, अनिल यादव, लालसिंह गोंड व अन्य ने एक ज्ञापन दिया है। जिसमें कहा कि पावर प्लांट से तीन किलोमीटर दूर ग्राम बिनैकी मुंडा गांव के आसपास लगी कृषि भूमि पर राख का जमाव हो गया है, जिससे वहां किसान बोनी नहीं कर पा रहे। पावर प्लांट प्रबंधन मुआवजा देने की बात से मुकर रहा है। इधर जल स्त्रोतों के आसपास भी प्लांट से निकली हुई केमिकल मिली हुई राख फैंकी जा रही है। जिससे पर्यावरण के साथ-साथ जल स्रोतों की पानी जहरीला होने का खतरा बढ़ गया है, क्योंकि उन्हीं जल स्रोतों का पानी खेती में सिचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है और मवेशी इसी पानी को पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं। पावर प्लांट के अधिकारियों पर आरोप लगाया कि प्लांट से निकलने वाली राख को वैधानिक निस्तारण के तहत नष्ट नहीं किया जा रहा, बल्कि क्षेत्र में इधर-उधर फैलाकर जनजीवन को खतरा पैदा किया जा रहा है।
इनका कहना है –
जहरीली राख से क्षेत्र में नुकसान हो रहा है। पावर प्लांट प्रबंधन को पहले प्रभावित किसानों को शासन के नियम अनुसार मुआवजा देना चाहिए, उसके बाद किसानों की जमीन का उपयोग करना चाहिए। प्रशासन इस पर ध्यान दे, नहीं तो भविष्य में परिणाम गंभीर हो सकते हैं।
संतोष बैगा, सरपंच बिनैकी
क्षेत्रीय किसानों की समस्या हमारे संज्ञान में है। वरिष्ठ अधिकारियों से जो भी निर्देश प्राप्त होते हैं, उसी के अनुसार आगे कार्य किया जाता है। क्षेत्र के किसानों का मुआवजा देने में अभी समय लगेगा। जब राशि आएगी सूचना दी जाएगी।
मुकुन्द सिंह एचआर, पावर प्लांट