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चूहा-केकड़ा ने 80 किमी लम्बी नहर को कर दिया खोखला

– 40 साल पुरानी नहर, बार-बार फूटने कर एसडीओ ने बताई वजह

सिवनीNov 22, 2024 / 06:35 pm

sunil vanderwar

भीमगढ़ बांध की 40 वर्ष पुरानी नहर के हाल।

भीमगढ़ बांध की 40 वर्ष पुरानी नहर के हाल।

सिवनी. संजय सरोवर भीमगढ़ बांध की 40 वर्ष पुरानी 80 किमी लम्बी नहर को चूहे और केकड़ों ने कुतरकर इतना खोखला कर दिया है, कि नहर में पानी का दबाव बढ़ते ही फूट रही है। यही हालात बीते एक सप्ताह से कान्हीवाड़ा-जामुनटोला क्षेत्र में बने हुए हैं। दो बार नहर की मरम्मत हो चुकी है, लेकिन पानी पड़ते ही फिर नहर फूट गई। नहर फूटने पर किसान अधिकारियों को दोषी ठहराते हंगामा कर रहे हैं, जबकि अधिकारी कह रहे हैं कि नहर निर्माण के बाद से लाइनिंग का काम नहीं हुआ है। चूहा और केकड़ा ने नहर की पार को कुतर-कुतर कर खोखला कर दिया है। जब तक सही काम नहीं होगा। नहर फूटने की स्थिति किसी भी इलाके में बनती रहेगी।

नहर में दिख रहे जगह-जगह छेद
सिंचाई विभाग के मुताबिक भीमगढ़ बांध की दांयी तट नहर के दो बार फूटने की मुख्य वजह लाइनिंग न होना और चूहा-केकड़ा के कारण नहर को खोखला किया जाना है। बताया गया कि नहर काली मिट्टी पर 40 वर्ष पहले तैयार की गई थी, तब से सीमेंटीकरण नहीं हो पाया है। लगातार नहर कमजोर हो रही है, लेकिन शासन को भेजे गए लाइनिंग के प्रस्ताव पर अब तक कोई सार्थक शुरुआत नहीं हुई है।

सुधार की खानापूर्ति से फूटी नहर
रबी सीजन में भीमगढ़ बांध की नहरें खोलने के लिए सिंचाई विभाग ने 20 नवम्बर की तारीख तय की थी। लेकिन इससे पहले ही पांच नवम्बर को जल उपभोक्ता संथाओं ने 15 नवम्बर को ही टेस्टिंग के लिए पानी छोडऩे का जोर डाला। जिससे अधिकारियों ने नहर की मरम्मत पूरी होने से पहले ही 15 नवम्बर को बांध के गेट खोलकर 200 क्यूसेक पानी छोड़ा था। जिससे बांध से 24 किमी दूर कान्हीवाड़ा-जामुनटोला के पास पुलिया के पास नहर फूट गई। तब बोरीबंधान कर नहर मरम्मत की खानापूर्ति हुई और 300 क्यूसेक पानी छोडऩे पर 24 घंटे में ही दूसरी बार नहर उसी जगह से फूट गई। जिससे किसानों का गुस्सा अधिकारियों पर भडक़ा था।

ईएनएम के विरूद्ध कार्रवाई की तैयारी

कलेक्टर संस्कृति जैन ने जब नहर की मरम्मत के निर्देश दिए थे, तब ईएनएम के ई ने दो दिन में गेट लगाकर काम पूरा करने की बात कही थी, लेकिन काम नहीं किया गया था। इसी बीच नहर खोल दी गई। सिंचाई विभाग के तकनीकी अमले की मानें तो नहर में 1000 क्यूसेक तक पानी छोड़ा जा सकता है, लेकिन उसके लिए जगह-जगह ईएनएम को नहर में लगे गेट दुरुस्त करने होते हैं, ताकि जरूरत के मुताबिक पानी के बहाव को मुख्य या सहायक नहरों की ओर किया जा सके। क्षतिग्रस्त नहर के ऊपरी हिस्से में गेट लगे होते तो नहर में इतनी क्षति की स्थिति नहीं बनती। अब सिंचाई विभाग के अधिकारी ईएनएम के नरसिंहपुर जिले में स्थित कार्यालय में बैठ रहे इंजीनियर के विरूद्ध कार्रवाई के लिए पत्र लिख रहे हैं।

अब क्षतिग्रस्त जगह होगा सीमेंटीकरण
दो बार फूट चुकी नहर के हिस्से का अब सीमेंटीकरण किया जाएगा। बताया गया कि क्षतिग्रस्त 15 फीट हिस्से पर 6-6 फीट ऊंची दीवार खड़ी की जाना है। इसके पहले उक्त जगह की मिट्टी हटाकर पॉलीथिन बिछाकर मिट्टी डालकर लोहा बिछाकर सीमेंटीकरण किया जाएगा। यानि जब तक नहर की मरम्मत पूरी नहीं हो जाती है, तब तक नहर के निचले क्षेत्र में किसानों को पानी के लिए इंतजार करना पड़ेगा।
इनका कहना है –
भीमगढ़ बांध की 80 किमी लम्बी नहर 40 साल पुरानी है। लाइनिंग नहीं होने और चूहे-केकड़े के कारण लगातार खोखला होने से नहर कमजोर हो रही है। ईएनएम ने भी समय पर गेट का काम नहीं किया। लाइनिंग के लिए टेंडर होना बाकी है। फिलहाल क्षतिग्रस्त हिस्से को सीमेंट से पक्का करा रहे हैं। कम से कम दो दिन का समय लगेगा।
श्रीराम बघेल, एसडीओ सिंचाई विभाग सिवनी

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